नगर पालिका परिषद शिवालिक नगर की लापरवाही पर फूटा जनता का गुस्सा,, कूड़े-कचरे से सड़ रही टिहरी विस्थापित कॉलोनी की गलियां,, सभासद अमरदीप सिंह (राॅबिन) का आरोप – ठेकेदार को बिना काम के भुगतान क्यों, कर्मचारियों को नहीं तनख्वाह,, “तनख्वाह नहीं मिली तो काम क्यों करेंगे?” कर्मचारियों की नाराज़गी,, छह महीने से अंधेरे में डूबे, बंद हाईमास्क लाइटें और बढ़ते हादसे,, सुनवाई नहीं तो कूड़ा नगर पालिका दफ्तर भेजने की चेतावनी

इन्तजार रजा हरिद्वार- नगर पालिका परिषद शिवालिक नगर की लापरवाही पर फूटा जनता का गुस्सा,,
कूड़े-कचरे से सड़ रही टिहरी विस्थापित कॉलोनी की गलियां,,
सभासद अमरदीप सिंह (राॅबिन) का आरोप – ठेकेदार को बिना काम के भुगतान क्यों, कर्मचारियों को नहीं तनख्वाह,, 🗣️ “तनख्वाह नहीं मिली तो काम क्यों करेंगे?” कर्मचारियों की नाराज़गी,, 💡 छह महीने से अंधेरे में डूबे, बंद हाईमास्क लाइटें और बढ़ते हादसे,, सुनवाई नहीं तो कूड़ा नगर पालिका दफ्तर भेजने की चेतावनी
हरिद्वार जिले की शिवालिक नगर नगर पालिका परिषद में प्रशासनिक लापरवाही, ठेकेदारों की मनमानी और कर्मचारियों की उपेक्षा के चलते टिहरी विस्थापित कॉलोनी (वार्ड नंबर 07) की जनता का गुस्सा अब सड़कों पर दिखने लगा है। स्थानीय सभासद अमरदीप सिंह से लेकर आम नागरिकों तक, हर कोई पालिका प्रशासन की ढीली कार्यशैली से नाराज़ है। क्षेत्र में कूड़े के अंबार, बंद पड़ी हाईमास्क लाइटें, और सफाई कर्मियों की गैरमौजूदगी ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है।
❗ डोर टू डोर कलेक्शन का फर्जीवाड़ा: ठेकेदार शहदाब को ही बार बार ठेका, सेवा शून्य
सभासद अमरदीप सिंह ने आक्रोश के साथ कहा कि नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा एक फर्जी कंपनी को ‘डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन’ का ठेका दिया गया है, लेकिन वह केवल कागजों में सक्रिय है। अमरदीप ने खुद सुपरवाइजर को कॉल कर सुबह 10 बजे गली नंबर 8, 9, 10, 12 का मुआयना कराया, जहां चार-चार दिन से कूड़ा नहीं उठाया गया था। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो कूड़े की ट्रॉली अध्यक्ष के ऑफिस या घर पर छोड़ दी जाएगी।उनका आरोप है कि इस सेवा में ठेकेदार शहदाब को प्राथमिकता दी जाती है। “हर काम, हर टेंडर शहदाब को ही क्यों? नए निर्माण हों या कूड़ा उठाने की जिम्मेदारी, सबकुछ इसी नाम पर। ये रिश्ता पालिका अध्यक्ष की मेहरबानी का प्रतीक बन चुका है,” अमरदीप सिंह ने कहा।
🗣️ “तनख्वाह नहीं मिली तो काम क्यों करें?” – कर्मचारियों की नाराज़गी
कर्मचारियों की तनख्वाह न मिलने की वजह से पूरे वार्ड में सफाई कार्य ठप हो गया है। कर्मचारियों ने साफ कह दिया है कि जब तक उन्हें वेतन नहीं मिलेगा, तब तक काम नहीं करेंगे। सभासद अमरदीप सिंह ने ईओ (अधिशासी अधिकारी) से बात की तो पता चला कि कर्मचारियों की सैलरी फंसी हुई है, जबकि ईओ अपना हस्ताक्षर कर चुके हैं। अब मामला अध्यक्ष के दस्तखत पर अटका है।
अमरदीप सिंह ने कहा, “पैसे की कोई कमी नहीं है, नगर पालिका के पास ₹39 करोड़ का बजट है। फिर भी नियत की कमी के कारण कर्मचारियों को तड़पाया जा रहा है।” उन्होंने अपील की कि अगर कर्मचारियों की सैलरी रोकी गई तो वे काम पर ना जाएं और डीएम कार्यालय के बाहर धरने पर बैठें।
💡 छह महीने से अंधेरे में डूबा वार्ड: बंद हाईमास्क लाइटें और बढ़ते हादसे
स्थानीय निवासी राजीव कुमार ने बताया कि इलाके में चार हाईमास्क लाइटें छह महीने से बंद पड़ी हैं। एक नई पुल के पास, एक एंट्री गेट पर, एक पेट्रोल पंप के पास और एक नदी रपटे पर लगी लाइटें अब अंधेरे का ठिकाना बन चुकी हैं। “सुरक्षा के नाम पर जो लाइटें लगाई गई थीं, वे खुद सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी हैं। कई एक्सीडेंट इस मोड़ पर हो चुके हैं,” उन्होंने बताया।
लोगों ने कई बार अध्यक्ष, सुपरवाइजर और सफाई निरीक्षकों से संपर्क किया, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। एक अन्य नागरिक योगेश ने बताया कि एक हफ्ते से कूड़ा गाड़ी क्षेत्र में नहीं आई है, और गाड़ी बिना कूड़ा उठाए लौट जाती है।
📄 अमरदीप सिंह ने अधिशासी अधिकारी को भेजा पत्र: भुगतान रोकने की मांग
सभासद अमरदीप सिंह ने 22 जुलाई को अधिशासी अधिकारी को एक आधिकारिक पत्र भेजा, जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि गली नंबर 7 से रपटे तक जाने वाले नाले की सफाई 16 दिन पहले कराई गई थी, लेकिन कूड़ा अब तक नहीं उठाया गया। कई बार फोन और व्हाट्सएप पर समस्या दिखाने के बावजूद कोई समाधान नहीं हुआ।
उन्होंने पत्र में PAC पेट्रोल पंप वाली सड़क पर पड़े कूड़े के अंबारों और अधूरे पड़े कार्यों का भी उल्लेख किया है, जो 30 जून तक पूरे किए जाने थे। अमरदीप ने मांग की है कि संबंधित ठेकेदार का ₹31 लाख का भुगतान तत्काल प्रभाव से रोका जाए क्योंकि भुगतान का मतलब होगा – “बिना काम के लाभ देना”।
😠 जनता में रोष: “शहर में रहने का कोई मतलब नहीं, गांव में रहना बेहतर”
एक अन्य निवासी ने बेहद आहत होकर कहा, “इस शहर में रहकर क्या फायदा? गांव ही बेहतर है, जहां साफ-सफाई हो, रोशनी हो, सुनवाई हो। यहां तो हर ओर कूड़ा, गंदगी और प्रशासनिक उदासीनता है।” लोगों का कहना है कि बीजेपी की सरकार राज्य, केंद्र और स्थानीय निकाय – तीनों जगह है, फिर भी ज़मीनी काम नहीं हो रहे।
📣 जनता त्रस्त, जनप्रतिनिधि हताश, प्रशासन मौन
शिवालिक नगर की टिहरी विस्थापित कॉलोनी में जो हो रहा है, वह किसी एक वार्ड की नहीं, बल्कि समूचे प्रशासनिक तंत्र की नाकामी का उदाहरण है। अध्यक्ष और ईओ के बीच की अदला-बदली में न तो कर्मचारी सुरक्षित हैं, न ही आम जनता। एक ओर करोड़ों का बजट है, दूसरी ओर कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं। एक ओर ठेकेदारों को लाभ पहुँचाया जा रहा है, दूसरी ओर जनता कूड़े में जी रही है।
अब जब खुद सभासद भी डीएम से लेकर नगर पालिका तक लगातार लिखित शिकायतें दे चुके हैं, तो प्रशासन का मौन केवल जिम्मेदारी से भागने का संकेत है। अगर अब भी समाधान नहीं हुआ, तो बहुत संभव है कि आने वाले दिनों में नागरिक उग्र विरोध पर उतर आएं।
अब सवाल यह है – क्या नगर पालिका अध्यक्ष और प्रशासन आंखें खोलेंगे, या जनता को कूड़े के ढेर पर ही लोकतंत्र का ‘विकास’ देखने को मजबूर किया जाएगा?