हुज़ूर साबिर पाक के 757वें उर्स मुबारक पर बरेली से रवाना हुआ साबरी झंडा काफिला,, सज्जादा नशीन ख्वाजा हाफ़िज़ सैय्यद मेराज हुसैन साबरी ने की मुल्क के अमन-ओ-अमान की दुआ,, सुफी वसीम मियां साबरी और सुफी कमाल मियां साबरी की कयादत में पैदल काफिला रवाना

इन्तजार रजा हरिद्वार- हुज़ूर साबिर पाक के 757वें उर्स मुबारक पर बरेली से रवाना हुआ साबरी झंडा काफिला,,
सज्जादा नशीन ख्वाजा हाफ़िज़ सैय्यद मेराज हुसैन साबरी ने की मुल्क के अमन-ओ-अमान की दुआ,,
सुफी वसीम मियां साबरी और सुफी कमाल मियां साबरी की कयादत में पैदल काफिला रवाना
10 अगस्त 2025 को हुज़ूर साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैह के 757वें उर्स मुबारक के पावन मौके पर एक रूहानी और परंपरागत माहौल में बरेली दरगाह हज़रत नासिर मियां रहमतुल्लाह अलैह के आस्ताना आलिया से साबरी झंडा काफिला रवाना हुआ। इस काफिले की कयादत सुफी वसीम मियां साबरी और सुफी कमाल मियां साबरी कर रहे थे, जिसमें बड़ी संख्या में अकीदतमंद, मुरीद और अनुयायी शामिल हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत दरगाह शरीफ में कुरानख़्वानी और मिलाद शरीफ से हुई। इसके बाद रूहानी माहौल में साबरी झंडे को सजाया गया। दरगाह शरीफ हुज़ूर सय्यदना ख्वाजा हाफ़िज़ शम्सुद्दीन तुर्क पानीपती शाह विलायत साहब पानीपत के सज्जादा नशीन, ख्वाजा हाफ़िज़ सैय्यद मेराज हुसैन साबरी साहब ने मुल्क में अमन-ओ-अमान, भाईचारे और तरक्की के लिए विशेष दुआ कराई।
दुआ के बाद रूहानी नारे और सलाम व दरूद के माहौल में साबरी झंडा पैदल काफिले के साथ रवाना किया गया। काफिले में शामिल अकीदतमंद सफ़ेद लिबास और हरे झंडों के साथ चलते हुए, रास्ते भर हुज़ूर साबिर पाक की शान में नात, मनक़बत और सलाम पेश करते रहे।
यह पैदल काफिला बरेली से चलते हुए रास्ते में कई जगह रुककर महफ़िल-ए-समाअ, फातिहा और दुआओं के सिलसिले को अंजाम देगा और अंततः पीरान-ए-कलीयर शरीफ पहुंचकर उर्स मुबारक के मुख्य आयोजन में शामिल होगा। आयोजन समिति के सदस्यों के अनुसार, यह परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है, जो हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहज़ीब और सूफी-संतों की शिक्षा को आगे बढ़ाती है।
सज्जादा नशीन ख्वाजा हाफ़िज़ सैय्यद मेराज हुसैन साबरी ने कहा कि हुज़ूर साबिर पाक का पैग़ाम मोहब्बत, इंसानियत और सबके लिए भलाई का है। उन्होंने सभी से आपसी भाईचारे को मजबूत करने, नफ़रत से दूर रहने और मुल्क में मोहब्बत की फिज़ा कायम रखने की अपील की।
काफिले के रवाना होने के वक्त बरेली शहर में एक रूहानी रौनक नज़र आई। गलियों में सजावट, चादरों और फूलों की खुशबू, और झंडे की शोभायात्रा में उठते सलाम व दरूद ने माहौल को और भी परवाज़ दी। इस मौके पर स्थानीय प्रशासन ने भी सुरक्षा और यातायात के पुख्ता इंतज़ाम किए, ताकि काफिला शांति और सुकून के साथ अपनी मंज़िल की ओर बढ़ सके।
यह साबरी झंडा काफिला न सिर्फ़ उर्स की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि यह सूफी सिलसिले की रूहानी विरासत और मोहब्बत का संदेश पूरे मुल्क में फैलाने का अहम जरिया भी है।