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“हरेला पर्व पर हरियाली का संकल्प”,, “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान से गूंजा BHEL रानीपुर परिसर,, संजय पंवार और राजबीर चौहान ने दिया पर्यावरण संरक्षण का भावपूर्ण संदेश

इन्तजार रजा हरिद्वार- “हरेला पर्व पर हरियाली का संकल्प”,,
“एक पेड़ माँ के नाम” अभियान से गूंजा BHEL रानीपुर परिसर,,
संजय पंवार और राजबीर चौहान ने दिया पर्यावरण संरक्षण का भावपूर्ण संदेश

इन्तजार रजा, हरिद्वार | Daily Live Uttarakhand

हरियाली, पर्यावरण और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक पर्व “हरेला” उत्तराखंड में न केवल एक पर्व है, बल्कि यह एक अभियान है – एक आंदोलन है जो आने वाली पीढ़ियों को एक हरा-भरा, स्वच्छ और टिकाऊ भविष्य सौंपने का संकल्प है। इसी कड़ी में हरिद्वार स्थित BHEL रानीपुर उपनगरी परिसर में “हरेला पर्व” को बड़े उत्साह और प्रेरणादायी संदेशों के साथ मनाया गया। इस अवसर पर BHEL उपनगरी के जीएम श्री संजय पंवार और इंटक के महामंत्री श्री राजबीर चौहान ने न केवल पौधारोपण किया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी को हर व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य बताया।

BHEL रानीपुर में हरेला की हरियाली

कार्यक्रम की शुरुआत हरियाली के प्रतीक ‘हरेला पर्व’ के महत्व पर संक्षिप्त चर्चा से हुई। इसके बाद BHEL परिसर में अधिकारियों, कर्मचारियों और सामाजिक संगठनों की उपस्थिति में वृक्षारोपण किया गया। इस दौरान “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत हर व्यक्ति को अपनी मां के नाम पर एक पौधा लगाने के लिए प्रेरित किया गया। यह पहल न केवल भावनात्मक रूप से गहराई लिए हुए है, बल्कि यह प्रकृति और मातृत्व – दोनों के प्रति सम्मान की भावना को दर्शाती है।

GM संजय पंवार ने इस अवसर पर कहा —

हरेला केवल एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़ने और पर्यावरण संरक्षण का एक सशक्त माध्यम है। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान न केवल भावनात्मक पहल है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित भविष्य की नींव है। हर व्यक्ति को एक पौधा लगाकर पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए।

संजय पंवार का यह संदेश न केवल BHEL परिसर के कर्मचारियों, बल्कि हर आम नागरिक के लिए एक प्रेरणा है कि वह अपने आसपास के वातावरण की रक्षा के लिए स्वयं आगे आएं।

इंटक महामंत्री राजबीर चौहान ने दिया मातृत्व और प्रकृति का संयुक्त संदेश

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजबीर चौहान, महामंत्री – इंटक, BHEL रानीपुर ने कहा –

हरेला हमारी संस्कृति का हिस्सा है जो हमें प्रकृति के साथ जुड़ने की प्रेरणा देता है। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान हमारे जीवन में मातृत्व सम्मान और प्रकृति के संरक्षण दोनों का संदेश देता है। BHEL के कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा आज लगाए गए पौधे आने वाले समय में हरियाली और स्वच्छ पर्यावरण की सौगात देंगे।

उन्होंने आगे कहा कि औद्योगिक इकाइयों की ज़िम्मेदारी केवल उत्पादन तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उन्हें समाज और पर्यावरण के हित में भी योगदान देना चाहिए। BHEL जैसे प्रतिष्ठान जब पर्यावरणीय चेतना को जन आंदोलन बनाते हैं, तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन अवश्य आते हैं।

हरियाली से भरे संकल्प, नई पीढ़ी को समर्पित

कार्यक्रम में मौजूद कर्मचारियों ने भी उत्साहपूर्वक वृक्षारोपण में भाग लिया और ‘हरेला पर्व’ की मूल भावना को अपनाने का संकल्प लिया। इस दौरान वृक्षों के संरक्षण के लिए बनाए गए छोटे-छोटे प्लेकार्ड्स और स्लोगन (“पेड़ बचाओ, जीवन बचाओ”, “माँ के नाम एक पौधा”, “हरेला है हमारी सांस्कृतिक पहचान”) ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।

परिसर में आम, नीम, पीपल, जामुन जैसे पर्यावरण उपयोगी और औषधीय गुणों से भरपूर पौधों को लगाया गया। पौधों की देखरेख के लिए कर्मचारियों के बीच जिम्मेदारियां भी तय की गईं ताकि यह अभियान सिर्फ एक दिन का आयोजन न रहकर लंबे समय तक जीवित रहे।

संजय पंवार (GM उपनगरी, BHEL):

हम चाहते हैं कि हर कर्मचारी और उनके परिवार इस अभियान का हिस्सा बनें। अगर हर साल एक पेड़ भी हम अपनी माँ के नाम लगाएं, तो अगली पीढ़ी को बेहतर वातावरण देना संभव है। हरेला पर्व के बहाने ही सही, हमें प्रकृति के साथ पुनः जुड़ने का मौका मिलता है।

राजबीर चौहान (महामंत्री, इंटक, BHEL):

हरेला उत्तराखंड की परंपरा है, लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक सोच है – हमें हर वर्ष हरियाली की समीक्षा करनी चाहिए। इस बार का संदेश साफ है – सिर्फ पौधा लगाना नहीं, बल्कि उसे संरक्षित करना और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणादायक परंपरा छोड़ना है।

BHEL की हरियाली को समर्पित सोच

BHEL रानीपुर हमेशा से ही पर्यावरण के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। चाहे वह परिसर में हरे-भरे पार्कों का निर्माण हो, या कार्बन फुटप्रिंट कम करने की पहल – BHEL ने समय-समय पर अपने सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन किया है। “हरेला पर्व” के इस आयोजन ने एक बार फिर साबित किया कि यह संस्थान केवल तकनीक और निर्माण तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारियों के लिए भी प्रतिबद्ध है।

हर एक पेड़ है भविष्य की नींव

“हरेला पर्व” के इस आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हरिद्वार जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक शहर में औद्योगिक इकाइयां भी पर्यावरण संरक्षण के लिए किस प्रकार सक्रिय और संवेदनशील हैं। “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान भविष्य की पीढ़ियों के लिए न केवल ऑक्सीजन देगा, बल्कि एक प्रेरक परंपरा भी छोड़ जाएगा।

इस पहल से जुड़े सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और सामाजिक संगठनों का यह समर्पण और जागरूकता निश्चित ही उत्तराखंड को “ग्रीन स्टेट” के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त कदम है।


रिपोर्टर: इन्तजार रजा, हरिद्वार
माध्यम: Daily Live Uttarakhand
तारीख: 16 जुलाई 2025

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