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कौन होगा बीजेपी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष?, जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी की रेस में भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान सबसे आगे, ओबीसी कार्ड, बिहार-यूपी चुनाव और संगठनात्मक संतुलन की रणनीति तय करेगी चेहरा

इन्तजार रजा हरिद्वार- कौन होगा बीजेपी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष?,
जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी की रेस में भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान सबसे आगे,
ओबीसी कार्ड, बिहार-यूपी चुनाव और संगठनात्मक संतुलन की रणनीति तय करेगी चेहरा

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं तेज हो गई हैं। मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल अपने अंतिम चरण में है और पार्टी अब उनके उत्तराधिकारी की घोषणा की ओर बढ़ रही है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के चलते इस प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया था, लेकिन पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष में ठहराव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सफल समापन के बाद यह कवायद फिर से तेज हो गई है।

सूत्रों की मानें तो भाजपा नेतृत्व इस माह के अंत तक नए अध्यक्ष की घोषणा कर सकता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है—कौन होगा बीजेपी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष? जिन नामों पर सबसे गंभीरता से विचार चल रहा है, वे हैं केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान

ओबीसी नेतृत्व की ओर झुकाव: सामाजिक संतुलन की रणनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार द्वारा जातिगत जनगणना के समर्थन में उठाए गए कदम के बाद, पार्टी अब स्पष्ट रूप से ओबीसी समुदाय को साधने की कोशिश कर रही है। यह रणनीति न सिर्फ सामाजिक न्याय के विमर्श को छूती है बल्कि आगामी बिहार और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में राजनीतिक लाभ भी देती है।

भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान—दोनों ही ओबीसी समुदाय से आते हैं और राष्ट्रीय राजनीति में उनकी पहचान मजबूत है।

  • भूपेंद्र यादव राजस्थान से आते हैं और लंबे समय से भाजपा के संगठनात्मक ढांचे में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। वे नीति निर्माण, चुनाव प्रबंधन और गठबंधन राजनीति में निपुण माने जाते हैं।
  • वहीं, धर्मेंद्र प्रधान ओडिशा से आते हैं और केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री के तौर पर उनकी छवि एक संजीदा नेता की बनी है। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं और पार्टी की युवा एवं तकनीकी छवि को प्रोत्साहित करने में उनका योगदान रहा है।

दोनों नेताओं का ट्रैक रिकॉर्ड मजबूत रहा है और वे केंद्र सरकार में भी अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं। इसलिए यदि भाजपा नेतृत्व इनमें से किसी को अध्यक्ष पद पर नियुक्त करता है, तो वह सामाजिक प्रतिनिधित्व और संगठनात्मक दक्षता—दोनों को साधने में सफल होगा।

राजनीतिक समीकरण: बिहार-यूपी के लिए क्या मायने रखता है यह फैसला

भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव केवल संगठनात्मक नहीं बल्कि पूरी तरह से राजनीतिक रणनीति से जुड़ा हुआ है।

  • अक्टूबर-नवंबर 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
  • वहीं 2027 में उत्तर प्रदेश चुनाव होंगे, जो भाजपा के लिए सत्ता की नींव माने जाते हैं।

यदि भाजपा किसी ओबीसी नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाती है, तो इसका सीधा संदेश पिछड़े वर्गों को जाएगा—जो बिहार और यूपी दोनों में निर्णायक मतदाता हैं।

इसके अतिरिक्त, भूपेंद्र यादव बिहार के सामाजिक ताने-बाने को गहराई से समझते हैं जबकि धर्मेंद्र प्रधान ने पूर्व में ओडिशा-बिहार में संगठन को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों की मानें तो अगर पार्टी धर्मेंद्र प्रधान को अध्यक्ष बनाती है तो ओडिशा में पार्टी का विस्तार तेजी से होगा, वहीं भूपेंद्र यादव के अध्यक्ष बनने से उत्तर भारत में संगठनात्मक मजबूती का संकेत जे पी नड्डा के बाद की बीजेपी: संगठन की दिशा और चेहरा

जेपी नड्डा के अध्यक्ष रहते भाजपा ने कई महत्वपूर्ण चुनाव जीते—जैसे उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश—but आलोचकों का मानना है कि उनकी संगठनात्मक छवि अमित शाह जैसी प्रभावशाली नहीं रही।

भविष्य की भाजपा को एक ऐसा नेता चाहिए जो:

  1. मजबूत संगठनात्मक नियंत्रण रखता हो,
  2. युवा और नए वोटर्स से संवाद कर सके,
  3. राजनीतिक सहयोगियों के साथ बेहतर तालमेल बना सके,
  4. और सबसे अहम—मोदी युग के बाद पार्टी को वैचारिक और रणनीतिक दिशा दे सके।

भूपेंद्र यादव, जो भाजपा की विचारधारा (विशेषकर पर्यावरण, संविधानिक मुद्दे और चुनाव प्रबंधन) के जानकार माने जाते हैं, और धर्मेंद्र प्रधान, जो शिक्षा और तकनीकी सुधारों में पार्टी की छवि निखारने वाले मंत्री रहे हैं—दोनों ही इन कसौटियों पर खरे उतरते हैं।

भविष्य की रणनीति: अध्यक्ष पद से आगे का एजेंडा

नया अध्यक्ष कोई भी बने, उसे भाजपा के लिए कई अहम मोर्चों पर काम करना होगा:

  • 2026 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव,
  • 2027 का सबसे बड़ा इम्तिहान—उत्तर प्रदेश,
  • और 2029 की लोकसभा की तैयारी

इसके साथ ही, कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी एकजुटता, क्षेत्रीय दलों की भूमिका और अंदरूनी गुटबाजी जैसी चुनौतियां भी नए अध्यक्ष को संभालनी होंगी।

सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जल्द ही गुजरात दौरे पर जाने वाले हैं और वहां से लौटकर अध्यक्ष के नाम पर अंतिम मुहर लग सकती है।

 क्या दोहराई जाएगी शाह-जेटली की जोड़ी?

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान, दोनों की कार्यशैली सामंजस्यपूर्ण है। अगर इनमें से किसी एक को अध्यक्ष और दूसरे को संगठन में महत्वपूर्ण पद मिलता है, तो पार्टी को अमित शाह और अरुण जेटली जैसी जुगलबंदी का लाभ मिल सकता है।”

हालांकि अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस नेतृत्व की सहमति से ही होगा, लेकिन इस बात की संभावना मजबूत हो गई है कि भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष एक ओबीसी चेहरा होगा—जो चुनावी और सामाजिक दोनों ही मोर्चों पर पार्टी को मजबूती देगा।

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