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माधोपुर कांड में अदालत का बड़ा फैसला: तीन नामजद पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज के आदेश,, CO रैंक अधिकारी करेंगे निष्पक्ष जांच,, वरिष्ठ अधिवक्ता सज्जाद अहमद की दलीलों पर अदालत का संज्ञान,, मृतक जिम ट्रेनर मोनू को न्याय की उम्मीद

इन्तजार रजा हरिद्वार- माधोपुर कांड में अदालत का बड़ा फैसला: तीन नामजद पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज के आदेश,, CO रैंक अधिकारी करेंगे निष्पक्ष जांच,,
वरिष्ठ अधिवक्ता सज्जाद अहमद की दलीलों पर अदालत का संज्ञान,, मृतक जिम ट्रेनर मोनू को न्याय की उम्मीद

रिपोर्ट: इन्तजार रजा, ब्यूरो – Daily Live Uttarakhand, हरिद्वार

हरिद्वार जनपद के चर्चित माधोपुर प्रकरण में आखिरकार न्यायपालिका ने सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने तीन नामजद पुलिसकर्मियों—उपनिरीक्षक शरद सिंह, कांस्टेबल सुनील सैनी और कांस्टेबल प्रवीण सैनी—के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही अन्य अज्ञात पुलिसकर्मियों को भी जांच के दायरे में लाने को कहा गया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच CO रैंक के अधिकारी द्वारा कराई जाए, ताकि पीड़ित पक्ष को निष्पक्ष न्याय मिल सके।

🔍 मामला क्या है?

यह मामला 24-25 अगस्त 2024 की रात का है जब सोहलपुर गाड़ा निवासी जिम ट्रेनर वसीम उर्फ मोनू की लाश गांव के पास एक तालाब में मिली थी। घटना के तत्काल बाद पुलिस ने इसे पानी में डूबकर मौत का मामला बताया और केस को बंद कर दिया गया। लेकिन मृतक के परिजनों ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई और संरक्षण स्क्वायड टीम पर सुनियोजित हत्या का आरोप लगाया।

परिजनों ने दावा किया था कि मोनू को झूठे बहाने से बुलाया गया, फिर टॉर्चर कर तालाब में डुबोकर मार दिया गया। मामले में पुलिस की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए थे, लेकिन एक साल तक कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके चलते स्थानीय जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिए। सोशल मीडिया पर भी मामले ने जोर पकड़ा, कई नेताओं और संगठनों ने मोनू को इंसाफ दिलाने की अपील की।

⚖ अदालत ने लिया संज्ञान

इस पूरे मामले को लेकर मृतक के चचेरे भाई ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया, जिसकी वरिष्ठ अधिवक्ता सज्जाद अहमद ने मजबूत पैरवी की। सज्जाद अहमद ने अदालत के सामने घटना के तमाम तथ्यों और विरोधाभासी बयानों को दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किया, जिसके बाद कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज करने और निष्पक्ष जांच के आदेश जारी किए।

🗣 क्या कहते हैं वरिष्ठ अधिवक्ता सज्जाद अहमद

इस मामले में पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सज्जाद अहमद ने Daily Live Uttarakhand से विशेष बातचीत में कहा:

“हमने अदालत में तथ्यात्मक रूप से यह सिद्ध किया कि यह सामान्य मौत नहीं थी, बल्कि एक साजिश के तहत की गई हत्या थी। पुलिस ने न केवल इस साजिश को दबाने की कोशिश की, बल्कि उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से साक्ष्य भी छुपाए गए। अदालत ने हमारे पक्ष को मानते हुए तीन नामजद पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं और यह फैसला न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है।“यह आदेश सिर्फ एक परिवार को न्याय दिलाने का नहीं, बल्कि यह पूरे तंत्र को जवाबदेह बनाने की प्रक्रिया है। अब पुलिस को जवाब देना होगा और जनता को भरोसा मिलेगा कि न्यायपालिका कमजोर नहीं है।”

📰 समाज में फिर से उबाल

कोर्ट के इस आदेश के बाद माधोपुर प्रकरण एक बार फिर चर्चाओं में है। सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि अब दोषियों को सजा दिलाने की जिम्मेदारी प्रशासन की है। गंगनहर कोतवाली पुलिस को कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 24 घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज की जाए और जांच प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाए।

वहीं परिजनों ने अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि अब उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।

“हमने एक साल तक हर दरवाजा खटखटाया, लेकिन हमें सिर्फ धोखा मिला। अब कोर्ट ने जो फैसला दिया है, वो हमारे लिए उम्मीद की किरण है।”

🛑 पुलिस की चुप्पी सवालों में

अब तक इस मामले में पुलिस विभाग की तरफ से कोई अधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन सवाल यह उठ रहे हैं कि जब परिजन और समाज के लोग एक साल से लगातार न्याय की मांग कर रहे थे, तो पुलिस ने मामले को गंभीरता से क्यों नहीं लिया? क्या यह केवल लापरवाही थी या किसी गहरी साजिश को दबाने की कोशिश?

वर्तमान में हरिद्वार के एसएसपी से लेकर जिला प्रशासन पर इस फैसले के बाद दबाव बढ़ गया है। अदालत द्वारा जांच CO रैंक के अधिकारी से कराने के निर्देश से यह साफ है कि निचले स्तर पर जांच की प्रक्रिया पर न्यायालय को भरोसा नहीं रहा।

✅ माधोपुर का यह प्रकरण उत्तराखंड की कानून व्यवस्था और पुलिस की जवाबदेही पर बड़ा सवालिया निशान रहा है। कोर्ट के इस हस्तक्षेप ने न केवल पीड़ित परिवार को न्याय की नई उम्मीद दी है, बल्कि पुलिस और प्रशासन के लिए भी यह एक चेतावनी है कि अब किसी भी मामले में लापरवाही नहीं चलेगी।

अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि गंगनहर कोतवाली पुलिस कितनी तेजी से एफआईआर दर्ज करती है और CO स्तर की जांच कितनी पारदर्शी होती है। जनता और परिजन यही चाह रहे हैं कि मोनू को न्याय मिले और दोषियों को सजा।

इन्तजार रजा हरिद्वार 
Daily Live Uttarakhand

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