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अवैध धार्मिक संरचनाओं पर अवैध तरीके से बिजली सप्लाई का खेल जारी,, बिजली विभाग की अंधी लापरवाही ने खोली सरकारी बिजली विभागीय सिस्टम की पोल धार्मिक संरचनाओं पर जल रही अवैध बिजली, अफसरों की चुप्पी से अवैध मठाधीशों (अध्यक्षो) के हौसले बुलंद सवाल: जो बिजली चोर मठाधीश बन बैठे, क्या सिस्टम उन पर चलाएगा बुलडोजर जितना जुर्माना?

इन्तजार रजा हरिद्वार- अवैध धार्मिक संरचनाओं पर अवैध तरीके से बिजली सप्लाई का खेल जारी,,

बिजली विभाग की अंधी लापरवाही ने खोली सरकारी बिजली विभागीय सिस्टम की पोल

धार्मिक संरचनाओं पर जल रही अवैध बिजली, अफसरों की चुप्पी से अवैध मठाधीशों (अध्यक्षो) के हौसले बुलंद

सवाल: जो बिजली चोर मठाधीश बन बैठे, क्या सिस्टम उन पर चलाएगा बुलडोजर जितना जुर्माना?

हरिद्वार/उत्तराखंड।
उत्तराखंड में धामी सरकार द्वारा सरकारी ज़मीनों पर अतिक्रमण कर बनाए गए अवैध धार्मिक संरचनाओं पर कार्रवाई लगातार जारी है। प्रशासनिक स्तर पर अवैध निर्माणों को हटाने की मुहिम सक्रिय है, लेकिन बिजली विभाग की लापरवाही अब खुलकर सामने आ रही है। सवाल यह है कि जब ये संरचनाएं अवैध रूप से सरकारी भूमि पर स्थापित हैं, तो बिजली बिना वैध कनेक्शन के कैसे पहुंच रही है?

एक तरफ उत्तराखंड सरकार शहरों और गांवों में बिजली चोरी रोकने के लिए अभियान चला रही है, वहीं दूसरी तरफ खुद हरिद्वार जैसे संवेदनशील जिले में धार्मिक संरचनाओं की आड़ में खुलेआम बिजली की लूट जारी है। न कोई मीटर, न बिल, न कोई अधिकृत कनेक्शन — फिर भी एसी, एलईडी, माइक सेट से लेकर बड़े-बड़े पंखे और हाई पावर लाइटें लगातार जल रही हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि ये सब हो रहा है बिजली विभाग की नाक के नीचे, बल्कि यूं कहें तो उनकी अंधी लापरवाही के चलते। ना कोई निरीक्षण, ना कोई कार्रवाई — बिजली विभाग ऐसे आंख मूंदे बैठा है मानो उसने इन अवैध धार्मिक संरचनाओं को ‘बिजली फ्री जोन’ घोषित कर दिया हो।

बिजली चोरी पर मौन, विभाग की चुप्पी पर सवाल

हरिद्वार-रुड़की के कई इलाकों में सड़क किनारे, खाली सरकारी ज़मीन पर और मुख्य बाज़ारों के बीचोंबीच बिना अनुमति बनी धार्मिक संरचनाएं वर्षों से अवैध रूप से बिजली खपत कर रही हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन जगहों पर रात-दिन एलईडी लाइटों की चमक और तेज़ आवाज़ वाले लाउडस्पीकर चलते रहते हैं, लेकिन बिजली का कोई बिल कभी नहीं आया।

धार्मिक आस्था की आड़ में शायद अब तक करोड़ों की हो गई होगी बिजली चोरी

यह सिर्फ छोटे पैमाने की चोरी नहीं है। सूत्र बताते हैं कि हरिद्वार जिले में दर्जनों ऐसे धार्मिक ढांचे हैं जहां पर हर महीने लाखों रुपये की बिजली जल रही है — बिना किसी वैधानिक कनेक्शन के। इनमें से कई ढांचे उन लोगों के अधीन हैं जो खुद को संत, या पीर या खलीफा बताते हैं, लेकिन असल में इलाके में रसूखदार भूमिकाएं निभाते हैं।

इनके पास कोई ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन नहीं, कोई बिजली अनुबंध नहीं, लेकिन श्रद्धालुओं से चढ़ावे और दान के नाम पर मोटी रकम वसूल कर रहे हैं। इन मठाधीशों ने न सिर्फ सरकारी बिजली को कब्जा रखा है, बल्कि अघोषित संपत्तियों और अवैध निर्माण के जरिए खुद को “धार्मिक सत्ता” में बदल लिया है।

सवाल यह नहीं कि बिजली चोरी हो रही है, सवाल यह है कि विभाग मौन क्यों है?

बिजली विभाग के कुछ अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन जवाब मिला – “धार्मिक मामलों में फूंक-फूंककर कदम रखना पड़ता है।” मगर जब सवाल कानून के पालन का हो, तो आस्था की आड़ में लूट को कैसे जायज़ ठहराया जा सकता है?

यह साफ है कि विभाग की चुप्पी, मठाधीशों की सत्ता और राजनीतिक संरक्षण की तिकड़ी ने इस पूरे सिस्टम को खोखला बना दिया है।

अब जनता पूछ रही है – क्या सिस्टम बुलडोजर चलाने वालों पर भी चलाएगा जुर्माने का हथौड़ा?

सरकार अवैध निर्माण पर बुलडोजर चला रही है, लेकिन इन अवैध रूप से बनी धार्मिक संरचनाओं पर कोई जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाता? जो मठाधीश धार्मिक आस्था के नाम पर न सिर्फ अवैध बिजली फूंक रहे हैं बल्कि करोड़ों की संपत्ति भी अर्जित कर चुके हैं, क्या उन पर बुलडोजर जितना भारी जुर्माना नहीं लगना चाहिए?

यह वक्त है कि सिस्टम एक सख्त और निष्पक्ष कार्रवाई का उदाहरण पेश करे।

  • बिना अनुमति बनी धार्मिक संरचनाओं की सूची सार्वजनिक हो
  • हर एक ढांचे की बिजली खपत का हिसाब तैयार किया जाए
  • बिना बिल भुगतान वाले सभी ढांचों पर पेनल्टी और मुकदमा हो
  • और इन सबके पीछे जिम्मेदार बिजली अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो

जनता को जवाब चाहिए

अब ये मामला सिर्फ बिजली चोरी का नहीं है, ये सिस्टम की साख का सवाल बन गया है। अगर सरकार वाकई पारदर्शिता और कानून की बात करती है, तो उसे यह भी सिद्ध करना होगा कि मठाधीश, पीर या कोई भी रसूखदार हो — कानून सब पर एक समान लागू होता है।

वरना फिर जनता पूछेगी —
“क्या बुलडोजर सिर्फ गरीबों के लिए है और जुर्माना सिर्फ दुकानदारों के लिए?”

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