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हरेला पर बहादराबाद में आम के पेड़ों का कत्ल: हरियाली का अपमान या पर्यावरणीय जिहाद?,, बहादराबाद में दिल्ली हाईवे किनारे आम के पेड़ काटने से उठा बवाल, प्रशासन की चुप्पी बनी सवाल ?,, बहादराबाद में रातों-रात उजड़ा आम का बगीचा, वन और उद्यान विभाग एक-दूसरे पर डालते रहे जिम्मेदारी,, डीएम हरिद्वार मयूर दीक्षित से एसआईटी जांच पड़ताल की गुहार 

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरेला पर बहादराबाद में आम के पेड़ों का कत्ल: हरियाली का अपमान या पर्यावरणीय जिहाद?,,
बहादराबाद में दिल्ली हाईवे किनारे आम के पेड़ काटने से उठा बवाल, प्रशासन की चुप्पी बनी सवाल ?,,
बहादराबाद में रातों-रात उजड़ा आम का बगीचा, वन और उद्यान विभाग एक-दूसरे पर डालते रहे जिम्मेदारी,, डीएम हरिद्वार मयूर दीक्षित से एसआईटी जांच पड़ताल की गुहार

हरिद्वार, 18 जुलाई।
जब पूरा उत्तराखंड हरेला पर्व पर पर्यावरण संरक्षण की शपथ ले रहा था, हरियाली की पूजा कर रहा था, उसी वक्त हरिद्वार-दिल्ली हाईवे किनारे बहादराबाद क्षेत्र में हरे-भरे आम के पेड़ों का कत्लेआम हो गया। स्थानीय चश्मदीदों और ग्रामीणों के अनुसार, 9 जुलाई की रात करीब तीन घंटे में मैक्स अस्पताल के पास स्थित एक आम के बाग को उजाड़ दिया गया। तकरीबन 40–50 पेड़ों को मिट्टी के तेल, कुल्हाड़ियों और ट्रैक्टरों की मदद से काट दिया गया। इस सुनियोजित कार्रवाई में करीब 30–40 मजदूर और ठेकेदार शामिल थे।

पेड़ों की कटाई या सुनियोजित गठजोड़ की साजिश ?

पेड़ काटे जाने की घटना केवल एक सामान्य अतिक्रमण या व्यापारिक लालच नहीं लगती। ग्रामीणों के अनुसार, पिरान कलियर के क्षैत्र के एक तेजतर्रार ठेकेदार नसीम अहमद के इशारे पर यह कटाई हुई। जबकि बाग का स्वामी एक स्थानीय हिंदू किसान है। इससे स्थानीय लोगों में गहरी नाराजगी है और सांप्रदायिक तनाव भी पनपने लगा है। इस घटना को “पर्यावरणीय जिहाद” की संज्ञा देते हुए कहा गया है कि यह केवल पेड़ नहीं काटे गए हैं, बल्कि “आस्था और हरियाली दोनों पर हमला है।”

प्रशासन की ढुलमुल नीति और विभागीय बहानेबाज़ी

घटना की सूचना मिलने पर वन विभाग की SDO पूनम केंथोला ने मौके पर टीम भेजकर एक ट्रॉली जब्त करवाई और निगरानी रखी।

बताया जा रहा है कि बहादराबाद थाने और एसएसपी को रिपोर्ट भेज दी गई है और आगे की कार्रवाई वन विभाग और पुलिस के अधीन है।

इस ‘फुटबॉल’ शैली की जिम्मेदारी टालने की प्रवृत्ति ने जनता के बीच शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।

स्थानीय लोगों की नाराजगी, अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप

स्थानीय नागरिकों ने क्षेत्रीय उद्यान अधिकारीयों पर पेड़ माफियाओं से मिलीभगत का गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पूर्व में भी उद्यान अधिकारीयों पर ऐसे आरोप लग चुके हैं, और अब उनके कॉल रिकॉर्ड्स व ठेकेदारों से संबंधों की स्वतंत्र जांच की मांग हो रही है।

लोगों का कहना है कि यह मामला केवल पेड़ कटाई नहीं बल्कि एक संगठित भ्रष्टाचार और सांठगांठ का उदाहरण है, जिसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हो सकता है।

16 जुलाई को उजड़े बाग की ज़मीन बनी जुताई स्थल

हरेला पर्व के दिन, जब प्रदेशभर में वृक्षारोपण और हरियाली का उत्सव मनाया जा रहा था, तभी बहादराबाद के घटनास्थल से जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए, वे पूरे सिस्टम को बेनकाब कर गईं। पेड़ों के ठूंठ तक वहां से हटा दिए गए हैं और पूरी ज़मीन जुताई करके समतल बना दी गई है।

वीडियो फुटेज में साफ दिखता है कि मजदूर अंधेरे में ट्रैक्टर के साथ पेड़ काट रहे हैं, जबकि कोई भी अधिकारी उन्हें रोकने नहीं आता। सवाल यह भी है कि कटे पेड़ों को क्या वन विभाग ने जब्त किया? या ठेकेदार पेड़ों को उठाकर ले गया? अभी तक इस बारे में किसी विभाग ने कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है।

क्या यह केवल लापरवाही है या कोई गहरी साजिश की परत ?

जब हरेला जैसे पर्व पर प्रकृति की पूजा की जाती है, तब हरियाली को यूं कुचल देना केवल अपराध नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, आस्था और संविधान के अनुच्छेद 48A (पर्यावरण की रक्षा) का भी खुला उल्लंघन है।

यदि यह सुनियोजित गिरोह का हिस्सा है, तो यह प्रशासनिक विफलता से कहीं अधिक गंभीर मामला है। वन संरक्षण अधिनियम 1980 और उत्तराखंड वृक्ष संरक्षण अधिनियम के तहत इस कृत्य पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर खुद को बचाने में लगे हैं।

कब जागेगा प्रशासन?

हरेला पर्व पर 50 आम के पेड़ों की कटाई ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या उत्तराखंड में पर्यावरण सिर्फ उत्सव तक सीमित है? या हरियाली की रक्षा के लिए कोई ठोस इच्छाशक्ति भी है?

प्रशासन की चुप्पी और विभागों की ढुलमुल कार्रवाई यह दर्शाती है कि पर्यावरणीय अपराधियों को सजा मिलने की संभावना नगण्य है। यदि समय रहते दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में हरेला केवल एक ‘औपचारिक पर्व’ बनकर रह जाएगा — और पेड़ों की हत्या एक ‘नया सामान्य’ बन जाएगी।

👉 जनता अब इस पूरे प्रकरण पर SIT जांच की मांग कर रही है, ताकि सच्चाई सामने आ सके और हरियाली को न्याय मिल सके।

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