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गढ़मीरपुर से पंजाब बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री रवाना,, सामाजिक सौहार्द और इंसानियत का अनूठा उदाहरण पेश कर रहा गढ़मीरपुर,, युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक ने मिलकर दिखाया सेवा और सहयोग का जज्बा

इन्तजार रजा हरिद्वार- गढ़मीरपुर से पंजाब बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री रवाना,,

सामाजिक सौहार्द और इंसानियत का अनूठा उदाहरण पेश कर रहा गढ़मीरपुर,,

युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक ने मिलकर दिखाया सेवा और सहयोग का जज्बा

हरिद्वार। गढ़मीरपुर गांव ने एक बार फिर सामाजिक सौहार्द और इंसानियत की मिसाल कायम की है। पंजाब में आई भीषण बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए गढ़मीरपुर से राहत सामग्री से भरे ट्रक आज रवाना किए गए। इस पहल ने न केवल पूरे क्षेत्र में सकारात्मक संदेश दिया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि जब इंसानियत की पुकार होती है तो किसी भी धर्म, जाति या क्षेत्र की सीमाएं मायने नहीं रखतीं।

सामूहिक प्रयास से जुटाई गई राहत सामग्री

गढ़मीरपुर के निवासियों ने पिछले कई दिनों से बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए अभियान चलाया। गांव के लोगों ने कपड़े, राशन, दवाइयां, बिस्तर, दूध पाउडर और बच्चों के लिए जरूरी सामान इकट्ठा किया। यहां तक कि महिलाओं ने अपने घरों से आटा-दाल, अचार और सूखा खाना तैयार कर दिया ताकि पीड़ितों तक तुरंत राहत पहुंच सके। युवाओं ने सोशल मीडिया और जनसंपर्क के जरिए अपील की और आसपास के इलाकों से भी लोग सहयोग के लिए आगे आए।

स्थानीय पंचायत भवन में एक बड़ा कैंप लगाया गया था, जहां सैकड़ों लोगों ने अपनी क्षमता अनुसार सहयोग दिया। कोई नकद राशि लेकर आया, तो कोई जरूरी दवाइयां और खाने-पीने का सामान। देखते ही देखते पूरा परिसर राहत सामग्री से भर गया।

समाजसेवियों और युवाओं की अगुवाई

इस अभियान की कमान गांव के युवाओं और स्थानीय समाजसेवियों ने संभाली। सभी ने मिलकर राहत सामग्री की पैकिंग की और ट्रक पर लोड किया। युवाओं ने रातभर काम कर सामग्री को व्यवस्थित ढंग से तैयार किया ताकि पंजाब पहुंचने के बाद जरूरतमंदों तक आसानी से वितरित हो सके।

समाजसेवी संगठनों और धार्मिक संस्थाओं ने भी इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कई बुजुर्गों ने कहा कि गढ़मीरपुर की यह परंपरा रही है कि जब भी कहीं आपदा आती है, गांव के लोग हमेशा आगे बढ़कर मदद करते हैं।

इंसानियत की सेवा सबसे बड़ा धर्म

गढ़मीरपुर के लोगों ने इस मौके पर यह संदेश दिया कि इंसानियत की सेवा सबसे बड़ा धर्म है। एक बुजुर्ग महिला ने भावुक होकर कहा, “हमने खुद कई बार आपदाओं का सामना किया है, इसलिए हमें पता है कि ऐसे हालात में मदद कितनी जरूरी होती है। आज अगर पंजाब के लोग संकट में हैं तो उनकी मदद करना हमारा फर्ज है।”

पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया कि यह सिर्फ शुरुआत है। आने वाले दिनों में और भी राहत सामग्री भेजी जाएगी। उन्होंने सभी ग्रामीणों का आभार जताया और कहा कि यह गांव की एकता और भाईचारे का परिणाम है।

स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने भी इस पहल की सराहना की और ट्रक को सुरक्षित रवाना करने की व्यवस्था की। हरिद्वार पुलिस ने सुनिश्चित किया कि राहत सामग्री लेकर जा रहा काफिला बिना किसी परेशानी के पंजाब की सीमा तक पहुंचे। यह सहयोग भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि यदि हर गांव और समाज इसी तरह आगे आए तो किसी भी आपदा से लड़ना आसान हो जाएगा।

भावुक विदाई का दृश्य

जब राहत सामग्री से लदे ट्रक गांव से रवाना हुए तो माहौल बेहद भावुक हो गया। गांव के बच्चे और महिलाएं हाथ हिलाकर विदाई दे रहे थे और दुआएं मांग रहे थे कि यह मदद सही समय पर सही लोगों तक पहुंचे। कुछ ग्रामीणों ने गंगा जल छिड़ककर ट्रक को शुभकामनाओं के साथ रवाना किया।

युवाओं के चेहरों पर संतोष साफ झलक रहा था। सभी को इस बात की खुशी थी कि उनके छोटे-छोटे प्रयास मिलकर किसी की जिंदगी में बड़ा सहारा बन सकते हैं।

एकता और गंगा जमुनी तहजीब के संगम का संदेश

गढ़मीरपुर से रवाना हुए इस राहत अभियान ने पूरे उत्तराखंड को यह संदेश दिया है कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं। यहां न किसी ने धर्म देखा, न जात-पात; सभी ने सिर्फ पीड़ितों का दर्द समझा और मदद का हाथ बढ़ाया।

यह घटना बताती है कि गढ़मीरपुर जैसे गांव आज भी सामाजिक एकता और भाईचारे की जीवंत मिसाल हैं। जहां हर समस्या का हल आपसी सहयोग और सामूहिक प्रयास से निकाला जाता है।

गांव के युवाओं ने घोषणा की है कि राहत सामग्री का यह सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा। वे लगातार संपर्क में रहकर पंजाब के प्रभावित इलाकों की जरूरतें जानेंगे और उसी के अनुसार अगली खेप तैयार करेंगे। इसके लिए उन्होंने एक स्थायी कमेटी भी बनाई है ताकि काम व्यवस्थित रूप से चलता रहे। गढ़मीरपुर से पंजाब बाढ़ पीड़ितों के लिए रवाना हुई राहत सामग्री सिर्फ सामान भर नहीं, बल्कि यह इंसानियत और भाईचारे का संदेश है। यह पहल न केवल बाढ़ पीड़ितों के लिए सहारा बनेगी, बल्कि समाज को यह भी सिखाएगी कि आपदा के समय हाथ से हाथ मिलाकर खड़ा होना ही असली ताकत है।

इस दौरान जैरे सरपरस्त सय्याद आहतशा आलम हाफ़िज़ फुरकान इमाम शाही जामा मस्जिद गढ़ इमाम नूरी मस्जिद गढ़ राव अत्ताउल्लाह राव मुजीब कुंवर राव अखलाक राव जुनैद राव अरशद उर्फ बिल्ला जमाल पुंडीर डॉ राव समीर राव अलीनवाज राव सुहेल डॉ नफीस अब्बासी रिफ़ाकात अली राव सुहेल उर्फ मुल्लाजी राव गुलाम फरीद चक्की वाले गुलशेर मौलवी नावेद साबरी हाफिज डॉक्टर राव दिलदार मेहरबान कुरैशी डॉ राव रिजवान आदि मौजूद रहे

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