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उत्तराखंड में नए सर्किल रेट लागू — जमीन खरीदना हुआ महंगा,, प्रदेशभर में 9% से 22% तक की बढ़ोतरी, रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ेगा सीधा असर,, सरकार को बढ़ेगा राजस्व, आम खरीदारों की जेब पर पड़ेगा बोझ

इन्तजार रजा हरिद्वार- उत्तराखंड में नए सर्किल रेट लागू — जमीन खरीदना हुआ महंगा,,

प्रदेशभर में 9% से 22% तक की बढ़ोतरी, रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ेगा सीधा असर,,

सरकार को बढ़ेगा राजस्व, आम खरीदारों की जेब पर पड़ेगा बोझ

06 अक्टूबर 2025
रिपोर्ट – इन्तजार रजा हरिद्वार Daily live Uttarakhand संपादक 

दो वर्षों के लंबे इंतजार के बाद उत्तराखंड सरकार ने आखिरकार राज्यभर में सर्किल रेट बढ़ाने का बड़ा निर्णय ले लिया है। 5 अक्टूबर से लागू हुए इन नए रेटों ने जमीन, फ्लैट और दुकानों की खरीद-फरोख्त को पहले से कहीं अधिक महंगा बना दिया है। सरकार ने यह कदम राजस्व वृद्धि और रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से उठाया है।

🏗️ राज्यभर में 9% से 22% तक बढ़े सर्किल रेट

वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने पुष्टि की कि प्रदेश के सभी जिलों में सर्किल रेट में औसतन 9% से लेकर 22% तक की वृद्धि की गई है। सभी जिलाधिकारियों को नए रेट तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। देहरादून जिला प्रशासन ने तो रविवार को ही संशोधित दरों की अधिसूचना जारी कर दी, जो 5 अक्टूबर से प्रभावी हो गई है।अब किसी भी संपत्ति की न्यूनतम सरकारी मूल्यांकन दर बढ़ गई है। इसका सीधा असर रजिस्ट्री फीस, स्टाम्प शुल्क और संपत्ति मूल्यांकन पर पड़ेगा, जिससे आम खरीदारों को पहले की तुलना में अधिक भुगतान करना होगा।

🌆 विकासशील और शहरी इलाकों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी

रिपोर्टों के अनुसार, रेट में यह वृद्धि मुख्यतः तेजी से विकसित हो रहे शहरी और उपशहरी क्षेत्रों में की गई है — जैसे देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, हल्द्वानी, रुद्रपुर, काशीपुर और नैनीताल
इन इलाकों में बीते कुछ वर्षों में आवासीय टाउनशिप, वाणिज्यिक परियोजनाएं और औद्योगिक विकास तेजी से हुआ है, जिसके चलते जमीन की मांग और कीमत दोनों में इजाफा हुआ है।पुराने रेट वास्तविक बाजार मूल्य से बहुत कम होने के कारण सरकार को राजस्व हानि हो रही थी। अब नए रेट इस अंतर को कम करेंगे और रियल एस्टेट लेनदेन में अधिक पारदर्शिता लाएंगे।

🧾 प्रस्तावों में त्रुटियों के कारण हुई थी देरी

सर्किल रेट संशोधन की प्रक्रिया लंबे समय से लंबित थी। पहले चरण में जिलों से प्राप्त प्रस्तावों में कई त्रुटियाँ और असंगतियाँ पाई गईं, जिनके कारण शासन ने उन्हें वापस भेजकर संशोधन करने को कहा।
अब सभी जिलों द्वारा प्रस्तुत संशोधित प्रस्तावों की जाँच, सत्यापन और अनुमोदन के बाद शासन ने नई दरें जारी कर दी हैं।

💰 सरकार को मिलेगा अतिरिक्त राजस्व लाभ

नए रेट लागू होने से सरकार के राजस्व में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
वित्त विभाग का अनुमान है कि केवल रजिस्ट्री और स्टाम्प शुल्क से ही राज्य को सैकड़ों करोड़ रुपये का अतिरिक्त वार्षिक राजस्व मिल सकता है।
इससे न केवल सरकारी खजाना मजबूत होगा बल्कि बेनामी संपत्तियों और अघोषित सौदों पर भी अंकुश लगेगा।

🏠 आम खरीदारों और बिल्डरों पर पड़ेगा असर

नई दरों से सबसे अधिक असर मध्यम वर्गीय घर खरीदारों पर पड़ेगा। अब किसी भी फ्लैट, मकान या प्लॉट की रजिस्ट्री पहले की तुलना में 10 से 20% तक महंगी हो जाएगी।
रियल एस्टेट विशेषज्ञों का मानना है कि बिल्डर्स यह अतिरिक्त बोझ ग्राहकों पर डाल सकते हैं, जिससे फ्लैट की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं।हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला दीर्घकाल में रियल एस्टेट बाजार को स्थिर और पारदर्शी बनाएगा।

🔍 क्या है सर्किल रेट और क्यों होता है अहम?

सर्किल रेट किसी भी क्षेत्र में संपत्ति या जमीन का सरकारी निर्धारित न्यूनतम मूल्य होता है।
रजिस्ट्री और स्टाम्प शुल्क इसी दर के आधार पर तय किए जाते हैं।अगर बाजार मूल्य सर्किल रेट से कम है तो भी संपत्ति की रजिस्ट्री सर्किल रेट से नीचे नहीं हो सकती।
इससे सरकार को राजस्व सुरक्षा मिलती है और संपत्ति सौदों में पारदर्शिता बनी रहती है।

🗣️ सरकार की दलील — संतुलित विकास और वास्तविक मूल्यांकन

वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि “पिछले वर्षों में बाजार दरें लगातार बढ़ रही थीं, लेकिन सरकारी सर्किल रेट स्थिर थे। अब यह संशोधन न केवल सरकार के राजस्व को बढ़ाएगा बल्कि लोगों के बीच संतुलित आर्थिक मूल्यांकन की व्यवस्था भी स्थापित करेगा।”

उन्होंने बताया कि आगे से हर वित्तीय वर्ष में दरों की नियमित समीक्षा की जाएगी, ताकि किसी क्षेत्र में विकास और बाजार की गति के अनुसार समय पर संशोधन हो सके।उत्तराखंड में लागू नए सर्किल रेट ने रियल एस्टेट सेक्टर में हलचल मचा दी है।
जहाँ एक ओर सरकार इसे राजस्व सुधार और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम बता रही है, वहीं आम नागरिक और बिल्डर इसे जेब पर अतिरिक्त बोझ मान रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि यह संशोधन प्रदेश की अर्थव्यवस्था और आवासीय बाजार को किस दिशा में ले जाता है — स्थिरता या मंदी

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