उत्तराखण्ड सचिवालय में संस्कृत की पाठशाला का शुभारंभ, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया औपचारिक उद्घाटन, राजकीय कार्य संस्कृति में भारतीयता और परंपरा के समावेश की पहल

इन्तजार रजा हरिद्वार- उत्तराखण्ड सचिवालय में संस्कृत की पाठशाला का शुभारंभ,
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया औपचारिक उद्घाटन,
राजकीय कार्य संस्कृति में भारतीयता और परंपरा के समावेश की पहल
उत्तराखण्ड की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य सचिवालय में संस्कृत की पाठशाला की शुरुआत की गई है। इस नवाचार का औपचारिक उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। यह पहल राज्य सरकार की उस सोच को दर्शाती है, जिसमें प्रशासनिक तंत्र को भारतीय संस्कृति से जोड़ने और राजकीय कार्य प्रणाली में भारतीय भाषाओं की उपस्थिति को सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।
संस्कृति और प्रशासन का संगम
मुख्यमंत्री श्री धामी ने उद्घाटन समारोह में कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता की आत्मा है। उन्होंने कहा कि इस पाठशाला के माध्यम से सचिवालय में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों को संस्कृत सीखने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी भाषा, व्यवहार और चिंतन में भारतीयता का और गहरा समावेश हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार की मंशा केवल औपचारिकता निभाने की नहीं, बल्कि वास्तव में संस्कृत को जीवन शैली का हिस्सा बनाने की है।
प्रारंभिक प्रशिक्षण और योजना
संस्कृत पाठशाला का संचालन उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी के सहयोग से किया जा रहा है। शुरुआती चरण में सचिवालय के 50 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस प्रशिक्षण में भाग लेने की इच्छा जताई है। सप्ताह में तीन दिन आयोजित होने वाली यह कक्षाएं शाम के समय चलाई जाएंगी ताकि कर्मचारियों के सामान्य कार्य समय में कोई बाधा न हो। पाठ्यक्रम में संस्कृत भाषा की मूलभूत समझ, दैनिक संवाद, श्लोकों का उच्चारण तथा प्राचीन भारतीय प्रशासनिक ग्रंथों का परिचय शामिल किया गया है।
राज्य के लिए नई दिशा
मुख्यमंत्री ने यह भी संकेत दिया कि यदि यह प्रयास सफल होता है, तो अन्य सरकारी विभागों में भी इसी तरह की पाठशालाओं की शुरुआत की जाएगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में राज्य के स्कूलों और कॉलेजों में संस्कृत को और अधिक सशक्त ढंग से पढ़ाने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे। उनका मानना है कि जिस राज्य की पहचान चारधाम और वेदों की भूमि के रूप में है, वहां संस्कृत का प्रचार-प्रसार एक नैतिक दायित्व भी है।
सामाजिक सरोकार और सकारात्मक संदेश
सचिवालय में संस्कृत पाठशाला की शुरुआत न केवल एक प्रशासनिक पहल है, बल्कि यह समाज को एक गहरा संदेश भी देती है कि पारंपरिक भाषाएं और संस्कृति आज भी प्रासंगिक हैं। यह पहल उन युवाओं को भी प्रेरित करेगी जो आधुनिकता की दौड़ में अपनी जड़ों से दूर होते जा रहे हैं। संस्कृत की ओर यह पुनःप्रवृत्ति राज्य को न केवल सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाएगी, बल्कि एक सकारात्मक और आत्मगौरव से भरी कार्य संस्कृति का निर्माण भी करेगी।
संक्षेप में, उत्तराखण्ड सचिवालय में संस्कृत की पाठशाला का शुभारंभ मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा उठाया गया एक सांस्कृतिक और बौद्धिक नवाचार है, जो आने वाले समय में उत्तराखण्ड को सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में और भी मजबूती से आगे ले जाएगा।