पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का अवैध मदरसों से प्रेम, छलका दर्द प्रदेश भर में मदरसों की ताबड़तोड़ सीलिंग पर बोले हरीश रावत.. कहा भाजपा के राज में कभी मस्जिद, कभी मजार तो कभी मदरसे हो जाते हैं अवैध..

इन्तजार रजा हरिद्वार:-पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का अवैध मदरसों से प्रेम, छलका दर्द प्रदेश भर में मदरसों की ताबड़तोड़ सीलिंग पर बोले हरीश रावत.. कहा भाजपा के राज में कभी मस्जिद, कभी मजार तो कभी मदरसे हो जाते हैं अवैध..
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हाल ही में उत्तराखंड राज्य में भाजपा सरकार द्वारा मदरसों की ताबड़तोड़ सीलिंग की कार्रवाई पर तीखा विरोध किया है। उन्होंने इस कार्रवाई को धार्मिक अस्मिता और सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा बताया और भाजपा सरकार पर समाज के विभिन्न वर्गों के बीच विभाजन करने का आरोप लगाया। रावत का कहना था कि भाजपा शासन में कभी मस्जिदों, कभी मजारों और कभी मदरसों को अवैध घोषित किया जाता है, जो कि धार्मिक असहिष्णुता का प्रतीक है। उनका आरोप था कि भाजपा सरकार जानबूझकर इन धार्मिक स्थानों को निशाना बना रही है और इस तरह के कदमों से प्रदेश में तनाव और विभाजन पैदा हो सकता है।
रावत ने यह भी कहा कि भाजपा की यह कार्रवाई पूरी तरह से राजनीतिक मंशा से प्रेरित है, जिसका उद्देश्य धार्मिक समुदायों के बीच भेदभाव बढ़ाना और एक वोट बैंक की राजनीति करना है। उन्होंने भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब उनकी पार्टी कांग्रेस सत्ता में थी, तब उन्होंने हमेशा सभी समुदायों के अधिकारों का सम्मान किया और उनके बीच सामाजिक सद्भाव बनाए रखा। रावत ने यह भी कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में समाज के सभी वर्गों को समान अवसर मिलते थे और किसी भी धार्मिक स्थान को अवैध घोषित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
फाइल फोटो: हरीश रावत पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड
रावत ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार समाज को बांटने की कोशिश कर रही है। उनका कहना था कि भाजपा ने हमेशा धर्म के नाम पर राजनीति की है और इस बार भी वह ऐसा ही कर रही है। उनका यह कहना था कि भाजपा के इस प्रकार के कदमों से राज्य में सामाजिक असंतुलन और धार्मिक तनाव बढ़ेगा, जो कि राज्य के विकास और समृद्धि के लिए हानिकारक है। रावत ने यह भी कहा कि भाजपा का यह कदम केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए किया गया है, और इसके पीछे कोई वास्तविक कारण या उद्देश्य नहीं है। हरीश रावत ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए इस तरह के कदम उठा रही है। उनका मानना था कि भाजपा ने अपने चुनावी वादों को पूरा नहीं किया और इसके बजाय ऐसे मुद्दों को तूल देने की कोशिश कर रही है, जिनसे केवल समाज में भ्रम और भेदभाव पैदा हो। उनका कहना था कि भाजपा के इस कदम से प्रदेश के विकास कार्यों पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि इस प्रकार के विवादों से सरकार की ऊर्जा व्यर्थ जाती है, जबकि वास्तविक समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस मुद्दे पर प्रदेश के लोगों से भी अपील की कि वे इस प्रकार के भ्रामक और विभाजनकारी कदमों का विरोध करें। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता को इस मुद्दे को समझना होगा और भाजपा के इस कदम के खिलाफ एकजुट होना होगा। रावत ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा धर्मनिरपेक्षता की पक्षधर रही है और हम समाज के सभी वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करेंगे। उनका कहना था कि भाजपा के इस कदम से केवल राजनीतिक फायदे की उम्मीद की जा रही है, जबकि इससे समाज में आपसी अविश्वास और वैमनस्य बढ़ेगा।
रावत ने इस मामले में एक उदाहरण भी दिया कि जब उनकी पार्टी सत्ता में थी, तब उन्होंने प्रदेश में किसी भी धार्मिक संस्थान के खिलाफ कोई भी ऐसी कार्रवाई नहीं की थी, जो समाज में तनाव और असहमति का कारण बनती। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस ने हमेशा संविधान के सिद्धांतों का पालन किया है और सभी धार्मिक समुदायों के अधिकारों की रक्षा की है। रावत का यह कहना था कि भाजपा की यह कार्रवाई पूरी तरह से एक राजनीतिक चाल है, जो धर्म और राजनीति को मिलाकर समाज को विभाजित करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने भाजपा के इस कदम को खेदजनक और गलत बताया और राज्य सरकार से अपील की कि वह इस प्रकार की विभाजनकारी नीतियों से बचें।
रावत ने भाजपा की इस कार्रवाई को एक नई रणनीति के रूप में देखा है, जिसका उद्देश्य प्रदेश में धार्मिक असहिष्णुता और भेदभाव को बढ़ावा देना है। उनका कहना था कि भाजपा हमेशा चुनावी लाभ के लिए धार्मिक मुद्दों को तूल देती रही है और अब वह इसे एक और बार आजमाने की कोशिश कर रही है। रावत ने कहा कि भाजपा को यह समझना होगा कि राज्य का विकास तभी संभव है, जब सभी समुदायों के बीच सद्भाव और समन्वय हो। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस हमेशा समानता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता की पक्षधर रही है और हम भविष्य में भी यही रास्ता अपनाएंगे।
हरीश रावत ने भाजपा सरकार से यह भी मांग की कि वह इस मुद्दे पर तुरंत सफाई दे और सभी धार्मिक संस्थाओं के अधिकारों का सम्मान करे। उनका कहना था कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था बनाए रखना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है और इसे धार्मिक असमंजस और विवादों में नहीं उलझाना चाहिए। रावत ने कहा कि जब तक भाजपा इस प्रकार की राजनीतिक चालें चलती रहेगी, तब तक प्रदेश में सामाजिक और धार्मिक शांति का वातावरण नहीं बन सकेगा।
रावत ने अंत में यह भी कहा कि राज्य की जनता को यह समझना चाहिए कि इस प्रकार के मुद्दों को तूल देने से केवल राजनीति की रोटियां सेंकी जाती हैं, जबकि समाज का नुकसान होता है। उनका कहना था कि प्रदेश के विकास के लिए भाजपा को इस प्रकार के विवादों से बाहर निकलकर जनता के असली मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।