सेना की शूरवीर बेटी सोफिया कुरैशी पर अपमानजनक टिप्पणी का बवंडर, मंत्री विजय शाह के बिगड़े बोल पर हाईकोर्ट सख्त, FIR दर्ज करने के आदेश, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की हीरो कर्नल सोफिया कुरैशी के समर्थन में विपक्ष, सियासी भूचाल, भोपाल से दिल्ली तक मंत्री विजय शाह की टिप्पणी से मचा हड़कंप

इन्तजार रजा हरिद्वार- सेना की शूरवीर बेटी सोफिया कुरैशी पर अपमानजनक टिप्पणी का बवंडर,
मंत्री विजय शाह के बिगड़े बोल पर हाईकोर्ट सख्त, FIR दर्ज करने के आदेश,
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की हीरो कर्नल सोफिया कुरैशी के समर्थन में विपक्ष, सियासी भूचाल,
भोपाल से दिल्ली तक मंत्री विजय शाह की टिप्पणी से मचा हड़कंप
मध्य प्रदेश की राजनीति उस समय गरमा गई जब भाजपा सरकार के वरिष्ठ मंत्री कुंवर विजय शाह ने सेना की वीर अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर एक विवादास्पद टिप्पणी कर दी। यह बयान उस समय सामने आया जब कर्नल सोफिया ने पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी सार्वजनिक की थी। उनकी प्रेस ब्रीफिंग के बाद मंत्री विजय शाह ने कथित तौर पर अभद्र टिप्पणी की, जिसे लेकर समाज के हर वर्ग में आक्रोश पनप गया।
मामला केवल राजनीतिक हलकों तक सीमित नहीं रहा। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मंत्री के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि विजय शाह पर तत्काल FIR दर्ज होनी चाहिए। यदि पुलिस इसमें ढिलाई बरतती है, तो न्यायालय की अवमानना मानी जाएगी और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई तय मानी जाएगी।
हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी और चेतावनी
जस्टिस अतुल श्रीधरन की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में देरी न्याय व्यवस्था की गरिमा पर प्रश्नचिह्न लगाती है। महाधिवक्ता की ओर से जब समय मांगा गया, तो न्यायमूर्ति ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा— “मैं कल जीवित रहूं या न रहूं, लेकिन यह FIR कल ही दर्ज होनी चाहिए।” यह टिप्पणी न्यायालय की गंभीरता को दर्शाने के लिए पर्याप्त थी।
अदालत ने महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को सख्त निर्देश दिए कि कोई भी राजनीतिक दबाव या प्रशासनिक बहाना इस आदेश के पालन में आड़े नहीं आना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई की शुरुआत इसी मामले से की जाएगी और यह तय किया जाएगा कि आदेश का पालन हुआ या नहीं।
सेना की छवि पर आघात: कौन है कर्नल सोफिया कुरैशी?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की प्रतिष्ठित अधिकारी हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की अगुवाई की। यह वही ऑपरेशन है, जिसके जरिए आतंकवाद के खिलाफ भारत ने एक बार फिर अपनी सैन्य ताकत और रणनीतिक कुशलता का परिचय दिया। कर्नल सोफिया पहली महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने इस स्तर के ऑपरेशन में नेतृत्व किया और मीडिया से सीधे संवाद कर जनमानस को जानकारी दी।
उन पर की गई अपमानजनक टिप्पणी न केवल महिला सैन्य अधिकारियों का अपमान है, बल्कि भारतीय सेना की प्रतिष्ठा पर भी आघात है। यही कारण है कि इस बयान के बाद न केवल सेना के पूर्व अधिकारी बल्कि देशभर के नागरिक सोशल मीडिया पर मंत्री के खिलाफ आक्रोश जता रहे हैं।
राजनीतिक गलियारों में तूफान: कांग्रेस का अल्टीमेटम
मामले ने तूल तब पकड़ा जब कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना लिया। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई और राज्यपाल से मांग की कि उन्हें मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त किया जाए। पटवारी ने चेतावनी दी कि यदि 24 घंटे में कार्रवाई नहीं हुई तो कांग्रेस देशभर के थानों में विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएगी।
उन्होंने प्रेस से बात करते हुए कहा— “एक मंत्री ने भारतीय सेना की महिला अधिकारी और हर भारतीय बहन का अपमान किया है। यदि सरकार इस पर चुप बैठी रही, तो यह दर्शाता है कि भाजपा महिलाओं के सम्मान की बात सिर्फ मंचों तक ही सीमित रखती है।”
उधर, भाजपा के अंदरखाने में भी इस मुद्दे को लेकर बेचैनी है। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने निजी तौर पर मंत्री की टिप्पणी को अनुचित माना है, लेकिन अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
सवालों के घेरे में भाजपा सरकार की ‘बोलने की आज़ादी’
यह मामला अब एक बड़ी बहस की ओर बढ़ चला है—क्या कोई मंत्री अपने पद की गरिमा भूलकर सेना के खिलाफ सार्वजनिक टिप्पणी कर सकता है? क्या यह ‘बोलने की आज़ादी’ के नाम पर सत्ता का दुरुपयोग नहीं है? जब उच्च न्यायालय को स्वतः संज्ञान लेना पड़े, तो यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई की गंभीरता नदारद रही। कानून विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस मामले में FIR दर्ज नहीं होती, तो यह एक खतरनाक उदाहरण पेश करेगा, जहां राजनीतिक पदों पर बैठे लोग संविधान और सेना की मर्यादा की धज्जियां उड़ा सकते हैं।
FIR के साथ ही बढ़ेगी जवाबदेही की मांग
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का सख्त रुख देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक चेतावनी है कि सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों को अपने शब्दों की मर्यादा समझनी होगी। कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई टिप्पणी केवल एक महिला पर नहीं, बल्कि उस पूरी प्रणाली पर हमला है, जो देश की रक्षा के लिए जान की बाजी लगाती है।
अब निगाहें प्रशासन पर हैं कि वह हाईकोर्ट के आदेशों का पालन कितनी गंभीरता से करता है। क्या विजय शाह पर FIR दर्ज होती है? क्या भाजपा सरकार मंत्री को बर्खास्त कर उदाहरण पेश करेगी? और क्या देश में महिला अधिकारियों को वह सम्मान मिलेगा, जिसकी वे सच्ची अधिकारी हैं? अगली सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि कानून की आंखों में सब समान हैं या सत्ता अब भी विशेषाधिकार देती है।