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हरिद्वार के वकीलों का फूटा ग़ुस्सा: सुप्रीम कोर्ट में CJI पर जूता फेंकने वाले वकील का पुतला दहन,, रोशनाबाद कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं ने जताया आक्रोश, बोले – न्यायपालिका की गरिमा पर हमला बर्दाश्त नहीं,, SCBA ने की सदस्यता रद्द, बार काउंसिल ऑफ इंडिया पहले ही कर चुका है सस्पेंशन

सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर जूता फेंकने की शर्मनाक घटना के खिलाफ हरिद्वार के अधिवक्ताओं का ग़ुस्सा आज फूट पड़ा। अनुसूचित जाति अधिवक्ता कल्याण परिषद, रोशनाबाद हरिद्वार के बैनर तले बड़ी संख्या में वकील एकत्र हुए और सुप्रीम कोर्ट के वकील राकेश किशोर का पुतला दहन किया। अधिवक्ताओं ने इसे “न्यायपालिका की गरिमा पर हमला” बताते हुए आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

इन्तजार रजा हरिद्वार-हरिद्वार में वकीलों का फूटा ग़ुस्सा: सुप्रीम कोर्ट में CJI पर जूता फेंकने वाले वकील का पुतला दहन,,

रोशनाबाद कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं ने जताया आक्रोश, बोले – न्यायपालिका की गरिमा पर हमला बर्दाश्त नहीं,,

SCBA ने की सदस्यता रद्द, बार काउंसिल ऑफ इंडिया पहले ही कर चुका है सस्पेंशन,,

इन्तजार रजा, हरिद्वार, 09 अक्टूबर 2025 — सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर जूता फेंकने की शर्मनाक घटना के खिलाफ हरिद्वार के अधिवक्ताओं का ग़ुस्सा आज फूट पड़ा। अनुसूचित जाति अधिवक्ता कल्याण परिषद, रोशनाबाद हरिद्वार के बैनर तले बड़ी संख्या में वकील एकत्र हुए और सुप्रीम कोर्ट के वकील राकेश किशोर का पुतला दहन किया। अधिवक्ताओं ने इसे “न्यायपालिका की गरिमा पर हमला” बताते हुए आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

अधिवक्ताओं ने हाथों में तख्तियां लेकर जोरदार नारे लगाए — “न्यायपालिका की गरिमा अमर रहे”, “राकेश किशोर मुर्दाबाद”, “सुप्रीम कोर्ट की मर्यादा सर्वोपरि”। उन्होंने कहा कि यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे विधिक समाज की छवि को कलंकित करने वाली है।

वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार ने कहा कि “जो व्यक्ति न्याय की रक्षा की शपथ लेकर इस प्रकार का अपमानजनक कार्य करे, वह वकालत के योग्य नहीं है। यह केवल एक व्यक्ति पर नहीं बल्कि संविधान की आत्मा पर चोट है।” अधिवक्ताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जैसे संस्थान की गरिमा को ठेस पहुँचाना लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए भी घातक है।

SCBA और BCI की सख्त कार्रवाई का स्वागत

वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) द्वारा राकेश किशोर की सदस्यता रद्द किए जाने और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा पहले ही उसका सस्पेंशन किए जाने के निर्णय का समर्थन किया। अधिवक्ताओं ने कहा कि यह कदम न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा हेतु आवश्यक है और यह संदेश देता है कि विधिक समाज ऐसे कृत्य को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा।

एडवोकेट अतुल कुमार ने कहा, “मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की कोशिश केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे न्यायिक तंत्र पर हमला है। यह लोकतंत्र और संविधान के सम्मान के खिलाफ है। ऐसे व्यक्ति को कठोर दंड मिलना चाहिए ताकि कोई भी भविष्य में न्यायपालिका का अपमान करने का दुस्साहस न करे।”

अधिवक्ताओं ने की निष्कासन और मुकदमे की मांग

सभा में उपस्थित अधिवक्ताओं ने एकमत होकर राकेश किशोर को वकालत से निष्कासित करने और उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की मांग की। वकीलों ने कहा कि न्यायपालिका देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की रीढ़ है और उस पर किसी भी प्रकार का हमला राष्ट्र की आत्मा को चोट पहुँचाने जैसा है। सभा में अधिवक्ताओं ने दो मिनट का मौन रखकर न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि हरिद्वार का वकील समाज सदैव संविधान, न्यायालयों और न्याय की गरिमा बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।

एडवोकेट सुशील कुमार (पूर्व अध्यक्ष, बार एसोसिएशन हरिद्वार) ने कहा

 

“यह घटना पूरे वकालत जगत के लिए शर्मनाक है। न्याय के मंदिर में अनुशासन और गरिमा सर्वोपरि होती है। ऐसे व्यक्ति को वकालत से निष्कासित कर सख्त सज़ा दी जानी चाहिए।”

एडवोकेट तनवीर भारती (उपाध्यक्ष, बार एसोसिएशन हरिद्वार) ने कहा —

 

“हरिद्वार का अधिवक्ता समाज न्यायपालिका की मर्यादा की रक्षा में हमेशा अग्रणी रहेगा। इस घटना की जितनी निंदा की जाए, उतनी कम है। हम ऐसी किसी भी हरकत के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति चाहते हैं।”

वकीलों ने जताया एकजुट विरोध

प्रदर्शन में बड़ी संख्या में अधिवक्ता शामिल हुए जिनमें एडवोकेट धर्मेन्द्र, एडवोकेट बलवीर, एडवोकेट राजवीर गुर्जर, एडवोकेट गजेन्द्र बी.एस., एडवोकेट रमेशचंद सहगल बी.एस., एडवोकेट कैलाशपाल बी.एस., एडवोकेट ब्रजपाल सिंह बी.एस., एडवोकेट अनिल कुमार, एडवोकेट सन्दीप सागरियां, एडवोकेट उमेश कुमार, एडवोकेट मोहित, एडवोकेट विकास कुमार, एडवोकेट विमल कुमार, एडवोकेट मोनू राणा, एडवोकेट दीक्षा सिंह, एडवोकेट सीमा, एडवोकेट रश्मि, एडवोकेट साविता देवी, एडवोकेट सौरभ भारती, एडवोकेट शिवकुमार वाल्मीकि, एडवोकेट हरिराम वर्मा समेत अनेक अधिवक्ता उपस्थित रहे।

सभा के अंत में वकीलों ने “न्यायपालिका की गरिमा सर्वोपरि है” के नारे के साथ प्रदर्शन का समापन किया। अधिवक्ताओं ने कहा कि यह विरोध केवल एक घटना का नहीं बल्कि एक संदेश है कि भारत का वकील समाज न्यायपालिका की प्रतिष्ठा की रक्षा में सदैव अग्रिम पंक्ति में रहेगा।

 

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