23 साल में बछड़े बने सांड, क्षेत्र में बढ़ रहा हंगामा,, काबू में रखना होगा या खुला छोड़ना होगा – इशारों में चेतावनी आश्रमों तक पहुंचने लगे बेलगाम सांड, स्थिति गंभीर,, वरिष्ठ पत्रकार रत्नमणि डोभाल ने फेसबुक पर साझा की जिज्ञासा

इन्तजार रजा हरिद्वार-23 साल में बछड़े बने सांड, क्षेत्र में बढ़ रहा हंगामा,,
काबू में रखना होगा या खुला छोड़ना होगा – इशारों में चेतावनी
आश्रमों तक पहुंचने लगे बेलगाम सांड, स्थिति गंभीर,, वरिष्ठ पत्रकार रत्नमणि डोभाल ने फेसबुक पर साझा की जिज्ञासा
हरिद्वार।
क्षेत्र की सियासी और सामाजिक गतिविधियों में एक नया विवाद चर्चा का विषय बना हुआ है। आरोप है कि जिन “दूधमुंहे बछड़ों” को संरक्षण और परवरिश मिली थी, वे अब 23 साल में “सांड” बनकर बेलगाम घूम रहे हैं। इन सांडों पर काबू पाना या इन्हें खुला छोड़ना, अब पालने वालों के सामने सबसे बड़ा सवाल बन गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ये सांड अब केवल सड़कों तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि आश्रमों तक पहुंचकर अव्यवस्था फैलाने लगे हैं। “मुंह मारने की भी एक सीमा होती है”, ऐसे तीखे शब्दों में क्षेत्रवासियों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है।
कच्छा पलटन भी सक्रिय
जानकारी के अनुसार, बेलगाम सांडों की वजह से तथाकथित कच्छा पलटन भी सक्रिय हो गई है। यह गुट अब अपने “स्वामीभक्ति” के नाम पर माहौल बिगाड़ने का काम कर रहा है। स्थिति यह है कि जहां-जहां ये सांड जाते हैं, वहां टकराव और विवाद की आशंका बढ़ जाती है।
समर्थकों की संख्या बढ़ने का दावा
दिलचस्प यह है कि इन बेलगाम सांडों के कारण पालक की लोकप्रियता का ग्राफ भी बढ़ने का दावा किया जा रहा है। हालांकि, स्थानीय लोग इसे विडंबना मानते हुए कहते हैं कि डर और दबंगई के चलते बनी यह लोकप्रियता टिकाऊ नहीं होगी।
कम लिखा ज्यादा समझना – इशारों में निशाना
इस पूरे घटनाक्रम पर कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इशारों-इशारों में ही निशाना साधते हुए कहा है कि अब पालक को ही सोचना होगा कि इन उजाड़ू सांडों को बांधकर काबू में रखा जाए या फिर खुले में छोड़ दिया जाए। चेतावनी साफ है—अगर स्थिति नहीं संभाली गई तो माहौल और बिगड़ सकता है।