हरिद्वार में ग्रामीण आजीविका का नया अध्याय, ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के तहत सीबीओ आधारित पतंजलि आउटलेट का उद्घाटन, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सशक्त कदम

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार में ग्रामीण आजीविका का नया अध्याय,
ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के तहत सीबीओ आधारित पतंजलि आउटलेट का उद्घाटन,
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सशक्त कदम
लक्सर, हरिद्वार: ग्रामीण विकास के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम करते हुए ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना ने हरिद्वार जनपद में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक और प्रभावशाली कदम बढ़ाया है। 22 मई 2025 को विकासखंड लक्सर के आदर्श क्लस्टर लेवल फेडरेशन (सीएलएफ) परिसर में सीबीओ आधारित पतंजलि आउटलेट गतिविधि का औपचारिक शुभारंभ किया गया। इस पहल का उद्देश्य स्थानीय स्वयं सहायता समूहों (SHG) को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के स्थायी अवसर प्रदान करना है।
इस महत्वाकांक्षी पहल का शुभारंभ जिला परियोजना प्रबंधक श्री संजय सक्सेना द्वारा किया गया, जो ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के अंतर्गत कार्यरत हैं। उन्होंने सीएलएफ के अंतर्गत गठित तुलसी स्वयं सहायता समूह द्वारा संचालित होने वाले पतंजलि आउटलेट का उद्घाटन कर इस परियोजना को धरातल पर उतारने का कार्य किया। यह आउटलेट स्थानीय उत्पादों की बिक्री के माध्यम से महिलाओं की आयवृद्धि को सुनिश्चित करेगा।
पांच लाख की लागत, महिलाओं का बड़ा योगदान
इस परियोजना की कुल लागत 5 लाख रुपये निर्धारित की गई है, जिसमें 3 लाख रुपये का सहयोग ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना से प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त 1.5 लाख रुपये का बैंक ऋण और 50,000 रुपये का अंशदान स्वयं लाभार्थी समूह द्वारा किया गया है। इस वित्तीय मॉडल के तहत महिला समूहों को केवल आर्थिक सहायता ही नहीं, बल्कि प्रबंधन, विपणन और उद्यमिता से जुड़ी व्यावहारिक जानकारी भी दी जा रही है। यह मॉडल ग्रामीण महिलाओं को पारंपरिक सीमाओं से निकालकर आर्थिक सशक्तिकरण की मुख्यधारा में लाने का कार्य कर रहा है।
स्वरोजगार और उद्यमिता को मिला नया मंच
आदर्श सीएलएफ के माध्यम से संचालित यह आउटलेट एक नया प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा जहाँ महिला समूह न केवल पतंजलि के उत्पादों की बिक्री कर सकेंगी, बल्कि स्वयं के तैयार उत्पादों को भी बाजार में लाने का अवसर पाएंगी। इस प्रकार यह एक संयुक्त बाजार के रूप में काम करेगा, जो उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच सेतु का कार्य करेगा।
दूसरी ओर, उद्घाटन समारोह के उपरांत जिला परियोजना प्रबंधक श्री संजय सक्सेना ने ब्यूटी पार्लर गतिविधि का भी निरीक्षण किया, जो सीएलएफ के तहत एक और महिला-केंद्रित उद्यम है। इस दौरान उन्होंने लाभार्थियों से संवाद किया और उन्हें बेहतर सेवाएं देने व अधिक से अधिक ग्राहक जोड़ने के लिए मार्गदर्शन किया। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की सेवाएं आजकल बड़ी मांग में हैं और यदि सही रणनीति अपनाई जाए, तो इससे महिलाओं को अच्छी आमदनी प्राप्त हो सकती है।
गुणवत्ता और विपणन पर विशेष जोर
श्री सक्सेना ने उत्पाद निरीक्षण के दौरान महिला उत्पादकों से गुणवत्ता और बाजार रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने समूहों को सलाह दी कि वे अपने उत्पादों की गुणवत्ता को बनाए रखें, पैकेजिंग में नवाचार करें और सोशल मीडिया जैसे डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग कर बिक्री को विस्तार दें। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि महिलाएं अपने-अपने उत्पादों के लिए ब्रांडिंग पर विशेष ध्यान दें ताकि उपभोक्ताओं के बीच एक विश्वसनीय पहचान बन सके।
सामाजिक और आर्थिक विकास की राह पर ग्रामीण महिलाएं
इस पूरे कार्यक्रम के दौरान जिला परियोजना कार्यालय से सहायक प्रबंधक लेखा, वाईपी केएम आईटी, विकासखंड स्तरीय कर्मचारी, सीएलएफ स्टाफ तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। सभी ने इस प्रयास की सराहना की और विश्वास जताया कि यह पहल ग्रामीण महिलाओं के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक सिद्ध होगी।
ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना का यह नवीन प्रयास केवल एक आउटलेट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी चेन की शुरुआत है, जो आगे चलकर महिलाओं को छोटे-छोटे समूहों में उद्यमशीलता के लिए प्रेरित करेगी। यह मॉडल न केवल आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा, बल्कि सामाजिक रूप से भी महिलाओं को नई पहचान दिलाएगा।
हरिद्वार के ग्रामीण अंचलों में चल रही ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना धीरे-धीरे एक जनआंदोलन का रूप लेती जा रही है। इसकी गतिविधियाँ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, आजीविका के अवसर बढ़ाने और सामाजिक सम्मान दिलाने की दिशा में कारगर सिद्ध हो रही हैं। सीबीओ आधारित पतंजलि आउटलेट जैसी पहलें केवल स्वरोजगार की मिसाल नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की प्रभावी भागीदारी का भी प्रतीक हैं। यह पहल आने वाले समय में न केवल लक्सर या हरिद्वार, बल्कि पूरे उत्तराखंड में ग्रामीण विकास का आदर्श मॉडल बन सकती है।