रुड़की में वन विभाग की बड़ी कार्रवाई, मछली बाजार में छतों पर पिंजरों में कैद बेजुबान तोतों को दिलाई गई आज़ादी, दो संदिग्ध हिरासत में, वन्यजीव अधिनियम के तहत दर्ज हुआ मुकदमा,यह कार्रवाई वन दरोगा आशुतोष नीम के नेतृत्व में की गई
पिंजरे में बंद थी मासूम ज़िंदगियाँ, आखिर कहां से आते थे ये तोते और विभिन्न प्रजातियों के पक्षी?, कार्रवाई से मचा बाजार में हड़कंप, शायद पक्षियों की खरीद-फरोख्त एक पुराना धंधा रहा है , लेकिन अब समय आ गया है कि समाज को इस क्रूरता के खिलाफ भी जागरूक किया जाए:-- वन प्रभाग हरिद्वार

इन्तजार रजा हरिद्वार- रुड़की में वन विभाग की बड़ी कार्रवाई, मछली बाजार में छतों पर पिंजरों में कैद बेजुबान तोतों को दिलाई गई आज़ादी, दो संदिग्ध हिरासत में, वन्यजीव अधिनियम के तहत दर्ज हुआ मुकदमा,यह कार्रवाई वन दरोगा आशुतोष नीम के नेतृत्व में की गई
पिंजरे में बंद थी मासूम ज़िंदगियाँ, आखिर कहां से आते थे ये तोते और विभिन्न प्रजातियों के पक्षी?, कार्रवाई से मचा बाजार में हड़कंप, शायद पक्षियों की खरीद-फरोख्त एक पुराना धंधा रहा है , लेकिन अब समय आ गया है कि समाज को इस क्रूरता के खिलाफ भी जागरूक किया जाए:– वन प्रभाग हरिद्वार
रुड़की (उत्तराखंड): रुड़की वन विभाग ने मंगलवार को शहर के मछली मोहल्ले में अवैध रूप से रखे गए बेजुबान पक्षियों को पिंजरों से मुक्त कराकर एक सराहनीय कदम उठाया। इस कार्रवाई के दौरान दर्जनों तोते बरामद किए गए, जो बेहद बुरी स्थिति में पिंजरों में कैद थे। दो संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है और उनके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
यह कार्रवाई शहर के चर्चित वन दरोगा आशुतोष नीम के नेतृत्व में की गई, जिन्हें इस अवैध कारोबार की गुप्त सूचना मिली थी। सूचना के अनुसार, मछली मोहल्ले की एक इमारत की छत पर बड़ी संख्या में तोते छिपाकर रखे गए थे। टीम ने बिना समय गंवाए छापा मारा और जब पिंजरों को खोलकर देखा गया तो दर्जनों तोते बुरी हालत में पाए गए, जो न तो ठीक से उड़ पा रहे थे और न ही पानी की उपलब्धता थी। गर्मी की तपती धूप में ये मासूम प्राणी तड़प रहे थे।
पिंजरे में बंद थी मासूम ज़िंदगियाँ
पक्षियों की हालत देख कर मौके पर मौजूद अधिकारी भी भावुक हो गए। बरामद किए गए तोतों में कई बीमार और निर्जलित अवस्था में थे। आशुतोष नीम ने बताया कि यह न केवल वन्यजीव अधिनियम का गंभीर उल्लंघन है बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी अमानवीय कृत्य है।
बरामद पक्षियों को तुरंत वन विभाग के संरक्षण केंद्र लाया गया, जहां उनके लिए प्राथमिक चिकित्सा और भोजन-पानी की व्यवस्था की गई। टीम का कहना है कि सभी पक्षियों की सेहत में सुधार आने के बाद उन्हें जंगल में स्वतंत्र रूप से छोड़ दिया जाएगा।
कहां से आते थे ये तोते?
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पूछताछ में पता चला है कि तोते अन्य राज्यों से लाए जा रहे थे और स्थानीय बाजारों में अवैध रूप से बेचे जा रहे थे। हिरासत में लिए गए दोनों व्यक्तियों से यह जानकारी निकलवाने की कोशिश की जा रही है कि यह नेटवर्क कितना बड़ा है, कौन-कौन लोग इस धंधे में शामिल हैं और किन माध्यमों से इन पक्षियों की खरीद-फरोख्त की जाती थी।
संभावना जताई जा रही है कि इस व्यापार में और भी कई लोग शामिल हो सकते हैं और यह एक संगठित गिरोह द्वारा संचालित किया जा रहा है। वन विभाग अब कॉल डिटेल्स और अन्य तकनीकी जांच के जरिए मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन
यह पूरी घटना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अपराध की श्रेणी में आती है। इस अधिनियम के अनुसार किसी भी वन्य प्राणी को बंदी बनाना, खरीदना-बेचना या प्रताड़ित करना दंडनीय अपराध है। तोता भी भारतीय वन्यजीव सूची में शामिल एक संरक्षित प्रजाति है, जिसे पालतू बनाकर रखना कानूनन अपराध है।
वन विभाग की टीम इस मामले में संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया में है। उप प्रभागीय वन अधिकारी डी.पी. बौड़ाई ने कहा कि वन्य प्राणियों के साथ इस तरह की क्रूरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों को सख्त सजा दिलाई जाएगी।
कार्रवाई से मचा बाजार में हड़कंप
इस कार्रवाई के बाद मछली मोहल्ला और आसपास के इलाकों में हड़कंप मच गया। कई दुकानदारों ने अपने ठिकाने खाली कर दिए और कई लोग अपनी दुकानों को बंद करके मौके से फरार हो गए। स्थानीय लोगों की भारी भीड़ छापा स्थल पर जमा हो गई, जिसने वन विभाग की कार्रवाई की प्रशंसा की।
वहीं, कुछ स्थानीय लोगों ने इस अवैध व्यापार के खिलाफ पहले भी आवाज उठाई थी लेकिन डर के मारे खुलकर सामने नहीं आ पाए थे। अब जब विभाग ने ठोस कदम उठाया है, तो लोग आशान्वित हैं कि आने वाले समय में इस प्रकार के क्रूर व्यापार पर अंकुश लगेगा।
पर्यावरणीय और नैतिक दृष्टिकोण
इस घटना ने केवल कानून का उल्लंघन नहीं दिखाया, बल्कि यह भी उजागर किया कि कैसे मानवीय लालच मासूम जीवों की स्वतंत्रता और जीवन को प्रभावित करता है। पक्षी, विशेषकर तोते, खुले आकाश में उड़ने वाले जीव हैं। उन्हें पिंजरे में बंद करना उनके स्वाभाविक जीवन पर अत्याचार है।
पक्षियों की खरीद-फरोख्त एक पुराना धंधा रहा है, लेकिन अब समय आ गया है कि समाज को इस क्रूरता के खिलाफ जागरूक किया जाए। स्कूलों, सामाजिक संगठनों और मीडिया के माध्यम से जन-जागरूकता फैलाना आवश्यक है, ताकि लोग समझ सकें कि पक्षी पिंजरे के लिए नहीं, आकाश के लिए बने हैं।
आगे की रणनीति
वन विभाग ने यह साफ किया है कि इस तरह की छापेमारी आगे भी जारी रहेगी। खासकर त्योहारों या विशेष मौकों पर जब पक्षियों की डिमांड बढ़ती है, विभाग सतर्क रहेगा। साथ ही, आम जनता से भी अपील की गई है कि यदि कहीं भी इस तरह की अवैध गतिविधि की जानकारी हो, तो तत्काल वन विभाग को सूचित करें।
वन दरोगा आशुतोष नीम और उनकी टीम की यह कार्रवाई एक मिसाल बन गई है। यह न केवल कानूनी कार्रवाई है, बल्कि एक सामाजिक और नैतिक जागरूकता का भी प्रतीक है।