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लोकमाता अहिल्याबाई की त्रिशताब्दी जयंती पर गरजा हरिद्वार, मुख्यातिथि सीएम धामी का हुआ भव्य स्वागत  सीएम धामी ने की ऐतिहासिक घोषणा, बोले – ‘पाल धनगर समाज भारत की आत्मा’ ‘सलेमपुर’ का नाम होगा लोकमाता अहिल्याबाई के नाम पर, महिला सशक्तिकरण और सांस्कृतिक चेतना पर सीएम का जोर

इन्तजार रजा हरिद्वार- लोकमाता अहिल्याबाई की त्रिशताब्दी जयंती पर गरजा हरिद्वार, मुख्यातिथि सीएम धामी का हुआ भव्य स्वागत 

सीएम धामी ने की ऐतिहासिक घोषणा, बोले – ‘पाल धनगर समाज भारत की आत्मा’

‘सलेमपुर’ का नाम होगा लोकमाता अहिल्याबाई के नाम पर, महिला सशक्तिकरण और सांस्कृतिक चेतना पर सीएम का जोर

हरिद्वार, 08 जून 2025।
सांस्कृतिक चेतना, नारी सशक्तिकरण और सामाजिक गौरव का संगम बना हरिद्वार जब मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर आयोजित धनगर समाज महासम्मेलन में भाग लिया। इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्यमंत्री ने जहां पाल-धनगर समाज की प्रशंसा करते हुए उसके योगदान को भारत की रीढ़ बताया, वहीं एक बेहद अहम घोषणा करते हुए कहा कि “ग्राम सभा सलेमपुर” का नाम, आवश्यक प्रक्रियाओं के बाद, लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जी के नाम पर रखा जाएगा।

यह न सिर्फ एक नामांतरण की घोषणा थी, बल्कि एक पूरे समाज को उसका आत्मसम्मान लौटाने और एक ऐतिहासिक महिला नेतृत्व को राष्ट्रीय स्मृति में प्रतिष्ठित करने का सशक्त प्रयास भी था।


पाल-धनगर समाज का गौरवपूर्ण योगदान – ‘भारत की आत्मा’ की संज्ञा

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में पाल-धनगर समाज के ऐतिहासिक योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि यह समाज सदियों से पशुधन आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है। उन्होंने कहा—

“जिस समाज ने खेत, खलिहान और गोवंश की सेवा से राष्ट्र की समृद्धि को सींचा, वही समाज आज भी मेहनत, निष्ठा और आत्मसम्मान के साथ आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में जुटा है।”

सीएम धामी ने इस बात पर भी जोर दिया कि आजादी के बाद भी कई सरकारों ने इस समाज को वह सम्मान नहीं दिया, जिसके वे हकदार थे। लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण के अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है, जिसमें हर उपेक्षित समाज और व्यक्ति को उसका गौरव लौटाया जा रहा है।


लोकमाता अहिल्याबाई – सनातन मूल्यों की रक्षक, नारी शक्ति की प्रेरणा

मुख्यमंत्री ने लोकमाता अहिल्याबाई को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे केवल एक शासिका नहीं, बल्कि सनातन जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापक थीं। उन्होंने काशी विश्वनाथ, द्वारका, सोमनाथ, रामेश्वरम्, अयोध्या, मथुरा जैसे स्थलों के साथ-साथ केदारनाथ, बद्रीनाथ और हरिद्वार में भी मंदिरों और घाटों का पुनर्निर्माण कराया।

उन्होंने रेखांकित किया:

“अहिल्याबाई होलकर ने उस समय में महिला नेतृत्व का आदर्श प्रस्तुत किया, जब समाज में महिलाओं की भूमिका सीमित मानी जाती थी। वे नारी सशक्तिकरण की जीवित मूर्ति थीं।”

उनके द्वारा कराए गए धार्मिक कार्य आज भी सनातन संस्कृति की नींव हैं, और उनके जीवन से हमें नेतृत्व, करुणा और राष्ट्रसेवा की प्रेरणा मिलती है।


मोदी युग में सांस्कृतिक पुनर्जागरण – ‘अमृतकाल’ की ओर अग्रसर भारत

सीएम धामी ने कहा कि वर्षों तक विदेशी आक्रांताओं और फिर स्वतंत्रता के बाद की गुलामी की मानसिकता वाली सरकारों ने भारत की महान विभूतियों को हाशिये पर डाल दिया। लेकिन आज मोदी जी के नेतृत्व में:

  • राम मंदिर निर्माण,
  • बद्रीनाथ-केदारनाथ पुनर्निर्माण,
  • बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर,
  • महाकाल लोक जैसे कार्यों के माध्यम से
    भारत अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़कर पुनः विश्वगुरु बनने की ओर बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि:

“हमारी संस्कृति की पताका आज विश्व मंचों पर लहरा रही है। यह नया भारत है जो न तो अपने इतिहास को भूलता है, न ही अपने महान पूर्वजों को।”


महिला सशक्तिकरण में ऐतिहासिक कदम – सीएम ने गिनाई मोदी सरकार की उपलब्धियां

सीएम धामी ने नारी सशक्तिकरण को लेकर मोदी सरकार की योजनाओं की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि—

  • महिला आरक्षण (33%) संसद-विधानसभाओं में,
  • बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ,
  • उज्ज्वला योजना,
  • लखपति दीदी योजना,
  • ट्रिपल तलाक का खात्मा,
  • जैसे ऐतिहासिक फैसलों ने मातृशक्ति को वह सम्मान दिलाया है, जिसकी वे सदियों से प्रतीक्षा कर रही थीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में भी राज्य सरकार ने महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 30% आरक्षण, नारी सशक्तिकरण योजना, महालक्ष्मी योजना, वात्सल्य योजना, आंचल अमृत योजना और पोषण अभियान जैसे कार्यों से महिला कल्याण को प्राथमिकता दी है।


उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण की योजनाएं भी रहीं चर्चा में

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राज्य में चल रहे धार्मिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान कार्यों पर भी प्रकाश डाला:

  • मानसखंड व केदारखंड के मंदिरों का सौंदर्यीकरण,
  • यमुनातीर हरिपुर कालसी का पुनरुद्धार,
  • हरिद्वार-ऋषिकेश कॉरिडोर निर्माण,
  • शारदा कॉरिडोर की दिशा में उठाए गए कदम

उन्होंने कहा कि—

“हमारी सरकार ‘देवभूमि’ की सांस्कृतिक विरासत को न केवल संरक्षित करने बल्कि उसे वैश्विक पहचान दिलाने के लिए कृतसंकल्प है।”


‘लव जिहाद’, ‘थूक जिहाद’ पर सरकार की सख्ती – सीएम का सख्त संदेश

धार्मिक और सामाजिक सौहार्द को तोड़ने वाले तत्वों के विरुद्ध मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि—

“उत्तराखंड सरकार लैंड जिहाद, लव जिहाद और थूक जिहाद जैसी घृणित प्रवृत्तियों पर पूर्ण सख्ती से कार्य कर रही है।”

राज्य में दंगारोधी कानून, धर्मांतरण विरोधी कानून और सख्त प्रशासनिक कार्यवाही के माध्यम से ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई गई है।


भ्रष्टाचारियों पर गिर रही है गाज – ‘छोटी मछली ही नहीं, मगरमच्छ भी पकड़ में’

हरिद्वार भूमि घोटाले का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अब केवल छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई का समय नहीं रहा। उन्होंने कहा—

“हमने दो IAS और एक PCS अधिकारी को निलंबित किया है। उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के लिए अब कोई जगह नहीं है।”

उन्होंने यह संदेश दिया कि राज्य सरकार ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांत पर काम कर रही है।


धनगर समाज ने जताया आभार, हुआ भव्य आयोजन

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री का स्वागत धनगर समाज के प्रमुखों ने पारंपरिक तरीके से किया। समाज के अध्यक्ष तेलूराम प्रधान और प्रदेश अध्यक्ष ब्रह्मपाल सिंह ने सरकार की नीतियों पर आभार व्यक्त किया। मंच पर मौजूद अन्य विशिष्टजनों में:

  • आपदा प्रबंधन उपाध्यक्ष विनय रोहिला
  • राज्यमंत्री डॉ जयपाल सिंह चौहान
  • पूर्व मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद,
  • विधायक आदेश चौहान, प्रणव सिंह चैंपियन,
  • शिवालिक नगर पालिका अध्यक्ष राजीव शर्मा,
  • पूर्व विधायक संजय गुप्ता,
  • न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह,
  • जिलाधिकारी मयूर दीक्षित,
  • पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोभाल,
  • सचिव एचआरडीए मनीष कुमार,
  • उपजिलाधिकारी जितेन्द्र कुमार,
  • प्रशासनिक अधिकारी सौरभ असवाल सहित समाज के हजारों लोग मौजूद रहे।
  •  – लोकमाता के नाम पर पुनर्जागरण की शुरुआत

यह आयोजन केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि ‘अतीत की स्मृति और भविष्य की प्रेरणा’ का उत्सव था। मुख्यमंत्री धामी ने लोकमाता के नाम पर गाँव का नामकरण कर जो सांस्कृतिक संकेत दिया है, वह उत्तराखंड को ‘मूल्य आधारित विकास मॉडल’ की ओर ले जाने वाला कदम है।

यह स्पष्ट हो चुका है कि उत्तराखंड की सरकार अब केवल प्रशासन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और जनसरोकार की भावना के साथ कार्य कर रही है।


रिपोर्ट: इन्तजार रजा,
Daily Live Uttarakhand, हरिद्वार

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