✨पिरान कलियर में जश्न-ए-ग़ौसुल आज़म की रौनक बिखरी✨,, खानकाह-ए-शराफतिया सकलैनिया के सज्जादा नशीन शाह ग़ाज़ी मियां बने मरकज़-ए-नज़र,, अमन, मोहब्बत और इंसानियत का पैग़ाम लेकर गूंजा साबिर पाक का मुक़द्दस दरबार,, शाह ग़ाज़ी मियां की आमद से रोशन हुई दरगाह की फिज़ा,, शाह ग़ाज़ी मियां का खिताब — “तसव्वुफ़ का असल पैग़ाम मोहब्बत और खिदमत

इन्तजार रजा हरिद्वार-✨पिरान कलियर में जश्न-ए-ग़ौसुल आज़म की रौनक बिखरी✨,,
खानकाह-ए-शराफतिया सकलैनिया के सज्जादा नशीन शाह ग़ाज़ी मियां बने मरकज़-ए-नज़र,,
अमन, मोहब्बत और इंसानियत का पैग़ाम लेकर गूंजा साबिर पाक का मुक़द्दस दरबार,, 🌙 शाह ग़ाज़ी मियां की आमद से रोशन हुई दरगाह की फिज़ा,, 💫 शाह ग़ाज़ी मियां का खिताब — “तसव्वुफ़ का असल पैग़ाम मोहब्बत और खिदमत
पिरान कलियर (हरिद्वार)। हज़रत साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैह की मुक़द्दस नगरी पिरान कलियर में रविवार को जश्न-ए-गौसुल आज़म (ग्यारवीं शरीफ़) पूरे एहतराम और रूहानियत के माहौल में अंजुमन गुलामाने मुस्तफ़ा सोसायटी के ज़ेरे एहतेमाम मुनअक़िद हुआ।
इस पुरनूर महफ़िल में खानकाह-ए-शराफतिया सकलैनिया, बरेली शरीफ़ के सज्जादा नशीन हज़रत शाह ग़ाज़ी मियां बतौर मेहमान-ए-ख़ास तशरीफ़ लाए। उनकी आमद पर अकीदतमंदों ने कोर कॉलेज तिराहे पर फूलों के हार और “या गौस-ए-पाक मदद!” के नारों से इस्तक़बाल किया।
🌙 शाह ग़ाज़ी मियां की आमद से रोशन हुई दरगाह की फिज़ा
शाह ग़ाज़ी मियां का काफ़िला फूलों से सजे वाहनों के साथ दरगाह बाबा जिलानी शरीफ़ पहुंचा, जहाँ महफ़िल की इब्तिदा फ़ातिहा ख्व़ानी से हुई।
उसके बाद नातख़्वानों ने अपने दिलनशीं कलामात पेश किए, जिन पर मौजूद अकीदतमंद झूम उठे। महफ़िल में “गौसुल आज़म की शान में सलाम” पेश करते हुए सूफियाना रंग अपनी बुलंदी पर था। शाह ग़ाज़ी मियां ने इस मौके पर मुल्क में अमन, भाईचारे और तरक़्क़ी की दुआ मांगी।
बाद नमाज़-ए-ईशा लंगर-ए-आम तक़सीम किया गया, जिसमें हज़ारों की तादाद में मर्द, औरतें और बच्चे शामिल हुए। अगले रोज़ सुबह शाह ग़ाज़ी मियां अपने मुरीदीन और अकीदतमंदों के हमराह दरगाह साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैह हाज़िर हुए और वहाँ चादर पेश कर मुल्क में अमनो-सलामती की दुआएं फरमाईं।
🕊 गद्दीनशीन बनने के बाद दूसरी बार की रूहानी शिरकत
शाह ग़ाज़ी मियां का यह दौरा गद्दीनशीन बनने के बाद दूसरी बार पिरान कलियर में हुआ।
गुज़िश्ता साल अपने वालिद-ए-मुअज्ज़म और पूर्व सज्जादा नशीन हज़रत शाह सकलैन मियां रहमतुल्लाह अलैह के इंतेक़ाल के बाद उन्हें गद्दी-ए-इर्शाद अता की गई थी।
तब से वो खानकाह-ए-शराफतिया की तमाम जिम्मेदारियां अंजाम दे रहे हैं और सूफ़ी सिलसिले की रूहानियत को आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी तशरीफ़अवरी को अहल-ए-पिरान कलियर ने बरकत और फैज़ का ज़रिया बताया।
💫 शाह ग़ाज़ी मियां का खिताब — “तसव्वुफ़ का असल पैग़ाम मोहब्बत और खिदमत है”
अपने रूहानी खिताब में शाह ग़ाज़ी मियां ने फरमाया —
“गौसुल आज़म रहमतुल्लाह अलैह की तालीमात हमें इंसानियत, मोहब्बत और खिदमत-ए-ख़ल्क़ का सबक देती हैं।
यही तसव्वुफ़ का असल पैग़ाम है और इसी से समाज में अमन और इत्तेहाद कायम होता है।”
उन्होंने नौजवानों को नसीहत की कि वो सूफियाओं की राह पर चलें, नफरत के बजाय मोहब्बत फैलाएं, और अपनी ज़िंदगी को इंसानियत की खिदमत के लिए वक़्फ़ करें।
उनके अल्फ़ाज़ों ने महफ़िल में मौजूद हज़ारों दिलों को रूहानी सुकून बख़्शा।
🕌 जश्न-ए-गौसुल आज़म की रूहानी अहमियत
यह जश्न हज़रत शेख अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाह अलैह की याद में हर साल पूरी दुनिया में मनाया जाता है।
हज़रत जीलानी को गौस-ए-आज़म दस्ता-गीर के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने अपनी तालीमात से पूरी उम्मत को रौशन किया। इस दिन सूफियाए किराम कुरआन ख्व़ानी, ज़िक्रो-अज़कार, महफ़िल-ए-समां, लंगर और चादरपोशी के ज़रिए अपनी अकीदत पेश करते हैं।
मक़सद होता है — अल्लाह की मोहब्बत और इंसानियत का पैग़ाम आम करना। पिरान कलियर की सरज़मीन पर इस साल का जश्न पहले से भी ज़्यादा रौनक और इत्तेहाद का पैग़ाम लेकर आया।
दरगाह साबिर पाक की गलियों में “या गौस-ए-पाक मदद!” की सदाएं गूंज उठीं और पूरा इलाक़ा रूहानी नूर से जगमगा उठा।
🌿 अंजुमन गुलामाने मुस्तफ़ा सोसायटी की ख़िदमत और कामयाबी
इस मुबारक जश्न के इंतज़ामात की तमाम ज़िम्मेदारी अंजुमन गुलामाने मुस्तफ़ा सोसायटी ने बख़ूबी निभाई।
सोसायटी के सिक्रेटरी हाजी शादाब साबरी और उनके हमराह जिम्मेदारान ने क़दम-क़दम पर रूहानी लगन और ख़ुलूस के साथ फ़र्ज़ अंजाम दिया।
महफ़िल की साज-सज्जा, अकीदतमंदों की रहनुमाई, लंगर की तंसीम और इंतेज़ामात में उनकी मेहनत क़ाबिले-तारीफ़ रही। स्थानीय अकीदतमंदों ने भी ता’अवुन करते हुए इस जश्न को एक रूहानी इत्तेहाद की मिसाल बना दिया।
दरगाह इंतेज़ामिया और पुलिस-इंतज़ामिया ने भी अमन और इंतज़ामात में अहम किरदार अदा किया।
🌺 पिरान कलियर में रूहानी इत्तेहाद की चमक
जश्न-ए-गौसिया की रात पिरान कलियर की फिज़ा रौशन नूर से नहाई हुई थी।
हर गली, हर चौक पर चिरागां था, महफ़िलों में सलाम और नात की सदाएं गूंज रही थीं।
अकीदतमंदों के चेहरों पर मोहब्बत और इत्तेहाद की झलक साफ़ नज़र आ रही थी। यह जश्न साबित कर गया कि सूफ़ी तालीमात आज भी दिलों को जोड़ने और इंसानियत को रौशन करने की सबसे बड़ी ताक़त हैं।
साबिर पाक की पवित्र नगरी एक बार फिर रूहानियत, अमन और मोहब्बत का मरकज़ बनकर जगमगा उठी।
“जश्न-ए-गौसुल आज़म” — मोहब्बत, बरकत और तसव्वुफ़ की रूहानी शाम,
जिसने पिरान कलियर को फिर से सूफी इत्तेहाद की रोशनी में नहला दिया।