हरिद्वार हर की पैड़ी से आतंक के खिलाफ हुंकार: शहीदों को श्रद्धांजलि, पाकिस्तान को चेतावनी, दीपदान कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
सभा में मौजूद श्रद्धालुओं के हाथों में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था – “शहीदों को सलाम”, “आतंक का अंत हो”, “भारत एकजुट है”। पूरे वातावरण में देशभक्ति और शहीदों के प्रति सम्मान की भावना स्पष्ट झलक रही थी। दीपों की रोशनी में हर की पैड़ी की सीढ़ियां मानो एक मौन क्रांति का प्रतीक बन गई थीं

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार हर की पैड़ी से आतंक के खिलाफ हुंकार: शहीदों को श्रद्धांजलि, पाकिस्तान को चेतावनी, दीपदान कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
हरिद्वार, 23 अप्रैल: कश्मीर घाटी के पहलगाम में हाल ही में हुए कायरतापूर्ण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में देश के कई वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जिसकी पीड़ा पूरे भारतवर्ष ने महसूस की। उत्तराखंड की धार्मिक नगरी हरिद्वार भी इससे अछूती नहीं रही। यहां की पवित्र भूमि हर की पैड़ी पर रविवार शाम को गंगा सभा के नेतृत्व में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु, साधु-संत और स्थानीय नागरिक एकत्र हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुई। इसके पश्चात गंगा आरती के दौरान दीपदान कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। श्रद्धालुओं ने मां गंगा से प्रार्थना की कि आतंकवाद का पूर्ण रूप से नाश हो और भारत भूमि पर फिर कभी ऐसा काला दिन न आए।
गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “यह हमला किसी एक व्यक्ति या राज्य पर नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष की अस्मिता पर है। यह समय मौन रहने का नहीं, बल्कि ठोस और निर्णायक कार्रवाई करने का है।” उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि वह इस हमले का मुंहतोड़ जवाब दे और आतंक को पनाह देने वाले गुनहगारों के खिलाफ सख्त कदम उठाए।
सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “जो पाकिस्तान कभी भारत की ही धरती से जन्मा था, आज उसी भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है। यह समय शोक का जरूर है, लेकिन साथ ही यह चेतावनी देने का भी समय है कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा।” उन्होंने कहा कि आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए न केवल सैन्य रूप से, बल्कि कूटनीतिक और वैश्विक मंचों पर भी भारत को अपनी बात मजबूती से रखनी होगी।
सभा में मौजूद श्रद्धालुओं के हाथों में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था – “शहीदों को सलाम”, “आतंक का अंत हो”, “भारत एकजुट है”। पूरे वातावरण में देशभक्ति और शहीदों के प्रति सम्मान की भावना स्पष्ट झलक रही थी। दीपों की रोशनी में हर की पैड़ी की सीढ़ियां मानो एक मौन क्रांति का प्रतीक बन गई थीं।
इस मौके पर स्थानीय संत समाज ने भी अपनी आवाज बुलंद की। स्वामी अच्युतानंद ने कहा, “जब-जब भारत माता पर हमला हुआ है, तब-तब देशवासियों ने एकजुट होकर उसका जवाब दिया है। अब भी समय आ गया है कि भारत आतंक के खिलाफ निर्णायक कदम उठाए।”
हर की पैड़ी से निकली यह हुंकार केवल एक सांकेतिक विरोध नहीं था, बल्कि यह उस भावनात्मक ज्वाला की झलक थी जो आज पूरे भारत में धधक रही है। श्रद्धालुओं का कहना था कि आतंक के खिलाफ यह लड़ाई केवल सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की है।
इस आयोजन में युवाओं की भागीदारी विशेष रूप से देखने लायक थी। कॉलेज के छात्रों से लेकर स्थानीय युवाओं तक सभी ने अपने तरीके से आतंक के खिलाफ आक्रोश जताया। कुछ ने कविता पाठ किया, तो कुछ ने मोमबत्तियों के सहारे शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
गंगा सभा ने घोषणा की कि वे आने वाले दिनों में ऐसे और भी आयोजन करेंगे ताकि जनता में जागरूकता बनी रहे और देशविरोधी ताकतों को यह संदेश जाए कि भारत अब सहन नहीं करेगा।
कार्यक्रम का समापन “वंदे मातरम्” और “भारत माता की जय” के नारों के साथ हुआ। हर की पैड़ी पर उस शाम केवल दीप नहीं जले थे, बल्कि देशवासियों के दिलों में जल रहा आक्रोश और देशप्रेम भी अपनी पूर्ण अभिव्यक्ति पा रहा था।
यह आयोजन इस बात का प्रतीक बन गया कि भारतवासी केवल शोक में डूबे नहीं रहते, वे एकजुट होकर चुनौती का सामना भी करते हैं। हरिद्वार की इस शांति और अध्यात्म की भूमि से उठी यह आवाज देश के हर कोने तक पहुंची और आतंक के विरुद्ध एक नई चेतना की शुरुआत बनी।