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शराब ब्रांड ‘त्रिकाल’ पर शासन की सख्ती, प्रदेश में पूर्ण प्रतिबंध, सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों पर दर्ज होंगी एफआईआर त्रिकाल ब्रांड पर उत्तराखंड में सख्त प्रतिबंध धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करेगा शासन: अफवाह फैलाने वालों पर एफआईआर सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाने वालों की होगी साइबर धाराओं में गिरफ्तारी

इन्तजार रजा हरिद्वार-  शराब ब्रांड ‘त्रिकाल’ पर शासन की सख्ती, प्रदेश में पूर्ण प्रतिबंध, सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों पर दर्ज होंगी एफआईआर

त्रिकाल ब्रांड पर उत्तराखंड में सख्त प्रतिबंध

धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करेगा शासन: अफवाह फैलाने वालों पर एफआईआर

सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाने वालों की होगी साइबर धाराओं में गिरफ्तारी

देहरादून, 28 मई 2025

उत्तराखंड में हाल ही में उभरे एक विवादास्पद शराब ब्रांड ‘त्रिकाल’ को लेकर शासन-प्रशासन ने कठोर रुख अख्तियार कर लिया है। सोशल मीडिया पर इस ब्रांड से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रही थीं, जिनमें यह दावा किया गया था कि यह ब्रांड सरकार समर्थित है और इसके नाम से हिंदू आस्था का अपमान हो रहा है।

प्राप्त आधिकारिक जानकारी के अनुसार, यह ब्रांड रेडिको खेतान लिमिटेड द्वारा कुछ अन्य प्रदेशों में लांच किया गया है, लेकिन उत्तराखंड में न तो इसे बिक्री की स्वीकृति प्राप्त है और न ही यह किसी प्रकार से पंजीकृत है। इसके बावजूद यह झूठा प्रचार किया जा रहा था कि त्रिकाल ब्रांड राज्य में उपलब्ध है और इसे सरकार का समर्थन प्राप्त है।

इस गंभीर मुद्दे पर कार्रवाई करते हुए आबकारी आयुक्त हरिश्चंद्र सेमवाल ने स्पष्ट किया है कि “त्रिकाल” या इससे मिलते-जुलते किसी भी नाम से मदिरा उत्पाद का निर्माण, वितरण, बिक्री अथवा पंजीकरण उत्तराखंड में किसी भी सूरत में मान्य नहीं होगा। विभाग ने ब्रांड की मूल कंपनी को निर्देशित किया है कि वह इस ब्रांड को राज्य में न तो वर्तमान में लाए और न ही भविष्य में इसकी योजना बनाए।

धार्मिक भावनाओं के अपमान पर तीखी प्रतिक्रिया

आबकारी विभाग ने स्पष्ट किया है कि “त्रिकाल” शब्द भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा में देवी-देवताओं से जुड़ा हुआ है और इसका प्रयोग शराब ब्रांड के रूप में किया जाना न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक पहचान को भी धूमिल करता है।

विभाग ने इस मामले को अति गंभीर बताते हुए कहा है कि इस प्रकार के प्रचार-प्रसार से सांप्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो राज्य की सामाजिक समरसता के लिए खतरा बन सकती है। विभाग ने आमजन से अपील की है कि वह किसी भी प्रकार की अफवाहों पर विश्वास न करें और प्रशासन से पुष्ट जानकारी लेकर ही किसी सूचना को साझा करें।

अफवाह फैलाने वालों पर होगी कानूनी कार्रवाई

सोशल मीडिया पर इस विषय को लेकर फैलाई जा रही भ्रामक जानकारियों और झूठे दावों पर अब कानून का शिकंजा कसने वाला है। आबकारी विभाग ने पुलिस प्रशासन और साइबर क्राइम सेल को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जो भी व्यक्ति सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से त्रिकाल ब्रांड को लेकर भ्रम फैला रहा है, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और आईटी अधिनियम के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाए।

इसके साथ ही विभाग ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति राज्य में इस प्रतिबंधित ब्रांड को बेचते या प्रचारित करते हुए पाया गया तो उसके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें जुर्माना और जेल दोनों की संभावना शामिल है।

जनभागीदारी से ही अफवाहों पर लगेगा विराम

आबकारी विभाग ने जनता से भी अपील की है कि वह सतर्क रहें और ऐसे किसी भी मैसेज, पोस्ट या वीडियो को बिना पुष्टि के साझा न करें, जिससे समाज में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो। यदि किसी को त्रिकाल ब्रांड से संबंधित कोई संदिग्ध गतिविधि दिखाई दे तो वह तत्काल निकटतम प्रशासनिक कार्यालय, पुलिस स्टेशन या आबकारी नियंत्रण कक्ष में इसकी सूचना दें।

विभागीय हेल्पलाइन और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग यूनिट को भी इस मुद्दे पर विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति इस तरह की अफवाहों की शिकायत करता है तो उस पर प्राथमिकता से कार्रवाई की जाएगी।


“त्रिकाल” ब्रांड को लेकर जो भ्रम उत्पन्न हुआ है, वह सोशल मीडिया के दुरुपयोग का एक ज्वलंत उदाहरण है। शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी धार्मिक प्रतीक या शब्द को व्यावसायिक हित में उपयोग करना अक्षम्य अपराध है, विशेषकर जब वह सार्वजनिक आस्था को ठेस पहुंचाए। सरकार की ओर से उठाए गए सख्त कदम न केवल सांस्कृतिक मर्यादाओं की रक्षा के लिए हैं, बल्कि यह संकेत भी हैं कि उत्तराखंड में धार्मिक भावना के अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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