राष्ट्रीय हरित अधिकरण के सचिव डॉ. अफ़रोज़ अहमद की कलियर दरगाह में हाज़िरी,, साहिबज़ादा शाह यावर मंज़र ऐजाज़ कुद्दुसी साबरी ने की दस्तारबंदी,, दुआ-ए-ख़ैर के साथ दरगाह में गूँजी आध्यात्मिक फिज़ा

इन्तजार रजा हरिद्वार- राष्ट्रीय हरित अधिकरण के सचिव डॉ. अफ़रोज़ अहमद की कलियर दरगाह में हाज़िरी,,
साहिबज़ादा शाह यावर मंज़र ऐजाज़ कुद्दुसी साबरी ने की दस्तारबंदी,,
दुआ-ए-ख़ैर के साथ दरगाह में गूँजी आध्यात्मिक फिज़ा
हरिद्वार/कलियर, 30 अगस्त 2025।
कलियर दरगाह हुज़ूर साबिर-ए-पाक की पाक सरज़मीन पर शनिवार का दिन एक खास अवसर लेकर आया, जब माननीय डॉ. अफ़रोज़ अहमद (माननीय उच्च न्यायालय के न्यायधीश एवं भारत सरकार के सचिव), राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), दिल्ली ने यहां हाज़िरी दी। इस मौके पर दरगाह की रूहानी फिज़ा और भी पुरअसरार और रौशन हो गई।
दरगाह पर साहिबज़ादा शाह यावर मंज़र ऐजाज़ कुद्दुसी साबरी साहब ने डॉ. अफ़रोज़ अहमद का इस्तकबाल करते हुए उनकी दस्तारबंदी की। दस्तारबंदी की यह परंपरा सम्मान और ख़िदमत का प्रतीक मानी जाती है। इस अवसर पर दरगाह के खादिमों और सज्जादानशीन की मौजूदगी ने माहौल को और भी खुशनुमा बना दिया।
डॉ. अफ़रोज़ अहमद ने दरगाह में चादर पोशी कर मुल्क और कौम की सलामती, भाईचारे और अमन-चैन के लिए दुआ की। इसके बाद साहिबज़ादा शाह यावर मंज़र ऐजाज़ कुद्दुसी साबरी साहब ने दुआ-ए-ख़ैर कराई, जिसमें सभी उपस्थित लोग शामिल हुए। पूरी दरगाह इस दौरान आध्यात्मिक माहौल से सराबोर रही और श्रद्धालुओं के चेहरों पर रूहानी सुकून साफ झलक रहा था।
इस अवसर पर दरगाह की रौनक देखने लायक थी। देश के विभिन्न हिस्सों से आए जायरीन भी इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने। लोगों ने कहा कि जब कोई उच्च पदस्थ अधिकारी और ज़िम्मेदार शख्सियत दरगाह पर आकर हाज़िरी देती है तो यह केवल आध्यात्मिक रिश्ता ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और धार्मिक सौहार्द का पैग़ाम भी देता है।
दरगाह प्रबंधन समिति के सदस्यों ने भी माननीय मेहमान का शुक्रिया अदा किया और कहा कि ऐसे अवसर दरगाह के आध्यात्मिक व सामाजिक महत्व को और मजबूत करते हैं।
कलियर दरगाह, जो कि पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोगों की आस्था का केंद्र है, समय-समय पर इस तरह की अहम शख्सियतों की हाज़िरी से और भी रौशन होती है। यह दरगाह हमेशा अमन, मोहब्बत और इंसानियत का संदेश देती रही है, और आज का यह अवसर भी उसी सिलसिले की एक कड़ी साबित हुआ।
कुल मिलाकर, डॉ. अफ़रोज़ अहमद की दरगाह हाज़िरी और दस्तारबंदी का यह मुकद्दस लम्हा श्रद्धालुओं के दिलों में लंबे समय तक यादगार बनकर रहेगा।