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भोजन माताओं का आक्रोश फूटा, लक्सर तहसील में गरजा प्रदर्शन, मुख्यमंत्री के नाम सौंपा 13 सूत्रीय मांग पत्र, चेतावनी- 26 जून को देहरादून में होगा बड़ा आंदोलन मानदेय, काम का दायरा, सुरक्षा और सम्मान को लेकर उठाई आवाज

इन्तजार रजा हरिद्वार- भोजन माताओं का आक्रोश फूटा, लक्सर तहसील में गरजा प्रदर्शन,
मुख्यमंत्री के नाम सौंपा 13 सूत्रीय मांग पत्र, चेतावनी- 26 जून को देहरादून में होगा बड़ा आंदोलन
मानदेय, काम का दायरा, सुरक्षा और सम्मान को लेकर उठाई आवाज

हरिद्वार, लक्सर।
राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन रसोइया एकता ट्रस्ट के नेतृत्व में मंगलवार को लक्सर तहसील परिसर संघर्ष का गवाह बना। खानपुर और लक्सर ब्लॉक की सैकड़ों भोजन माताओं ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार नारेबाजी करते हुए धरना प्रदर्शन किया और एसडीएम सौरभ असवाल के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को 13 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा।

प्रदर्शन की अगुवाई ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष काजल कटारिया ने की, जिनके नेतृत्व में मौजूद महिलाओं ने सरकार की लचर नीति और लगातार हो रही अनदेखी के खिलाफ आवाज बुलंद की। भोजन माताओं का कहना था कि उन्हें एक ओर जहां समय पर मानदेय नहीं दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उनसे शौचालय साफ करने, झाड़ू लगाने जैसे कार्य जबरन कराए जा रहे हैं, जो उनके कर्तव्यों में नहीं आते।


✅ प्रमुख मांगें जो बनीं आंदोलन की वजह

भोजन माताओं ने सरकार के समक्ष जो 13 मुख्य मांगें रखीं, वे इस प्रकार हैं:

  1. भोजन माताओं से झाड़ू व शौचालय सफाई जैसे कार्य तत्काल रोके जाएं।
  2. स्कूलों से निष्कासित रसोइयों को तत्काल दोबारा नियुक्त किया जाए।
  3. रुका हुआ मानदेय शीघ्र जारी किया जाए।
  4. एमडीएम योजना को ठेकेदारी प्रथा से मुक्त किया जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
  5. मानदेय का भुगतान प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में सीधे बैंक खाते में हो।
  6. कार्यस्थल पर दुर्घटना की स्थिति में इलाज व ₹5 लाख का बीमा सुनिश्चित किया जाए।
  7. महंगाई के अनुपात में मासिक मानदेय ₹15,000 किया जाए।
  8. रसोइयों के लिए समान वेशभूषा तय की जाए।
  9. राजनीतिक व सामाजिक दबाव में रसोइयों की बर्खास्तगी पर रोक लगाई जाए।
  10. 60 वर्ष की उम्र पूर्ण करने पर पेंशन और बच्चों की अनिवार्यता की शर्त समाप्त की जाए।
  11. शिक्षकों व अधिकारियों के बच्चों की पढ़ाई सरकारी स्कूलों में अनिवार्य की जाए।
  12. जून माह की छुट्टियों का वेतन भोजन माताओं को दिया जाए।
  13. मदरसों और निजी स्कूलों की सख्ती से जांच हो और नई मान्यताओं पर रोक लगे।

📢 आंदोलन की चेतावनी: 26 जून को देहरादून में महापड़ाव

प्रदर्शन के दौरान काजल कटारिया ने स्पष्ट शब्दों में कहा,

“हमारे सब्र का बांध अब टूट चुका है। सालों से हमारी मांगें अनसुनी की जा रही हैं। यदि सरकार ने शीघ्र कोई ठोस निर्णय नहीं लिया तो 26 जून को देहरादून में प्रदेश स्तरीय आंदोलन किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी स्वयं सरकार की होगी।”

इसी क्रम में जिलाध्यक्ष अनीता देवी ने कहा कि भोजन माताओं के साथ सरकार का व्यवहार असहनीय हो चुका है। मानदेय से लेकर कार्य सम्मान तक, हर स्तर पर उनके साथ अन्याय हो रहा है।


🎙️ आंदोलन की महिलाएं बोलीं

काजल कटारिया, राष्ट्रीय अध्यक्ष –

“भोजन माताओं से जबरन ऐसे कार्य कराए जा रहे हैं जो हमारी ड्यूटी में नहीं हैं। हमारी मांगे बुनियादी हैं, सम्मान की हैं, इंसाफ की हैं। अब अगर सरकार नहीं सुनती तो हम प्रदेशभर में आंदोलन खड़ा करेंगे।”

अनीता देवी, जिलाध्यक्ष –

“सरकार सिर्फ वादे करती है, हकीकत में कुछ नहीं होता। मानदेय समय पर नहीं आता, छुट्टियों का वेतन नहीं दिया जाता, ऊपर से सम्मान भी नहीं मिलता। अब और नहीं सहेंगे।”


📌 धरना स्थल पर उठीं भावनाएं

  • महिला रसोइयों ने हाथों में बैनर-पोस्टर लेकर सरकार के खिलाफ नारे लगाए –
    “भोजन माताओं का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान”
    “मानदेय में देरी क्यों? जब काम समय पर होता है!”
    “सरकारी स्कूल मजबूत करो, निजी स्कूलों की मान्यता रोको!”
  • तहसील परिसर में प्रदर्शन के चलते दिनभर अफसरों में भी हलचल रही।
  • एसडीएम सौरभ असवाल ने भोजन माताओं को आश्वासन दिया कि उनका ज्ञापन मुख्यमंत्री कार्यालय तक जल्द भेजा जाएगा।

⚠️ सरकार के लिए चेतावनी का संकेत

यह प्रदर्शन लक्सर की सीमाओं तक सीमित नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर जुड़े ट्रस्ट की अगुवाई में भोजन माताओं का यह गुस्सा यदि सरकार ने नहीं सुना, तो आने वाले दिनों में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून भोजन माताओं के ऐतिहासिक आंदोलन का गवाह बन सकती है।


✍️ रिपोर्ट – Daily Live Uttarakhand के लिए
इंतज़ार रज़ा, हरिद्वार
📅 18 जून 2025

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