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सूफी संत हाफिज मेराज हुसैन साबरी ने उत्तरकाशी आपदा पीड़ितों के लिए दरगाह साबिर पाक में कराई खास दुआ,, रोज़ा-ए-मुबारक पर चादर व फूल पेशकर पीड़ितों की रूहों की मग़फ़िरत के लिए किया गया अहेतमाम,, गरीबों के लिए भव्य लंगर, मुल्क और सूबे की खुशहाली के लिए भी मांगी दुआऐ

इन्तजार रजा हरिद्वार- सूफी संत हाफिज मेराज हुसैन साबरी ने उत्तरकाशी आपदा पीड़ितों के लिए दरगाह साबिर पाक में कराई खास दुआ,,
रोज़ा-ए-मुबारक पर चादर व फूल पेशकर पीड़ितों की रूहों की मग़फ़िरत के लिए किया गया अहेतमाम,,
गरीबों के लिए भव्य लंगर, मुल्क और सूबे की खुशहाली के लिए भी मांगी दुआऐ

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हाल ही में बादल फटने से आई विनाशकारी बाढ़ ने जहां दर्जनों परिवारों को उजाड़ दिया, वहीं सैकड़ों लोगों की जान भी ले ली। इस भीषण त्रासदी के बाद पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। ऐसे मुश्किल समय में समाजसेवी और सूफी संत इंसानियत का पैगाम देते हुए पीड़ित परिवारों की हिम्मत बढ़ाने और उनकी रूहों की मग़फ़िरत के लिए दुआओं का सिलसिला शुरू कर चुके हैं।

इसी क्रम में आज हज़रत सय्यद हाफिज ख्वाजा शमसुद्दीन शाह विलायत तुर्क पानीपत (रह.) के सज्जादा नशीन और प्रसिद्ध सूफी संत सूफी सय्यद हाफिज मेराज हुसैन साबरी अपने मुरीदैन के साथ पिरान कलियर पहुंचे। यहां उन्होंने अपने पीर-ओ-मुर्शिद हज़रत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक कलियरी (रह.) के रोज़ा-ए-मुबारक पर चादर और फूल पेश किए। इसके बाद उत्तरकाशी आपदा में जान गंवाने वाले लोगों की आत्मा को सुकून और उनके परिजनों को इस ग़म की घड़ी में सब्र देने के लिए विशेष दुआ की।

मुल्क और प्रदेश की तरक्की के लिए भी हुई दुआ

सूफी सय्यद हाफिज मेराज हुसैन साबरी ने इस मौके पर सिर्फ आपदा पीड़ितों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश और उत्तराखंड की अमन-चैन, तरक्की और खुशहाली के लिए भी दुआ मांगी। उन्होंने कहा कि इंसानियत का फ़र्ज़ है कि मुश्किल में फंसे भाई-बहनों के लिए हम न केवल दुआ करें बल्कि हर संभव मदद भी पहुंचाएं।

लंगर का हुआ भव्य आयोजन

दुआओं के बाद सूफी संत ने एक बड़े लंगर का अहेतमाम किया, जिसमें गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन वितरित किया गया। यह लंगर इंसानियत और भाईचारे का पैगाम देता रहा। लंगर में शामिल होने वाले लोगों ने कहा कि ऐसे वक्त में समाज में मोहब्बत और एकता की मिसाल कायम करना सबसे अहम है।

स्थानीय लोग और मुरीदैन बड़ी संख्या में हुए शामिल

इस मौके पर सूफी संत के साथ बड़ी संख्या में उनके मुरीद और स्थानीय लोग मौजूद रहे। इनमें मोहम्मद अली उर्फ बिक्कन साबरी, इस्तखार अली अमन साबरी, शान साबरी, पीरजी अजीम साबरी, शाहनवाज मंसूरी, इरशाद मंसूरी, आकिब मंसूरी, चांद मंसूरी, सभासद राशिद अली, मास्टर अजीम साबरी, नफीस उर्फ राहुल प्रधान गढ़मीरपुर, हसीन ठेकेदार , जावेद अब्बासी, इन्तजार रजा, शहजाद अली, मनव्वर कुरैशी, रियाजुल, इजहारुल, जावेद बढ़ेड़ी, सलमान राजपुर, पप्पू फकीरा, दिलदार,हाजी फुरकान,राजपुतान, जावेद मियां, जिम्मू मियां आदि नाम शामिल हैं।

आपदा में मानवता की मिसाल

उत्तरकाशी की त्रासदी ने जहां कई घरों के चिराग बुझा दिए, वहीं दूसरी ओर सूफी संतों और समाजसेवियों की यह पहल यह दर्शाती है कि इंसानियत आज भी जिंदा है। धार्मिक स्थलों से उठी दुआओं की गूंज और जरूरतमंदों तक पहुंचा मदद का संदेश, आपदा से जूझ रहे लोगों के लिए बड़ी हिम्मत और सहारा है।

ऐसे समय में पिरान कलियर दरगाह साबिर पाक से उठी यह दुआ और मोहब्बत का संदेश न केवल उत्तरकाशी बल्कि पूरे देश में अमन, भाईचारे और एकजुटता की मिसाल बन गया है।

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