आगामी चारधाम यात्रा 2025: हरिद्वार कलेक्ट्रेट सभागार में आपदा प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मॉक ड्रिल की व्यापक तैयारी

इन्तजार रजा हरिद्वार- आगामी चारधाम यात्रा 2025: हरिद्वार कलेक्ट्रेट सभागार में आपदा प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मॉक ड्रिल की व्यापक तैयारी
चारधाम यात्रा 2025 को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) द्वारा आपदा से निपटने की तैयारियों को परखने और उन्हें और प्रभावी बनाने के लिए 24 अप्रैल को मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है। इसी संदर्भ में बुधवार को हरिद्वार के जिला आपदा प्रबंधन सभागार में NDMA के नेतृत्व में एक वर्चुअल बैठक आयोजित की गई, जिसमें राज्य के विभिन्न जिलों के आला अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।
इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य चारधाम यात्रा के दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासनिक तैयारियों को जांचना, आपसी समन्वय को मजबूत बनाना और यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना है।
वर्चुअल बैठक में विभिन्न विभागों की भागीदारी
वर्चुअल बैठक में हरिद्वार, देहरादून, टिहरी गढ़वाल, चमोली, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों के जिला अधिकारी, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी, पुलिस, परिवहन, लोक निर्माण विभाग (PWD), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), अग्निशमन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पेयजल निगम, बिजली विभाग, आरटीओ, कृषि और जनसंपर्क जैसे महत्वपूर्ण विभागों के वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित हुए। इस बैठक का उद्देश्य सभी विभागों को एक मंच पर लाकर समन्वय स्थापित करना था ताकि मॉक ड्रिल के दौरान किसी भी प्रकार की असमंजस की स्थिति उत्पन्न न हो।
चारधाम यात्रा में आपदा प्रबंधन का महत्व
चारधाम यात्रा हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। उत्तराखंड सरकार की यह सर्वोच्च प्राथमिकता रही है कि यात्रियों को एक सुरक्षित और व्यवस्थित वातावरण में यात्रा कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी संभावित आपदा की स्थिति में समय रहते प्रभावी कदम उठाए जाएं ताकि श्रद्धालुओं की जान-माल की हानि न हो।
उत्तराखंड का भौगोलिक स्वरूप आपदाओं के लिहाज़ से संवेदनशील माना जाता है। खासकर चारधाम मार्गों पर भूस्खलन, अचानक मौसम परिवर्तन, ग्लेशियर फटना, सड़कें बंद होना, वाहन दुर्घटनाएं, और स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियां सामान्य बात हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक समग्र और सक्रिय आपदा प्रबंधन रणनीति की आवश्यकता है, जिसके लिए यह मॉक ड्रिल बेहद महत्वपूर्ण है।
मॉक ड्रिल की योजना और संचालन
NDMA और USDMA द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की जा रही यह मॉक ड्रिल चारधाम यात्रा से जुड़े सात जिलों में एक साथ आयोजित की जाएगी। इस दौरान विभिन्न प्रकार की आपदाओं जैसे भूस्खलन, सड़क दुर्घटना, भवन ढहना, आग लगना, और स्वास्थ्य आपातकालीन स्थिति का परिदृश्य तैयार कर संबंधित विभागों की त्वरित प्रतिक्रिया का मूल्यांकन किया जाएगा।
प्रत्येक जिले को निर्देशित किया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में संभावित आपदाओं को ध्यान में रखते हुए आपदा प्रबंधन की रणनीति और मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करें। मॉक ड्रिल में यह देखा जाएगा कि राहत और बचाव दल कितनी तत्परता से कार्य करते हैं, संसाधनों की उपलब्धता कैसी है और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय कैसा है।
यात्रियों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध
बैठक में यह भी निर्देश दिए गए कि चारधाम यात्रा के दौरान किसी भी आपदा की स्थिति में यात्रियों को कहां रोका जाएगा, उन्हें विभिन्न धर्मशालाओं और होटलों की जानकारी कैसे दी जाएगी, चिकित्सा सेवाओं की तत्काल उपलब्धता कैसे सुनिश्चित की जाएगी, इन सभी पहलुओं पर विस्तार से विचार किया गया।
- सभी रजिस्ट्रेशन प्वाइंट्स और होल्डिंग एरिया में CCTV कैमरों से निगरानी की व्यवस्था की जाएगी।
- ट्रैफिक मैनेजमेंट को बेहतर बनाने के लिए वैकल्पिक मार्ग और यातायात नियंत्रण कक्ष की व्यवस्था पर बल दिया गया।
- स्वास्थ्य विभाग द्वारा एंबुलेंस, मेडिकल टीम, और आपातकालीन दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।
- पेयजल और खाद्य सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भी योजना तैयार की जा रही है।
चारधाम कपाट खुलने की तिथियां और तैयारी का रोडमैप
बैठक में चारधाम के कपाट खुलने की तिथियों की भी जानकारी दी गई:
- 30 अप्रैल: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम
- 02 मई: केदारनाथ धाम
- 04 मई: बद्रीनाथ धाम
इन तिथियों को ध्यान में रखते हुए सभी विभागों को समय रहते अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने के निर्देश दिए गए। प्रशासन का लक्ष्य है कि कपाट खुलने से पहले सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से स्थापित हो जाएं और यात्रा के आरंभ से ही सुरक्षा व्यवस्था प्रभावी ढंग से लागू हो सके।
बैठक में चर्चा के प्रमुख बिंदु
वर्चुअल बैठक में निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष चर्चा की गई:
- सभी जिलों द्वारा डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान व SOP का निर्माण
- आपदा की स्थिति में यात्रियों के लिए सुरक्षित शेल्टर होम की व्यवस्था
- विभिन्न आपातकालीन सेवाओं की तत्परता का आकलन
- राहत और बचाव दलों की कार्य क्षमता की समीक्षा
- कमी पाए जाने पर सुधारात्मक कदम उठाना
- समन्वय और संवाद तंत्र को सशक्त करना
विभिन्न विभागों की भूमिका और ज़िम्मेदारियाँ
बैठक में विभागीय स्तर पर गठित टीमों के कार्यदायित्वों पर विस्तार से चर्चा की गई। सभी विभागों को यह निर्देशित किया गया कि वे अपनी ज़िम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करें और मॉक ड्रिल से पहले अभ्यास करें।
उपस्थित प्रमुख अधिकारी:
- एसपी ट्रैफिक/क्राइम: जितेंद्र मेहरा
- अपर जिलाधिकारी: दीपेंद्र सिंह नेगी
- एसपी सिटी: पंकज गैरोला
- आपदा प्रबंधन अधिकारी: मीरा रावत
- मुख्य कृषि अधिकारी: गोपाल सिंह भंडारी
- महाप्रबंधक उद्योग: उत्तम कुमार तिवारी
- जिला सैनिक कल्याण अधिकारी: विंग कमांडर सरिता पॉवर
- ईई यूपीसीएल: दीपक सैनी
- ईई पीडब्ल्यूडी: दीपक कुमार
- ईई पेयजल निगम: आर.के. गुप्ता
- आरटीओ: नेहा झा
- एसीएमओ: डॉ. अनिल वर्मा
- डीओ पीआरडी: मुकेश भट्ट
- अन्य जिला स्तरीय अधिकारी
चारधाम यात्रा के सफल संचालन के लिए मॉक ड्रिल जैसी तैयारियां अत्यंत आवश्यक हैं। ये न केवल प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाती हैं, बल्कि यात्रियों में विश्वास भी उत्पन्न करती हैं कि वे एक सुरक्षित वातावरण में धार्मिक यात्रा कर सकते हैं। NDMA और USDMA द्वारा की जा रही यह पहल उत्तराखंड की आपदा प्रबंधन क्षमता को और मजबूत करेगी और भविष्य की किसी भी आपदा से निपटने के लिए आधार तैयार करेगी।
सरकार, प्रशासन और नागरिकों के सामूहिक प्रयासों से ही यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि चारधाम यात्रा 2025 एक सुरक्षित, सुचारू और श्रद्धा से परिपूर्ण अनुभव बने।