कुम्भ मेला 2027 की तैयारियों में तेज़ी,, मेलाधिकारी सोनिका ने किया स्थलीय निरीक्षण, अधिकारियों को सख्त निर्देश,, सुमननगर-धनौरी मार्ग और रपटा पुल की बदहाली बनी बड़ी चुनौती

इन्तजार रजा हरिद्वार- कुम्भ मेला 2027 की तैयारियों में तेज़ी,,
मेलाधिकारी सोनिका ने किया स्थलीय निरीक्षण, अधिकारियों को सख्त निर्देश,,
सुमननगर-धनौरी मार्ग और रपटा पुल की बदहाली बनी बड़ी चुनौती
हरिद्वार, 4 सितम्बर।
कुम्भ मेला 2027 को दिव्य और भव्य स्वरूप देने के लिए तैयारियों में तेजी लाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है। मेला क्षेत्र में मेलाधिकारी श्रीमती सोनिका ने स्थलीय निरीक्षण कर जहां कार्यों में तेजी लाने और गुणवत्ता पर कोई समझौता न करने की हिदायत दी, वहीं दूसरी ओर सुमननगर-धनौरी मुख्य मार्ग और रपटा पुल की जर्जर स्थिति ने सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
निरीक्षण में मिले बड़े निर्देश
मेलाधिकारी सोनिका ने 4 सितम्बर को विभिन्न स्थानों का दौरा कर अधिकारियों को स्पष्ट किया कि कुम्भ से जुड़े सभी निर्माण और सौंदर्यीकरण कार्य समय पर पूरे होने चाहिए।
- श्री यंत्र मंदिर सेतु के पास नए घाट के निर्माण के लिए तुरंत काम शुरू करने के निर्देश दिए।
- बैरागी कैम्प के आसपास किए गए अतिक्रमण को हटाने को कहा।
- धनौरी-सिडकुल लिंक रोड पर पुराने पुल की जगह नया पुल बनाने के लिए कार्यदायी संस्था को फौरन काम शुरू करने के आदेश दिए।
- गंग नहर कांवड़ पटरी मार्ग की जगह-जगह टूटी हालत देखकर सुधार और चौड़ीकरण करने की हिदायत दी।
- हरकी पैड़ी के आंतरिक मार्ग और सतीकुंड के सौंदर्यीकरण कार्य का निरीक्षण कर समयबद्ध कार्रवाई करने को कहा।
- आर्यनगर चौक से बाल्मीकि चौक तक के मार्ग को देहरादून के राजपुर रोड की तर्ज पर विकसित करने का खाका तैयार किया।
निरीक्षण के दौरान सोनिका ने साफ कहा कि कुम्भ मेला-2027 राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
सुमननगर-धनौरी मार्ग की दुर्दशा
जहां एक ओर मेला क्षेत्र में सौंदर्यीकरण और चौड़ीकरण की योजनाएं बनाई जा रही हैं, वहीं सुमननगर-धनौरी का मुख्य मार्ग लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इस सड़क की हालत इतनी खराब है कि गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं। बरसात के दिनों में हालात और बिगड़ जाते हैं, जिससे हजारों लोगों की आवाजाही मुश्किल हो जाती है।
यह सड़क सिर्फ हरिद्वार ही नहीं बल्कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाली धुरी है। इसके खराब होने से 50 से ज्यादा गांवों के लोग प्रभावित हैं।
रपटा पुल की जर्जर स्थिति
सबसे गंभीर समस्या रपटा पुल की है, जो अब पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। यह पुल सैकड़ों गांवों को जोड़ने वाली जीवनरेखा माना जाता है। पुल पर दरारें और टूट-फूट इतनी खतरनाक स्थिति में हैं कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि रपटा पुल की मरम्मत और नए पुल के निर्माण की मांग लंबे समय से उठ रही है, लेकिन अधिकारियों ने आंखें मूंद रखी हैं।
प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
जब मेला अधिकारी सोनिका और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ निरीक्षण कर कार्यों की गुणवत्ता और समयबद्धता की बात कर रही थीं, तब सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर क्यों धनौरी-सुमननगर रोड और रपटा पुल जैसी बुनियादी समस्याओं पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो रही। ग्रामीणों ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि मेला क्षेत्र में तो सौंदर्यीकरण हो रहा है, लेकिन आम जनता की जीवनरेखा सड़क और पुल को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
लोगों की आवाज़
- स्थानीय ट्रांसपोर्टर राव अखलाक कहते हैं कि, “हरिद्वार में लाखों श्रद्धालु आएंगे, लेकिन हमारी ग्रामीण क्षेत्रों को शहर से जोड़ने वाली सड़कें खुद श्रद्धालुओं के लिए जनजाल बन चुकी हैं। दुर्घटना रोजाना की कहानी है। सरकार लाखों खर्च कर रही है, लेकिन हमें जीने की बुनियादी सुविधा नहीं मिल रही।”
- वहीं ग्रामीण महिला कहती हैं, “गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को अस्पताल ले जाना बड़ा संकट है। जर्जर पुल पर से एम्बुलेंस गुजरते हुए कांपती है। हमें सिर्फ कुम्भ के नाम पर वादे तो नहीं सुनाए जा रहे हैं।”
अब क्या उम्मीद?
कुम्भ मेला 2027 को सफल बनाने की योजनाओं में करोड़ों का बजट खर्च हो रहा है। लेकिन यदि सुमननगर-धनौरी मार्ग और रपटा पुल जैसी बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी जारी रही, तो न केवल स्थानीय लोग बल्कि हरिद्वार में हरियाणा पंजाब राजस्थान उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों से आने वाले श्रद्धालु भी भारी दिक्कतों का सामना करेंगे।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि सौंदर्यीकरण और दिखावे से पहले बुनियादी ढांचे को मजबूत करे। वरना दिव्य और भव्य कुम्भ का सपना अधूरा रह जाएगा और हादसे प्रशासन की पोल खोल देंगे।
👉 स्पष्ट है कि कुम्भ 2027 की तैयारियों में दिखावा तो हो नहीं हो रहा है, लेकिन सुमननगर-धनौरी की टूटी सड़क और रपटा पुल की क्षतिग्रस्त बदहाली सबसे बड़ी परीक्षा है। अब देखना यह है कि क्या सरकार और प्रशासन और अधिकारी इस हकीकत को स्वीकार कर समय रहते ठोस कदम उठाते हैं या फिर दिव्य-भव्य का नारा कागजों में ही रह जाएगा।