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भारत को मिला नया मुख्य न्यायाधीश, दलित समुदाय से दूसरे सीजेआई बने जस्टिस बीआर गवई, संवैधानिक मामलों में निभाई अहम भूमिका, अनुच्छेद 370 हटाने में रहे शामिल, अनुच्छेद 370 जैसे ऐतिहासिक फैसलों में निभाई भूमिका

इन्तजार रजा हरिद्वार- भारत को मिला नया मुख्य न्यायाधीश,
दलित समुदाय से दूसरे सीजेआई बने जस्टिस बीआर गवई,
संवैधानिक मामलों में निभाई अहम भूमिका, अनुच्छेद 370 हटाने में रहे शामिल,

अनुच्छेद 370 जैसे ऐतिहासिक फैसलों में निभाई भूमिका

नई दिल्ली, 14 मई 2025 — भारत के न्यायपालिका इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (बीआर गवई) ने आज देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) के तौर पर शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायिक पद की शपथ दिलाई। जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीनों का होगा और वे 24 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।

पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना के सेवानिवृत्त होने के बाद जस्टिस गवई को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। गौरतलब है कि जस्टिस खन्ना ने ही गवई के नाम की सिफारिश की थी। न्यायिक कार्यशैली, संवैधानिक समझ और निर्णायक क्षमताओं को देखते हुए जस्टिस गवई को यह जिम्मेदारी मिली है।

दलित समुदाय से आने वाले दूसरे सीजेआई

जस्टिस गवई, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के. जी. बालकृष्ण के बाद दलित समुदाय से आने वाले दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्होंने देश के सर्वोच्च न्यायिक पद को सुशोभित किया है। यह सामाजिक समावेशन और न्यायिक क्षेत्र में विविधता की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। जस्टिस गवई महाराष्ट्र के अमरावती जिले के निवासी हैं और उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों पर निर्णय दिए हैं।

अनुच्छेद 370 जैसे ऐतिहासिक फैसलों में निभाई भूमिका

जस्टिस गवई का नाम उन न्यायाधीशों में शामिल है जिन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने जैसे ऐतिहासिक फैसलों में भागीदारी निभाई। यह फैसला देश के संवैधानिक ढांचे और संघीय ढांचे के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था।

सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई जनहित याचिकाओं और सामाजिक न्याय से जुड़े मामलों में सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी न्यायिक शैली में संतुलन, सहिष्णुता और संविधान की मूल भावना के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से झलकती है।

अगले छह महीने की चुनौतियां

जस्टिस गवई का कार्यकाल भले ही छह महीने का है, लेकिन इस अवधि में कई बड़े संवैधानिक और सामाजिक मामलों की सुनवाई होने वाली है। उनसे न्यायपालिका की निष्पक्षता, पारदर्शिता और तेज़ न्याय प्रक्रिया को बनाए रखने की उम्मीद की जा रही है। साथ ही, अदालतों में लंबित मामलों की संख्या को कम करना भी उनके सामने एक प्रमुख चुनौती होगी।

भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस गवई का यह कार्यकाल ऐतिहासिक, प्रेरणादायक और न्यायिक प्रक्रिया को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है।

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