ग्राम विकास को नई दिशा: ‘ग्रामोत्थान (रीप)’ परियोजना की वार्षिक कार्ययोजना पर कार्यशाला सम्पन्न, मधुमक्खी पालन से आजीविका, गुणवत्ता से सफलता का संकल्प, 2025-26 के लक्ष्यों के साथ ग्रामोत्थान परियोजना के विस्तार की रणनीति तय

इन्तजार रजा हरिद्वार- ग्राम विकास को नई दिशा: ‘ग्रामोत्थान (रीप)’ परियोजना की वार्षिक कार्ययोजना पर कार्यशाला सम्पन्न,
मधुमक्खी पालन से आजीविका, गुणवत्ता से सफलता का संकल्प,
2025-26 के लक्ष्यों के साथ ग्रामोत्थान परियोजना के विस्तार की रणनीति तय
हरिद्वार। ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के अंतर्गत आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 की वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट को लेकर एक दिवसीय महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन विकास भवन रोशनाबाद स्थित सभागार में संपन्न हुआ। मुख्य विकास अधिकारी महोदया के निर्देशन एवं जिला परियोजना प्रबंधक श्री संजय सक्सेना की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में परियोजना से जुड़े सभी प्रमुख अधिकारियों एवं स्टाफ ने भागीदारी की।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य अब तक की गतिविधियों की समग्र समीक्षा कर आगामी वर्ष के लक्ष्यों, रणनीतियों एवं बजट की रूपरेखा तैयार करना रहा। बैठक की शुरुआत बीते तीन वर्षों — वित्तीय वर्ष 2022-23, 2023-24 एवं 2024-25 — में संपन्न गतिविधियों के विश्लेषण से हुई, जिसमें लक्ष्यों की प्राप्ति, क्षेत्रीय प्रभाव, एवं क्रियान्वयन की गुणवत्ता जैसे पहलुओं पर गहन चर्चा की गई।
गुणवत्तापूर्ण कार्यान्वयन पर बल, SOP और निगरानी प्रणाली की समीक्षा
बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि परियोजना के कार्यान्वयन में गुणवत्ता एवं समयबद्धता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। इसके लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) को सख्ती से लागू करने, निगरानी प्रणाली को और सशक्त बनाने तथा कार्यान्वयन रणनीतियों में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता बताई गई।
जिला परियोजना प्रबंधक श्री संजय सक्सेना ने विभिन्न गतिविधियों की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि योजना के सफल क्रियान्वयन में सभी स्तरों पर समन्वय, पारदर्शिता और सतत निगरानी बेहद जरूरी है। उन्होंने स्टाफ को मार्गदर्शन देते हुए कहा कि प्रत्येक कार्य में लक्ष्य आधारित सोच एवं परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण अपनाना अनिवार्य है।
मधुमक्खी पालन को ग्रामीण आजीविका का सशक्त साधन बनाने की रणनीति
इस कार्यशाला का विशेष आकर्षण मधुमक्खी पालन गतिविधि रही, जिसे ग्रामीण आजीविका के सशक्त माध्यम के रूप में उभारा जा रहा है। इस विषय पर विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें इसकी वर्तमान स्थिति, विस्तार की संभावनाएं और ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसरों पर चर्चा हुई। परियोजना टीम ने बताया कि इस गतिविधि में महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी बढ़ रही है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया बल मिल रहा है।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि मधुमक्खी पालन से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रमों को व्यापक स्तर पर संचालित किया जाए, ताकि अधिक से अधिक ग्रामीण परिवार इससे जुड़ सकें। साथ ही, मार्केट लिंकिंग, ब्रांडिंग एवं उत्पादों की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई गई।
प्रगति, पारदर्शिता और प्रतिबद्धता: भविष्य की ओर दृढ़ कदम
इस अवसर पर परियोजना निदेशक, डीआरडीए महोदय ने भी प्रतिभाग किया। उन्होंने चल रही गतिविधियों की समीक्षा की और उपयोगी सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि ग्रामोत्थान परियोजना न केवल ग्रामीण जीवन को बेहतर बना रही है, बल्कि आजीविका सृजन, महिला सशक्तिकरण और युवा विकास की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो रही है।
जिला परियोजना प्रबंधक श्री सक्सेना ने उन्हें परियोजना की प्रगति, उपलब्धियों और आगामी रणनीतियों की विस्तृत जानकारी दी, जिस पर उन्होंने संतोष व्यक्त किया और भविष्य के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
टीम वर्क और स्थानीय सहभागिता: परियोजना को नई ऊँचाइयों की ओर ले जाने का संकल्प
इस कार्यशाला में जिला परियोजना कार्यालय के सहायक प्रबंधक, वाईपी – केएम/आईटी, समस्त विकासखंड स्तरीय स्टाफ एवं सीएलएफ स्तरीय टीमों ने सक्रिय भागीदारी की। प्रतिभागियों ने न केवल कार्यशाला में अपनी सहभागिता दिखाई, बल्कि परियोजना के उद्देश्यों को धरातल पर उतारने हेतु अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।
कार्यशाला का समापन एक स्पष्ट संदेश के साथ हुआ — ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना न केवल ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास की आधारशिला है, बल्कि यह उत्तराखंड के आत्मनिर्भर ग्राम्य समाज की ओर बढ़ते कदम का प्रतीक भी है। आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए तय की गई रणनीति और बजट न केवल कार्यों की दिशा तय करेंगे, बल्कि ग्रामीण विकास को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
यह कार्यशाला ग्रामोत्थान परियोजना के लिए एक निर्णायक पड़ाव रही, जिसमें अतीत की समीक्षा, वर्तमान की चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाओं पर केंद्रित संवाद हुआ। यह उम्मीद की जाती है कि परियोजना की यह कार्य योजना ग्रामीण परिवर्तन की एक नई इबारत लिखेगी और प्रदेश के विकास मॉडल को राष्ट्रीय पटल पर विशिष्ट पहचान दिलाएगी।