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मलेशियाई प्रशासनिक अधिकारियों ने हरिद्वार में जाना भारतीय शासन का अद्भुत मॉडल, सुशासन, आपदा प्रबंधन और सांस्कृतिक धरोहरों पर हरिद्वार प्रशासन से मिला व्यावहारिक ज्ञान प्रशासनिक समन्वय, तकनीकी प्रस्तुति और भारतीय अतिथ्य ने मोहा विदेशी टीम का मन,शासन की संरचना और जिलाधिकारी की भूमिका से हुआ साक्षात्कार,पुलिस तंत्र और कुंभ जैसे आयोजनों की रणनीति से हुई गहरी समझ

इन्तजार रजा हरिद्वार- मलेशियाई प्रशासनिक अधिकारियों ने हरिद्वार में जाना भारतीय शासन का अद्भुत मॉडल, सुशासन, आपदा प्रबंधन और सांस्कृतिक धरोहरों पर हरिद्वार प्रशासन से मिला व्यावहारिक ज्ञान प्रशासनिक समन्वय, तकनीकी प्रस्तुति और भारतीय अतिथ्य ने मोहा विदेशी टीम का मन,शासन की संरचना और जिलाधिकारी की भूमिका से हुआ साक्षात्कार,पुलिस तंत्र और कुंभ जैसे आयोजनों की रणनीति से हुई गहरी समझ

हरिद्वार, 29 अप्रैल 2025 – हरिद्वार का पवित्र तीर्थस्थल इस बार विदेशी आस्थावानों या श्रद्धालुओं के लिए नहीं, बल्कि प्रशासनिक अध्ययन की दृष्टि से चर्चा में रहा। भारत सरकार के राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (National Centre for Good Governance) के तत्वावधान में मलेशिया सिविल सेवा के 24 प्रशिक्षु अधिकारियों का दल हरिद्वार पहुंचा। 9वें प्रशासनिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत यह दल भारत के ज़मीनी प्रशासनिक ढांचे और शासन प्रणाली को समझने के उद्देश्य से हरिद्वार ज़िला मुख्यालय पर पहुँचा।

दल के आगमन पर अपर जिलाधिकारी श्री दीपेंद्र सिंह नेगी ने जिला प्रशासन की ओर से उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। दल के साथ आए कोर्स कॉर्डिनेटर डॉ. संजीव शर्मा और ट्रेनिंग एसोसिएट बृजेश बिष्ट के नेतृत्व में आयोजित इस अध्ययन यात्रा में प्रशिक्षु अधिकारियों ने भारतीय शासन की बहुस्तरीय प्रणाली, आपदा प्रबंधन रणनीतियाँ, पुलिस और स्वास्थ्य सेवाओं की कार्यप्रणाली के साथ-साथ सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से भी सीधा संवाद किया।

शासन की संरचना और जिलाधिकारी की भूमिका से हुआ साक्षात्कार

प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ जिले की वरिष्ठ अधिकारी नलिनी ध्यानी के प्रभावशाली पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन से हुआ। उन्होंने भारत में शासन के तीन स्तरीय ढांचे – केंद्र, राज्य और जिला – के आपसी संबंधों की व्याख्या करते हुए जिलाधिकारी की भूमिका को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी प्रशासनिक नेतृत्व के साथ-साथ जिला मजिस्ट्रेट और जिला निर्वाचन अधिकारी की भूमिका में भी रहते हैं। आपदा के समय जिलाधिकारी को जो विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं, उनके उदाहरणों द्वारा भी उपस्थित अधिकारियों को अवगत कराया गया।

उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए जनपद में योजनाओं के क्रियान्वयन, निगरानी और सामाजिक सहभागिता की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रशिक्षु अधिकारियों ने ग्रामीण विकास, डिजिटल प्रशासन और वित्तीय समावेशन से जुड़े प्रश्न पूछे, जिनका उत्तर संबंधित अधिकारियों ने उदाहरण सहित दिया।

पुलिस तंत्र और कुंभ जैसे आयोजनों की रणनीति से हुई गहरी समझ

हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री जितेंद्र चौधरी ने जिले की पुलिस संरचना और कानूनी व्यवस्था की बारीकियों से प्रशिक्षु टीम को अवगत कराया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कैसे स्थानीय पुलिस, शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ बड़े धार्मिक आयोजनों जैसे कुंभ मेला में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था का कुशल संचालन करती है।

उन्होंने इंटेलिजेंस नेटवर्क, सीसीटीवी निगरानी, ट्रैफिक कंट्रोल, दंगा नियंत्रण इकाइयाँ और आपातकालीन संचार प्रणालियों की जानकारी दी। मलेशियाई अधिकारियों ने विशेष रुचि दिखाते हुए भारत में पुलिस-जनसंपर्क के नए मॉडल जैसे “जन संवाद” और “सिटीजन हेल्पलाइन” की सराहना की।

स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और आपदा प्रबंधन के जमीनी मॉडल

अगले सत्र में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर. के. सिंह ने जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, जन औषधि केंद्र, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम, और आयुष्मान भारत योजना की व्यावहारिक जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार डिजिटल स्वास्थ्य आईडी और ई-हॉस्पिटल सेवाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों तक भी स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाई जा रही हैं।

इसी क्रम में आपदा प्रबंधन अधिकारी मीरा रावत ने हरिद्वार की भौगोलिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए जिला आपदा प्रबंधन योजना, राहत और पुनर्वास कार्यों, तथा आपातकालीन रेस्क्यू सिस्टम पर जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि हरिद्वार गंगा नदी के किनारे बसा हुआ शहर है, जहां बाढ़ और भूस्खलन जैसे खतरे हर वर्ष उत्पन्न होते हैं, जिनसे निपटने के लिए प्रशासन ने पहले से ही मॉक ड्रिल, कंट्रोल रूम और त्वरित प्रतिक्रिया बल (QRT) की व्यवस्था कर रखी है।

जिला बाल विकास अधिकारी सुलेखा सहगल ने आंगनवाड़ी सेवाओं, पोषण अभियान, और महिला सशक्तिकरण योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के साथ महिलाओं की आजीविका को बढ़ावा दिया जा रहा है।

संस्कृति, सौहार्द और अतिथ्य ने छोड़ी गहरी छाप

हरिद्वार प्रशासन ने मलेशियाई दल को न केवल प्रशासनिक जानकारी दी, बल्कि उन्हें हरिद्वार की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत से भी परिचित कराया। गंगा आरती, हर की पैड़ी, और मेलों में प्रशासनिक तैयारियों की बारीकियों को समझाते हुए अधिकारियों ने बताया कि हरिद्वार में आस्था और प्रशासन का एक अद्वितीय संतुलन देखने को मिलता है।

दल के सदस्यों ने हरिद्वार प्रशासन की सराहना करते हुए कहा कि भारत की शासन प्रणाली और समाजिक संरचना से उन्हें कई प्रेरणाएँ मिलीं। उन्होंने भारतीय अधिकारियों की जानकारी, संवेदनशीलता और स्वागतभावना की प्रशंसा की।

कार्यशाला की समाप्ति पर मलेशियाई प्रतिनिधिमंडल के टीम लीडर एवं डायरेक्टर, एडमिनिस्ट्रेशन एंड मैनेजमेंट सर्विसेज मोहम्मद नासिर ने अपर जिलाधिकारी दीपेंद्र सिंह नेगी को प्रतीक चिन्ह भेंट कर आभार प्रकट किया। साथ ही एसपी जितेंद्र चौधरी को भी स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।

इस अवसर पर कोर्स कॉर्डिनेटर डॉ. संजीव शर्मा और प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. बी. एस. बिष्ट ने हरिद्वार प्रशासन की तत्परता और सहयोग के लिए विशेष धन्यवाद प्रकट किया। कार्यशाला में उप जिलाधिकारी जितेंद्र कुमार, जिला विकास अधिकारी वेद प्रकाश, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।

हरिद्वार में संपन्न यह अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक संवाद न केवल अनुभव साझा करने का एक प्रभावशाली मंच बना, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक प्रशासन प्रणाली, सुशासन के प्रयोगों और सांस्कृतिक सौहार्द का एक सशक्त प्रदर्शन भी रहा। ऐसे आयोजनों से वैश्विक स्तर पर भारत की सॉफ्ट पावर और प्रशासनिक प्रभावशीलता का संदेश जाता है।

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