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अंतरराष्ट्रीय मंच पर गूंजेगी रुड़की के शायर अफजल मंगलौरी की आवाज़,, दुबई और शारजाह के मुशायरों में करेंगे शिरकत, 25 अगस्त को होगा सम्मान,, भारत का साहित्यिक प्रतिनिधित्व कर चुके शायर को मिल रहा वैश्विक सराहना

इन्तजार रजा हरिद्वार- अंतरराष्ट्रीय मंच पर गूंजेगी रुड़की के शायर अफजल मंगलौरी की आवाज़,,

दुबई और शारजाह के मुशायरों में करेंगे शिरकत, 25 अगस्त को होगा सम्मान,,

भारत का साहित्यिक प्रतिनिधित्व कर चुके शायर को मिल रहा वैश्विक सराहना

रुड़की। उत्तराखंड उर्दू अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर अफजल मंगलौरी एक बार फिर वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं। आगामी 23 अगस्त को शारजाह और 25 अगस्त को दुबई में होने वाले अंतरराष्ट्रीय मुशायरों में अफजल मंगलौरी अपनी शायरी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे।

बज्मे आजमगढ़, शारजाह और मैक्वे ग्रुप्स दुबई के पदाधिकारियों ने जानकारी दी कि इस बार न केवल अफजल मंगलौरी मुशायरे में शिरकत करेंगे बल्कि उन्हें विशेष सम्मान भी प्रदान किया जाएगा। दुबई स्थित मैक्वे ग्रुप्स और न्यू टेक ग्रुप्स की ओर से 25 अगस्त को उन्हें साहित्य और शायरी के क्षेत्र में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा।

अफजल मंगलौरी ने अपनी विशिष्ट शायरी और सामाजिक सरोकारों से जुड़े लेखन के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई है। वे 1998 से लेकर अब तक कई देशों जैसे दुबई, शारजाह, सऊदी अरब, नेपाल, पाकिस्तान, मॉरीशस और कतर में भारत की ओर से शिरकत कर चुके हैं। उनके शेर और ग़ज़लें न केवल उर्दू साहित्य के चाहने वालों के दिलों में जगह बनाते हैं बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर को भी वैश्विक मंच पर मजबूती से पेश करते हैं।

गौरतलब है कि हाल ही में नेपाल साहित्य अकादमी ने भी उन्हें ‘नेपाल निशाने उर्दू सम्मान’ से नवाजा था। इससे पहले भी अफजल मंगलौरी को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी शायरी में जहां सामाजिक सरोकार झलकते हैं, वहीं इंसानी रिश्तों की मिठास और जिंदगी के गहरे अनुभव भी बयान होते हैं।

मैक्वे ग्रुप्स के चेयरमैन मुशर्रफ अली खान और बज्मे आजमगढ़ के सचिव ने कहा कि, “अफजल मंगलौरी न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे हिंदुस्तान का गौरव हैं। उनकी शायरी ने सीमाओं को लांघकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय उर्दू साहित्य का परचम बुलंद किया है।”

रुड़की और उत्तराखंड के साहित्यिक व सांस्कृतिक हलकों में अफजल मंगलौरी के इस सम्मान को लेकर गहरी खुशी है। स्थानीय साहित्यकारों और शायरों का कहना है कि यह सम्मान न केवल अफजल मंगलौरी की व्यक्तिगत उपलब्धि है बल्कि समूचे उत्तराखंड और भारत की उर्दू अदब की एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

अफजल मंगलौरी का कहना है कि, “शायरी मेरा जज़्बा है और इसे दुनिया के हर कोने तक पहुंचाना मेरा मकसद। भारत की सांस्कृतिक और साहित्यिक पहचान को आगे बढ़ाना मेरे लिए गर्व की बात है।”

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बार-बार सम्मानित होना इस बात का प्रमाण है कि उनकी कलम से निकले अल्फाज़ न केवल भारतीय समाज की असल तस्वीर पेश करते हैं बल्कि इंसानियत और भाईचारे का सार्वभौमिक संदेश भी देते हैं।

👉 यह खबर न केवल उत्तराखंड के लिए गौरव का क्षण है बल्कि उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो साहित्य और शायरी को अपना जीवन समर्पण मानते हैं।

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