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गांव मीरपुर-मुवाजरपुर में बनी सड़क को लेकर उपजा विवाद जनता मिलन कार्यक्रम में दर्ज हुई शिकायत, कुछ ग्रामीणों पर लगाए गए गाली-गलौज और धमकी के आरोप ग्राम प्रधान और जिला पंचायत सदस्य ने दी निर्माण की वैधता की पुष्टि, अब प्रशासनिक कार्रवाई की मांग तेज

इन्तजार रजा हरिद्वार- गांव मीरपुर-मुवाजरपुर में मानक अनुसार बनी सड़क को लेकर उपजा विवाद

जनता मिलन कार्यक्रम में दर्ज हुई शिकायत, कुछ ग्रामीणों पर लगाए गए गाली-गलौज और धमकी के आरोप

ग्राम प्रधान और जिला पंचायत सदस्य ने दी निर्माण की वैधता की पुष्टि, अब प्रशासनिक कार्रवाई की मांग तेज


हरिद्वार, 20 जून 2025 | संवाददाता – डेली लाइव उत्तराखंड

हरिद्वार जिले के बहादराबाद ब्लॉक अंतर्गत ग्राम मीरपुर-मुवाजरपुर एक बार फिर चर्चा में है, इस बार वजह है एक सार्वजनिक सड़क निर्माण को लेकर उठा विवाद। गांव के ही कुछ लोगों द्वारा मानक के अनुसार बनाई गई इंटरलॉकिंग सड़क को जबरन हटवाने की धमकियां दी जा रही हैं। यह मामला अब जिलाधिकारी तक पहुंच गया है और जनता मिलन कार्यक्रम में पंजीकरण संख्या 65 के अंतर्गत इसे दर्ज कर लिया गया है।

सार्वजनिक सहमति से हुआ था सड़क निर्माण

गांव मीरपुर-मुवाजरपुर में बालेश के घर से अमन सैनी के घर की ओर इंटरलॉकिंग टाइल्स की एक सड़क बनाई गई थी। इस निर्माण को लेकर ग्राम प्रधान अनीता रानी द्वारा स्पष्ट प्रमाण पत्र भी जारी किया गया है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि यह निर्माण ग्राम पंचायत व तहसील प्रशासन की अनुमति और दोनों पक्षों की मौजूदगी में हुआ था। प्रमाण पत्र में साफ लिखा गया है कि सड़क निर्माण कार्य दिनांक 23 मई 2025 को हुई पंचायत बैठक में लिए गए निर्णय के आधार पर हुआ और कार्य मानक के अनुसार कराया गया।

ग्राम प्रधान का कहना है कि “गांव के बहुमत की सहमति से सार्वजनिक रास्ते का यह विकास कार्य हुआ है और इसमें किसी तरह की अवैधता नहीं है। यह कार्य जिला पंचायत सदस्य के सहयोग से कराया गया है।”

धमकी और विरोध में उतरे कुछ ग्रामीण, जनता मिलन में दर्ज कराई शिकायत

हालांकि इस विकास कार्य के खिलाफ गांव के ही कुछ लोगों द्वारा आपत्ति जताई गई है। शिकायतकर्ता अनिल कुमार द्वारा जिलाधिकारी को दिए गए पत्र में स्पष्ट तौर पर आरोप लगाया गया है कि धर्मवीर पुत्र जयचंद, श्रवण पुत्र मेहर सिंह, अंकित पुत्र राजेश, और गजेन्द्र पुत्र समय सिंह नामक ग्रामीण न केवल निर्माण कार्य का विरोध कर रहे हैं, बल्कि गाली-गलौज कर सड़क उखाड़ने की धमकियां भी दे रहे हैं।

शिकायत पत्र में यह भी कहा गया है कि ये लोग तानाशाही व्यवहार करते हुए ग्राम पंचायत द्वारा किए गए सामूहिक निर्णय को चुनौती दे रहे हैं। जिससे गांव का सामाजिक वातावरण बिगड़ने की आशंका है। इन परिस्थितियों को देखते हुए ग्रामीणों ने प्रशासन से हस्तक्षेप और कड़ी कानूनी कार्यवाही की मांग की है।

ग्रामवासियों का समर्थन और हस्ताक्षर, सामूहिक बयान पेश

शिकायतकर्ता अनिल कुमार के साथ-साथ दर्जनों ग्रामवासियों ने इस शिकायत को समर्थन दिया है। वेदपाल, विकास सैनी, अमन कुमार, विशाल सैनी, सतीश, नरेश कुमार, संजय, सुरन शैली और अनुज कुमार सहित कई ग्रामीणों के हस्ताक्षर सहित यह ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया है। ये सभी लोग इस बात पर अडिग हैं कि सड़क का निर्माण पूर्णत: वैध, आवश्यक और ग्रामीण हित में हुआ है।सभी ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि विरोध करने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि गांव में कोई अशांति उत्पन्न न हो और विकास कार्य बाधित न हों।


प्रशासन को अलर्ट – कानून व्यवस्था और विकास कार्य के बीच संतुलन जरूरी

अब यह मामला सीधे-सीधे ग्राम विकास और कानून व्यवस्था की जटिलता से जुड़ गया है। एक ओर गांव के बहुसंख्यक लोग इस सड़क को विकास का प्रतीक मानते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ असंतुष्ट लोगों द्वारा इसे निजी स्वार्थ या ईर्ष्या के कारण हटाने की कोशिश की जा रही है। इस पर जिला प्रशासन को संवेदनशीलता और निष्पक्षता के साथ कार्य करना होगा।

गांव की ग्राम प्रधान अनीता रानी ने डेली लाइव उत्तराखंड को बताया, “हमने पूरी पारदर्शिता के साथ काम किया है, सभी पक्षों की सहमति ली गई थी। अब कुछ लोगों द्वारा जानबूझकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है।

जिलाधिकारी से ग्रामीणों की अपेक्षा – जल्द हो निष्पक्ष जांच

प्रकरण की संवेदनशीलता को देखते हुए ग्रामीणों ने अपेक्षा जताई है कि जिलाधिकारी मयूर दीक्षित इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र अधिकारी से कराएं और दो सप्ताह के भीतर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करें। जनता मिलन जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य भी यही है कि आम नागरिकों की समस्याओं को त्वरित और निष्पक्ष समाधान मिल सके। जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा जारी टिप्पणी के अनुसार, “प्रकरण को गंभीरता से लिया गया है, नियमानुसार जांच कराई जाएगी और दोषियों के विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सकती हैं।”

विकास बनाम विघ्न – छोटे गांवों में बड़ी लड़ाइयों की झलक

गांवों में विकास कार्यों को लेकर उठने वाले इस प्रकार के विवाद अब कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन मीरपुर मुवाजरपुर जैसे मामलों में जहां बहुसंख्यक जनता का समर्थन और ग्राम पंचायत की वैध अनुमति हो, वहां विरोध करने वाले कुछ लोगों की भूमिका संदेहास्पद हो जाती है। यह स्थिति ग्रामीण भारत में विकास कार्यों के मार्ग में आने वाली चुनौतियों की झलक भी दिखाती है।

इस विवाद से स्पष्ट है कि गाँवों में भी अब पारदर्शिता, नियम और जनभागीदारी के साथ किए गए कार्यों को भी राजनीतिक या व्यक्तिगत स्वार्थ के तहत रोका जा सकता है। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे मामलों में निष्पक्ष कार्रवाई कर उदाहरण प्रस्तुत करे।


विकास की राह में बांधा बनते तत्वों पर सख्ती जरूरी

ग्राम मीरपुर मुवाजरपुर की इस घटना से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि जब तक कानून के दायरे में रहकर कार्य करने वालों को संरक्षण और समर्थन नहीं मिलेगा, तब तक ग्रामीण विकास में बाधाएं आती रहेंगी। इसीलिए ग्रामीणों ने एक सुर में प्रशासन से मांग की है कि ऐसे विघ्न डालने वाले लोगों पर कानून की सख्ती दिखाई जाए, जिससे आने वाले समय में गांव में शांति और विकास दोनों संभव हो सके।

तहसीलदार हरिद्वार की ने ये दिए थे आदेश दोनों पक्षों की सुनवाई कर निर्माण कार्य को दी गई हरी झंडी

इस विवाद के समाधान हेतु तहसीलदार हरिद्वार द्वारा दोनों पक्षों की बात को मौके पर सुना गया। तहसीलदार ने निरीक्षण के पश्चात यह स्पष्ट किया कि सड़क का निर्माण कार्य वैध रूप से जिला पंचायत मद से किया जा रहा है, और यह कार्य दोनों पक्षों के मध्य हुई आपसी सहमति के आधार पर दिनांक 25 मई 2025 से प्रारंभ करने का आदेश दिया गया

तहसील प्रशासन द्वारा मौके से सड़क को सुचारू रूप से चालू कराया गया और साथ ही संबंधित ठेकेदार तथा जिला पंचायत हरिद्वार को निर्देशित किया गया कि ग्राम मीरपुर मुवाजरपुर में वाकिंग टाइल्स का कार्य निर्धारित मानकों और समझौते के अनुसार समय पर पूर्ण किया जाए

यह प्रशासनिक हस्तक्षेप इस बात का प्रमाण है कि विकास कार्यों को बाधित करने के प्रयासों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा और सभी पक्षों को सुना जाएगा।

रिपोर्ट: डेली लाइव उत्तराखंड
स्थान: हरिद्वार, उत्तराखंड
सम्पर्क: editor@dailyliveuttarakhand.com

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