ठंडे पानी को तरसे जायरीन, प्रशासन बेपरवाह, कलियर में दो हफ्ते में ही फ्रीजर ठप, भीषण गर्मी में जायरीनों की हालत खराब, जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से नाराज स्थानीय लोग, बोले- “बस दिखावा होता है सेवा का”

इन्तजार रजा हरिद्वार- ठंडे पानी को तरसे जायरीन, प्रशासन बेपरवाह,
कलियर में दो हफ्ते में ही फ्रीजर ठप, भीषण गर्मी में जायरीनों की हालत खराब,
जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से नाराज स्थानीय लोग, बोले- “बस दिखावा होता है सेवा का”
पिरान कलियर (हरिद्वार), 14 जून 2025 | रिपोर्ट: Daily Live Uttarakhand
उत्तर भारत की भीषण गर्मी में जहां लोग थोड़ी राहत के लिए छांव और ठंडे पानी की तलाश करते हैं, वहीं हरिद्वार जिले के पिरान कलियर शरीफ दरगाह में आए हजारों जायरीन इन दिनों बूँद-बूँद पानी को तरस रहे हैं। इमामसाहब रोड पर दो हफ्ते पहले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लगाए गए ठंडे पानी के फ्रीजर अब ठप हो चुके हैं। हालत यह है कि दूर-दराज़ से आए जायरीन ठंडे पानी की एक घूंट के लिए भटक रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं।
जायरीनों की पीड़ा: “फ्रीजर हैं, पर चालू नहीं”
गर्मी के इस भीषण दौर में जहां 40 डिग्री से ऊपर का तापमान पिरान कलियर को तपिश में झुलसा रहा है, वहीं श्रद्धालुओं के लिए ठंडे पानी की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। जायरीनों का कहना है कि दो हफ्ते पहले फ्रीजर लगने से राहत की उम्मीद जगी थी, लेकिन वो राहत कुछ ही दिनों में मायूसी में बदल गई।
जायरीन
“हम यहां मन्नत लेकर आते हैं, ठंडा पानी तक नसीब नहीं हो रहा। फ्रीजर में पानी है नहीं, बाहर की दुकानों से गर्म बोतल वाला पानी खरीदना पड़ता है।”
स्थानीय लोगों का आरोप: “दिखावा ज्यादा, देखरेख शून्य”
पिरान कलियर के स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब प्रशासन ने कुछ लगा कर उसे यूं ही छोड़ दिया हो। न तो रखरखाव होता है और न ही कोई निगरानी।
स्थानीय निवासी सफ़ीक अहमद ने बताया:
“फ्रीजर लगाया गया था इमामसाहब रोड पर, लेकिन दो दिन बाद ही बंद हो गया। न बिजली की सही व्यवस्था, न देखरेख करने वाला कोई कर्मचारी। अब ये लोहे के बक्से बस शोपीस बने हुए हैं।”
स्थानीय दुकानदार नदीम का कहना है:
“गर्मी में लोगों को ठंडे पानी की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। जब तक फोटो खिंचवाने का काम था, सब ठीक था। अब कोई पूछने वाला नहीं।”
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल
जायरीन और स्थानीय लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि क्या जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी सिर्फ उद्घाटन कराने तक ही सीमित रह गई है? क्या इन सुविधाओं की निगरानी और मेंटेनेंस की कोई जवाबदेही नहीं होती?
सामाजिक कार्यकर्ता शहनवाज़ कलियरी ने कहा:
“हर बार जनता की सहूलियत के नाम पर योजनाएं आती हैं, उद्घाटन होता है, प्रेस रिलीज़ जाती है, लेकिन असल में काम ठप ही रहता है।”
स्थानीय विधायक और नगर पंचायत पर भी उठे सवाल
इस मुद्दे पर अब स्थानीय विधायक और नगर पंचायत प्रतिनिधियों पर भी सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि करोड़ों रुपये के विकास कार्यों की बातें होती हैं, लेकिन जायरीनों के लिए एक स्थायी और सही तरीके से काम करने वाला ठंडा पानी सिस्टम तक नहीं बन पाया।
स्थानीय समाजसेवी फुरकान ने चेतावनी दी:
“अगर जल्द फ्रीजरों को दुरुस्त नहीं किया गया तो हम जनप्रतिनिधियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन करेंगे। ये जायरीन हमारी ज़िम्मेदारी हैं।”
“सेवा” सिर्फ नाम की?
दरगाह शरीफ जैसी धार्मिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण जगह पर जब श्रद्धालुओं को इतनी बुनियादी जरूरत – ठंडा पानी – भी न मिले, तो यह सवाल उठता है कि सरकार और प्रशासन की प्राथमिकताएं आखिर हैं क्या? क्या यह “सेवा” का केवल नाम मात्र इस्तेमाल है?
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
जब इस संबंध में नगर पंचायत से जुड़े एक अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया:
“हम इस समस्या की जानकारी लेते हैं और जल्दी ही फ्रीजरों की मरम्मत करवाई जाएगी।”
लेकिन इस बयान से न तो जायरीन संतुष्ट हैं और न ही स्थानीय लोग। उनकी मांग है कि ना सिर्फ फ्रीजरों को तुरंत चालू किया जाए, बल्कि इनके रखरखाव की स्थायी व्यवस्था हो और बिजली आपूर्ति सुचारु रखी जाए।
निष्कर्ष: प्यासे जायरीन, मौन प्रशासन
भीषण गर्मी में जब पिरान कलियर शरीफ जैसे आस्था स्थलों पर हजारों लोग दूर-दराज से पहुंचते हैं, तो ठंडा पानी जैसी बुनियादी सुविधा का ठप हो जाना प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की नाकामी को उजागर करता है। इस मुद्दे पर त्वरित संज्ञान लिए जाने की ज़रूरत है, ताकि आस्था की यात्रा तकलीफ का कारण न बने।
रिपोर्ट: इंतज़ार रज़ा
Daily Live Uttarakhand