सलेमपुर महदुद का अधूरा तालाब बना मासूम की मौत का कारण,, 10 वर्षीय सुभान की तालाब में डूबने से मौत, ग्रामीणों में उबाल,, लापरवाही पर फूटा जनाक्रोश, सुरक्षा इंतजाम अन्यथा तालाब बंद कर अस्पताल बनाने की मांग

इन्तजार रजा हरिद्वार- सलेमपुर महदुद का अधूरा तालाब बना मासूम की मौत का कारण,,
10 वर्षीय सुभान की तालाब में डूबने से मौत, ग्रामीणों में उबाल,,
लापरवाही पर फूटा जनाक्रोश, सुरक्षा इंतजाम अन्यथा तालाब बंद कर अस्पताल बनाने की मांग
सलेमपुर महदुद, हरिद्वार। रानीपुर क्षेत्र के सलेमपुर महदुद गांव में मंगलवार को एक दर्दनाक हादसा घटित हुआ, जिसने पूरे गांव को शोक और आक्रोश में डुबो दिया। गांव के पास स्थित अधूरे पड़े तालाब में एक 10 वर्षीय मासूम बच्चा डूब गया, जिसकी इलाज से पहले ही मौत हो गई। मृतक की पहचान दादुपुर गोविंदपुर निवासी सुभान पुत्र शाहनवाज के रूप में हुई है। सुभान के असमय निधन से उसके परिवार में कोहराम मच गया है और पूरा गांव गमगीन है।
तालाब बना मौत का कुंआ, नहीं है कोई सुरक्षा इंतज़ाम
जानकारी के अनुसार, यह तालाब वर्षों से अधूरा पड़ा है और बरसात के मौसम में पानी से लबालब भर जाता है। यही पानी इस बार भी जानलेवा बन गया। सोमवार को सुभान अपने दोस्तों के साथ खेलने गया था, लेकिन अचानक उसका पैर फिसल गया और वह तालाब की गहराई में चला गया। आसपास मौजूद कुछ लोगों ने घटना देखी और तत्परता से तालाब में कूदकर उसे बाहर निकाला। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। सुभान को आनन-फानन में नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
रानीपुर पुलिस मौके पर पहुंची और घटनास्थल का निरीक्षण किया। पुलिस ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और आगे की कार्रवाई रिपोर्ट आने के बाद की जाएगी।
अधूरा सौंदर्यीकरण बना दुर्घटनाओं का कारण
गांव के बुजुर्गों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह तालाब पहले से ही खतरनाक स्थिति में है। इसका सौंदर्यीकरण कार्य कई वर्षों से अधूरा पड़ा है। न तो इसकी गहराई सीमित की गई, न ही इसके चारों ओर सुरक्षा दीवार या जाल लगाए गए। बरसात में इसमें अत्यधिक पानी भर जाता है और आसपास की ज़मीन फिसलन भरी हो जाती है।
स्थानीय निवासी राव हामिद अली का कहना है, “ये कोई पहली मौत नहीं है। हर साल कोई न कोई बच्चा इसमें डूब जाता है, लेकिन प्रशासन हर बार खानापूर्ति कर चुप हो जाता है। अगर समय रहते सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए होते तो आज सुभान जिंदा होता।”
ग्रामीणों ने की चारों ओर सुरक्षा जाल और अस्पताल निर्माण की मांग
घटना के बाद गांव में भारी भीड़ एकत्र हो गई और लोगों का गुस्सा साफ नजर आया। ग्रामीणों ने पंचायत और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। उनका कहना है कि जब से इस तालाब का निर्माण शुरू हुआ है, तब से यह दुर्घटनाओं का केंद्र बन गया है। न कोई चेतावनी बोर्ड, न कोई फेंसिंग—इससे बड़ी लापरवाही और क्या हो सकती है?
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि:
- तालाब के चारों ओर सुरक्षा जाल (फेंसिंग) तत्काल लगाया जाए।
- तालाब को पूरी तरह से बंद कर दिया जाए।
- इसकी जगह एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या छोटा अस्पताल बनाया जाए, ताकि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
- पूरे गांव में बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरे वाले स्थानों को चिह्नित कर वहां पुख्ता इंतज़ाम किए जाएं।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
अब तक जिला प्रशासन या स्थानीय निकायों की ओर से कोई ठोस बयान नहीं आया है। जबकि सुभान की मौत के बाद से गांव में आक्रोशित माहौल है। लोग सड़क पर उतरने की चेतावनी दे रहे हैं, यदि प्रशासन ने जल्द कोई कदम नहीं उठाया।
गांव के स्थानीय राव इरफान अली ने कहा, “गांव में विकास के नाम पर सिर्फ अधूरे काम और खानापूर्ति हो रही है। तालाब का सौंदर्यीकरण के नाम पर पैसा आया, लेकिन नतीजा सामने है—एक और मासूम की मौत।”
आगे क्या?
यह घटना एक बार फिर उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे अधूरे विकास कार्यों और प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोल देती है। ग्रामीणों की यह मांग बिलकुल जायज़ है कि जानलेवा बन चुके स्थानों को लेकर तत्काल ठोस कार्रवाई हो। यदि प्रशासन समय रहते चेत नहीं सका, तो यह तालाब किसी और सुभान की जान ले सकता है।
सलेमपुर महदुद गांव के लोग अब न्याय और सुरक्षा की मांग को लेकर एकजुट हो चुके हैं। यदि प्रशासन ने इस बार भी केवल कागजी कार्रवाई पर भरोसा किया, तो आने वाले दिनों में जनआंदोलन भी खड़ा हो सकता है।
संक्षिप्त बिंदु:
- मृतक: सुभान पुत्र शाहनवाज, उम्र 13 वर्ष, निवासी दादुपुर गोविंदपुर
- घटना: अधूरे तालाब में डूबने से मौत
- प्रशासन: जांच जारी
- ग्रामीणों की मांग: तालाब को बंद कर अस्पताल बनाया जाए, चारों ओर सुरक्षा जाल लगे
- जनभावना: प्रशासन की लापरवाही से आक्रोशित
यह घटना केवल एक मासूम की जान जाने की खबर नहीं है, यह प्रशासन की विफलता और ग्रामीण विकास की अनदेखी का प्रमाण है। क्या अगला नंबर किसी और मासूम का होगा या अब भी प्रशासन जागेगा?