माँ बनी थी दरिंदगी की साझेदार!,, हरिद्वार जेल में बंद आरोपी भाजपा नेत्री और प्रेमी की तीन दिन की पुलिस रिमांड मंजूर-सुत्र,, सुत्रों के मुताबिक पुलिस कर सकती हैं कई अहम सनसनीखेज खुलासे,, मथुरा-आगरा से जुटाए जाएंगे अहम सुबूत,, एसआईटी करेगी घटनास्थलों की गहन तफ्तीश,, SIT की सख्त निगरानी में जांच तेज, कोर्ट में केस का मजबूत आधार बनाने की कड़ी तैयारी

इन्तजार रजा हरिद्वार-माँ बनी थी दरिंदगी की साझेदार!,,
हरिद्वार जेल में बंद आरोपी भाजपा नेत्री और प्रेमी की तीन दिन की पुलिस रिमांड मंजूर-सुत्र,,
सुत्रों के मुताबिक पुलिस कर सकती हैं कई अहम सनसनीखेज खुलासे,,
मथुरा-आगरा से जुटाए जाएंगे अहम सुबूत,,
एसआईटी करेगी घटनास्थलों की गहन तफ्तीश,,
SIT की सख्त निगरानी में जांच तेज, कोर्ट में केस का मजबूत आधार बनाने की कड़ी तैयारी

सूत्रों के मुताबिक, इस बेहद संवेदनशील केस में अब तक की जांच में कई ऐसे साक्ष्य सामने आए हैं जो आरोपियों के खिलाफ केस को मजबूत करने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। इनमें होटल रजिस्टर, सीसीटीवी फुटेज, कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR), और मोबाइल लोकेशन जैसी जानकारियां प्रमुख हैं। यही वजह है कि पुलिस ने कोर्ट से रिमांड मांगी, जिससे सुबूतों की पुष्टि मौके पर जाकर की जा सके।
आरोप बेहद संगीन हैं—मां पर आरोप है कि उसने अपनी नाबालिग बेटी को बहला-फुसलाकर न सिर्फ प्रेमी सुमित पटवाल के हवाले किया, बल्कि एक अन्य व्यक्ति के साथ भी शारीरिक संबंध बनाने को मजबूर किया। यह खुलासा होते ही पूरे प्रदेश में आक्रोश की लहर दौड़ गई थी। रानीपुर थाने में दर्ज रिपोर्ट के आधार पर दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
अब एसएसपी प्रमेन्द्र डोभाल के निर्देशन में एसपी सिटी पंकज गैरोला की निगरानी में गठित विशेष जांच टीम (SIT) मामले की हर परत को खोलने में जुटी है। टीम मथुरा और आगरा के उन होटलों और स्थानों की जांच करेगी, जहां घटनाएं घटित हुईं या जिनसे संबंधित डाटा केस को मजबूत बना सकता है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि पीड़िता के बयान, मेडिकल परीक्षण और प्रारंभिक छानबीन में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ये तथ्य तभी कानूनी रूप से कारगर साबित हो सकते हैं जब इनकी मौके पर पुष्टि हो जाए। यही वजह है कि SIT हर बिंदु पर प्रमाण जुटाने की दिशा में काम कर रही है ताकि अदालत में ऐसा चार्जशीट पेश की जा सके जो आरोपियों को किसी भी कानूनी राहत से दूर रखे।
इस बीच, नाबालिग पीड़िता की सुरक्षा और मानसिक स्थिति को देखते हुए उसकी विशेष देखभाल की जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम उसकी निरंतर काउंसलिंग कर रही है ताकि वह मानसिक आघात से उबर सके।
समाज को झकझोर देने वाला यह मामला इसलिए भी बेहद संवेदनशील बन गया है क्योंकि इसमें एक मां पर ही अपनी बेटी के विश्वास को तोड़ने और उसकी जिंदगी को नरक में झोंकने का आरोप है। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। यह सवाल भी गूंज रहा है कि क्या महिला नेत्री को राजनीतिक संरक्षण हासिल था? क्या इसी वजह से यह मामला पहले दबा दिया गया?
अब जबकि पुलिस ने कानूनी प्रक्रिया को तेज कर दिया है, पूरे राज्य की नजरें इस केस की अगली कड़ियों पर टिकी हैं। क्या तीन दिन की पुलिस रिमांड के दौरान ऐसे सबूत सामने आएंगे जो आरोपियों को कठोरतम सजा तक ले जा सकें? क्या SIT उन सभी चेहरों को उजागर कर पाएगी जो इस अपराध में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल रहे हैं?
फिलहाल पुलिस टीम की तैयारियों और कोर्ट के अगले निर्देशों पर सबकी निगाह है। अगले कुछ दिन इस पूरे मामले की दिशा और भविष्य तय करने वाले साबित हो सकते हैं। यदि पुलिस अपनी रणनीति में सफल रही, तो यह केस उत्तराखंड में न सिर्फ एक नजीर बनेगा बल्कि यौन अपराधों के मामलों में न्याय की गति और गंभीरता को भी साबित करेगा।