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खंजरपुर के सर्प तस्करी कांड का मुख्य आरोपी नितिन हुआ गिरफ्तार, बरामद हुआ सर्प विष का जखीरा,, हरिद्वार वन विभाग की बड़ी कार्रवाई, 70 कोबरा और 16 रसल वाईपर के मामले में मिली सफलता,, डीएफओ हरिद्वार की निगरानी में बनी टीमों ने मुजफ्फरनगर से नारसन तक की दबिश के बाद पकड़ा आरोपी

इन्तजार रजा हरिद्वार- खंजरपुर के सर्प तस्करी कांड का मुख्य आरोपी नितिन हुआ गिरफ्तार, बरामद हुआ सर्प विष का जखीरा,,
हरिद्वार वन विभाग की बड़ी कार्रवाई, 70 कोबरा और 16 रसल वाईपर के मामले में मिली सफलता,,
डीएफओ हरिद्वार की निगरानी में बनी टीमों ने मुजफ्फरनगर से नारसन तक की दबिश के बाद पकड़ा आरोपी

हरिद्वार। 21 अक्टूबर 2025 —
हरिद्वार वन प्रभाग की टीम ने एक बार फिर अवैध वन्यजीव तस्करी के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करते हुए बड़ी सफलता हासिल की है। रूड़की बीट के ग्राम खंजरपुर से बरामद 70 कोबरा और 16 रसल वाईपर प्रजाति के सांपों के मामले में मुख्य अभियुक्त नितिन कुमार पुत्र सत्यपाल सिंह, निवासी मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी आज दिनांक 21 अक्टूबर 2025 को नारसन क्षेत्र से की गई है। नितिन कुमार लंबे समय से फरार चल रहा था और उस पर भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (संशोधित 2023) की कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज था।

घटना की पृष्ठभूमि — खंजरपुर में बरामद हुए थे 70 कोबरा और 16 रसल वाईपर

9 सितंबर 2025 को हरिद्वार वन प्रभाग की रूड़की रेंज के अंतर्गत ग्राम खंजरपुर में छापेमारी कर वन विभाग ने 70 कोबरा और 16 रसल वाईपर सांप बरामद किए थे। मौके पर मुख्य आरोपी नितिन कुमार फरार हो गया था, जबकि उसके खिलाफ रेंज केस संख्या 46/रू0/2025-26 के तहत भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 2, 9, 12, 39, 40(2), 44, 49B, 50 और 51 में मुकदमा दर्ज किया गया। यह मामला इसलिए भी चर्चित हुआ क्योंकि बरामद सर्प अत्यंत विषैले थे और संदेह था कि इनका उपयोग सर्प विष तस्करी के लिए किया जा रहा था। इस अवैध कारोबार में बड़ी रकम और नेटवर्क की भूमिका भी सामने आई थी।

तीन टीमों ने चलाया संयुक्त अभियान, यूपी-उत्तराखंड-एनसीआर तक की दबिश

उप वन संरक्षक (डीएफओ) हरिद्वार के निर्देशन में फरार आरोपी की गिरफ्तारी हेतु वन विभाग की तीन विशेष टीमें गठित की गईं। इन टीमों ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर के कई संभावित इलाकों में लगातार दबिश दी।
वन विभाग को इस पूरे अभियान में स्थानीय पुलिस प्रशासन का भी सक्रिय सहयोग मिला। डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर संदिग्ध लोकेशन ट्रैक की गई और मुखबिर तंत्र के जरिए आरोपी की गतिविधियों पर निगरानी रखी गई।

इस बीच, जांच के दौरान एक महत्वपूर्ण सुराग तब मिला जब विभाग ने 16 सितंबर 2025 को सर्प विष संग्रहण केंद्र के केयरटेकर विष्णु पंत को ऋषिकेश क्षेत्र से गिरफ्तार किया। विष्णु वर्तमान में जिला कारागार में निरुद्ध है और उसकी गिरफ्तारी के बाद कई अहम जानकारियां सामने आईं, जिन्होंने नितिन कुमार तक पहुंचने में विभाग की मदद की।

नारसन से दबोचा गया मुख्य आरोपी, मय सर्प विष हुआ बरामद

21 अक्टूबर को मुखबिर की पक्की सूचना पर हरिद्वार वन विभाग की टीम ने नारसन क्षेत्र में दबिश दी। मौके पर मुख्य अभियुक्त नितिन कुमार पुत्र सत्यपाल सिंह को सर्प विष के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नितिन न केवल सर्प पकड़ने और संग्रहण में शामिल था, बल्कि विष के अवैध कारोबार में भी प्रमुख भूमिका निभा रहा था। उसे न्यायिक हिरासत में भेजने के लिए अदालत में प्रस्तुत किया जा रहा है।

इस कार्रवाई में शामिल टीम के सदस्य थे —

  • शैलेन्द्र सिंह नेगी, वन क्षेत्राधिकारी (हरिद्वार रेंज)
  • विनय कुमार राठी, वन क्षेत्राधिकारी (रूड़की रेंज)
  • सौरभ सैनी, वन आरक्षी
  • राहुल चौहान, वाहन चालक,, इन अधिकारियों और कर्मचारियों की त्वरित कार्रवाई ने इस बड़े वन्यजीव अपराध को उजागर करने में निर्णायक भूमिका निभाई है।

डीएफओ ने दी चेतावनी और अपील — अवैध गतिविधि में संलिप्त पाए जाने पर सख्त कार्रवाई

प्रभागीय वनाधिकारी, हरिद्वार वन प्रभाग ने आम जनता से अपील की है कि आरक्षित वन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि जैसे — अवैध आखेट, सर्प संग्रहण, अवैध पातन, या खनन करना भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (संशोधित 2023) और भारतीय वन अधिनियम 1927 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।
उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति इस तरह की गतिविधि में लिप्त दिखाई दे, तो उसकी सूचना तुरंत वन विभाग या नजदीकी वन चौकी को दें। वन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसे अपराधों में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और डिजिटल ट्रैकिंग के ज़रिए अपराधियों को पकड़ने की तकनीक को और मज़बूत किया गया है।

हरिद्वार वन प्रभाग की सतर्कता बनी मिसाल

वन्यजीव अपराधों की रोकथाम में हरिद्वार वन प्रभाग का यह अभियान राज्यभर में उदाहरण बन गया है। विभाग लगातार सीमांत जिलों में तस्करी नेटवर्क को तोड़ने में जुटा है।
डीएफओ हरिद्वार ने कहा कि “वन्यजीव संरक्षण हमारे पारिस्थितिक संतुलन और भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। जो भी इन अपराधों में संलिप्त है, उसे कानून के तहत कड़ी सजा मिलेगी।”

इस पूरी कार्रवाई ने वन विभाग की मुस्तैदी और पारदर्शी जांच प्रणाली को उजागर किया है। विभाग की तत्परता और पुलिस के सहयोग से वन्यजीव तस्करी के खिलाफ एक और मजबूत संदेश गया है कि अवैध गतिविधियों के लिए हरिद्वार की धरती अब सुरक्षित नहीं

(डेली लाइव उत्तराखंड न्यूज़ डेस्क, हरिद्वार)

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