चारधाम यात्रा: अनाधिकृत ट्रैवल एजेंटों और रजिस्ट्रेशन व्यवस्था से जूझता हरिद्वार का ट्रैवल कारोबार, RTO ने ट्रैवल एजेंटों और चालकों के साथ कुछ समीक्षा बैठक, उचित कार्रवाई का दे दिया आश्वासन

इन्तजार रजा हरिद्वार- चारधाम यात्रा: अनाधिकृत ट्रैवल एजेंटों और रजिस्ट्रेशन व्यवस्था से जूझता हरिद्वार का ट्रैवल कारोबार, RTO ने ट्रैवल एजेंटों और चालकों के साथ कुछ समीक्षा बैठक, उचित कार्रवाई का दे दिया आश्वासन

बैठक का उद्देश्य और आरटीओ की भागीदारी
इस बैठक की अध्यक्षता आरटीओ देहरादून संदीप सैनी ने की। इसमें उन्होंने चारधाम यात्रा संचालन में लगे ट्रैवल कारोबारियों की समस्याएं सुनीं और समाधान का आश्वासन भी दिया। ट्रैवल एजेंटों ने विशेष रूप से दो प्रमुख समस्याएं उठाईं—पहली, हरिद्वार में सक्रिय अनाधिकृत ट्रैवल एजेंटों की बढ़ती संख्या, और दूसरी, कोरोना काल में शुरू हुई रजिस्ट्रेशन प्रणाली के कारण व्यापार पर पड़ता असर।
अनाधिकृत ट्रैवल एजेंटों से बढ़ी समस्याएं
ट्रैवल कारोबारियों ने बताया कि हरिद्वार में कई ऐसे ट्रैवल एजेंट सक्रिय हो गए हैं जो न तो पंजीकृत हैं और न ही अधिकृत। ये एजेंट बाहर से गाड़ियां लेकर हरिद्वार आते हैं और चारधाम यात्रा पर जाने वाले भोले-भाले यात्रियों को भ्रमित करते हैं। इससे दोहरी समस्या उत्पन्न होती है—पहली, यात्रियों को असुविधा होती है क्योंकि उन्हें ठगी का शिकार होना पड़ता है; दूसरी, सरकार और स्थानीय प्रशासन की छवि धूमिल होती है।
ट्रैवल कारोबारियों का कहना है कि इन अनाधिकृत एजेंटों पर कोई नियंत्रण नहीं है। वे न तो निर्धारित दरों पर सेवाएं देते हैं और न ही यात्रियों की सुरक्षा की गारंटी देते हैं। इससे स्थानीय ट्रैवल कारोबार पर सीधा असर पड़ रहा है। यात्रियों का विश्वास भी डगमगाता है, जो एक दीर्घकालिक चुनौती बन सकती है।
ग्रीन कार्ड और ट्रिप कार्ड की जटिलताएं
बैठक में ट्रैवल एजेंटों ने यह भी बताया कि चारधाम यात्रा के लिए आवश्यक ग्रीन कार्ड और ट्रिप कार्ड प्राप्त करने की प्रक्रिया भी काफी जटिल और समय लेने वाली हो गई है। इस प्रक्रिया में कई तकनीकी खामियां हैं, जिससे समय पर कार्ड प्राप्त नहीं हो पाता और यात्रा में बाधा आती है। इससे यात्रियों में नाराजगी पैदा होती है और स्थानीय एजेंटों को फालतू के तानों का सामना करना पड़ता है।
रजिस्ट्रेशन व्यवस्था से व्यापार पर असर
कोविड-19 महामारी के दौरान चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन व्यवस्था लागू की गई थी। इसका उद्देश्य था यात्रियों की ट्रैकिंग और स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करना। लेकिन अब जब महामारी का प्रभाव कम हो गया है, तब भी यह व्यवस्था जारी है, जिससे हरिद्वार के ट्रैवल कारोबार पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।ट्रैवल कारोबारियों का कहना है कि देश के अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों जैसे वैष्णो देवी, तिरुपति बालाजी या शिर्डी में ऐसी कोई संख्या सीमा या रजिस्ट्रेशन की बाध्यता नहीं है। वहीं उत्तराखंड में यात्रियों की सीमित संख्या तय कर दी गई है, जिससे यात्रियों की संख्या घट रही है और स्थानीय एजेंटों की आय पर प्रभाव पड़ रहा है।
आरटीओ का आश्वासन और कार्रवाई की तैयारी
बैठक के दौरान आरटीओ संदीप सैनी ने इन समस्याओं को गंभीरता से लिया और आश्वस्त किया कि प्रशासन इस पर शीघ्र कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में अनाधिकृत ट्रैवल एजेंटों और धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। इसके लिए संबंधित एआरटीओ को निर्देशित कर दिया गया है कि ऐसे अवैध एजेंटों की दुकानों को सील किया जाए। यदि हिदायत देने पर भी वे नहीं मानते तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
आरटीओ ने यह भी कहा कि ट्रिप कार्ड और ग्रीन कार्ड की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए विभाग काम कर रहा है और जल्द ही इसमें सुधार देखने को मिलेगा। उन्होंने ट्रैवल एजेंटों से यह भी अपील की कि वे अधिकृत पंजीकरण कराकर नियमों का पालन करें ताकि किसी प्रकार की कार्रवाई से बचा जा सके।
भविष्य की चुनौतियां और समाधान के सुझाव
ट्रैवल कारोबारियों की समस्याएं केवल वर्तमान परिस्थितियों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये भविष्य में और अधिक जटिल हो सकती हैं यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए। हरिद्वार जैसे धार्मिक पर्यटन स्थल पर पारदर्शी व्यवस्था, अधिकृत एजेंटों की सूची, और तकनीकी रूप से उन्नत रजिस्ट्रेशन प्रणाली को अपनाना आवश्यक है।
इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार को चाहिए कि वह देश के अन्य तीर्थ स्थलों की तर्ज पर रजिस्ट्रेशन प्रणाली में लचीलापन लाए और यात्रियों की संख्या की अनावश्यक सीमाएं समाप्त करे। ऐसा करने से न केवल ट्रैवल कारोबार को संजीवनी मिलेगी, बल्कि राज्य के पर्यटन राजस्व में भी वृद्धि होगी।
हरिद्वार का ट्रैवल कारोबार चारधाम यात्रा का एक अहम हिस्सा है, जो लाखों लोगों की आजीविका से जुड़ा हुआ है। अनाधिकृत ट्रैवल एजेंटों की गतिविधियाँ और रजिस्ट्रेशन प्रणाली की जटिलताएं इस व्यवसाय को नुकसान पहुंचा रही हैं। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह इन समस्याओं का समाधान निकाले और सभी संबंधित पक्षों को साथ लेकर पारदर्शी और सुविधाजनक व्यवस्था सुनिश्चित करे। तभी चारधाम यात्रा न केवल धार्मिक बल्कि व्यवस्थागत दृष्टिकोण से भी सफल हो पाएगी।