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88 में से केवल 48 मदरसों को मदरसा बोर्ड की मान्यता, 40 की फिर से होगी जांच,दिए गए निर्देश

इन्तजार रजा हरिद्वार -88 में से केवल 48 मदरसों को मदरसा बोर्ड की मान्यता, 40 की फिर से होगी जांच,दिए गए निर्देश


प्रदेश में कई मदरसे बिना मान्यता चल रहे हैं। मदरसा संचालकों का कहना है कि इसके लिए मदरसा बोर्ड में आवेदन किया हुआ है, लेकिन मान्यता के लिए सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी पिछले कई साल से उन्हें मान्यता नहीं मिली।,प्रदेश में बिना मान्यता चल रहे 88 मदरसों में से 48 मदरसों को मदरसा बोर्ड की मान्यता मिली है। जबकि 40 मदरसों के प्रकरणों की फिर से जांच होगी। विभाग के निदेशक राजेंद्र कुमार के मुताबिक कमियां दूर होने के बाद ही उन्हें मान्यता दी जाएगी।
प्रदेश में कई मदरसे बिना मान्यता चल रहे हैं। मदरसा संचालकों का कहना है कि इसके लिए मदरसा बोर्ड में आवेदन किया हुआ है, लेकिन मान्यता के लिए सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी पिछले कई साल से उन्हें मान्यता नहीं मिली

जिला प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश, सील मदरसों के बच्चों का पास के स्कूलों में कराएंगे दाखिला….वहीं, बिना मान्यता के नाम पर उन्हें सील किया जा रहा है। जो उनके साथ अन्याय है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक राजेंद्र कुमार के मुताबिक राज्य में 88 मदरसों ने मान्यता के लिए आवेदन किया था। जिनके मान्यता के प्रकरण लंबित थे, इसमें से 48 को मान्यता दी जा चुकी है। वहीं अन्य के मामले में फिर से जांच के लिए कहा गया है। वहीं, 49 मदरसों की मान्यता का नवीनीकरण किया गया है। 48 मदरसों को मान्यता मिलने के बाद राज्य में अब मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या बढ़कर 452 हो गई है।

प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में एक नया मोड़ आया है, जिसमें कई मदरसों के मान्यता प्राप्त होने और कुछ की जांच फिर से किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश में कुल 88 मदरसों ने मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था, लेकिन इनमें से केवल 48 मदरसों को ही मान्यता मिली है। शेष 40 मदरसों के मामलों को फिर से जांचने की बात कही गई है। इस खबर से प्रदेश में शिक्षा और विशेष रूप से मदरसा शिक्षा की स्थिति पर चर्चा छिड़ गई है।

मदरसा संचालकों का कहना है कि वे कई सालों से मान्यता प्राप्त करने के लिए प्रक्रिया पूरी कर चुके हैं, लेकिन फिर भी उन्हें मान्यता नहीं मिल रही है। इस स्थिति को लेकर उनका कहना है कि बिना मान्यता के मदरसा चलाना उनके लिए कठिन हो रहा है, क्योंकि उन्हें सरकारी सहायता और अन्य लाभ नहीं मिल पाते। इसके बावजूद, कुछ मदरसों की मान्यता के मामलों को फिर से जांचने का निर्देश दिया गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि मदरसों के संचालन में कुछ कमियां हो सकती हैं, जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। विभाग के निदेशक, राजेंद्र कुमार ने स्पष्ट किया है कि जिन मदरसों में कमियां पाई जाएंगी, उन्हें तब तक मान्यता नहीं दी जाएगी जब तक वे इन कमियों को ठीक नहीं कर लेते।

इस समय, प्रदेश में केवल 48 मदरसों को मान्यता मिली है, और अब राज्य में मान्यता प्राप्त मदरसों की कुल संख्या बढ़कर 452 हो गई है। यह एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि इससे मदरसों की स्थिति में सुधार हो सकता है और इन संस्थाओं को शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए सरकारी सहायता मिल सकती है। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि मदरसों में शिक्षा का स्तर बढ़े और बच्चों को बेहतर अवसर मिले।

हालांकि, उन मदरसों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति हो सकती है, जिनकी मान्यता के मामले अभी भी लंबित हैं या जिनके मामलों को फिर से जांचा जा रहा है। इनके लिए यह डर भी हो सकता है कि यदि वे मान्यता प्राप्त नहीं कर पाते, तो उनके लिए भविष्य में काम करना और बच्चों के लिए शिक्षा प्रदान करना कठिन हो जाएगा। इसके अलावा, बिना मान्यता के मदरसों को सील किए जाने के बाद, बच्चों को पास के स्कूलों में दाखिला देने का निर्देश भी दिया गया है, जिससे इन बच्चों की शिक्षा पर कोई असर न पड़े। यह निर्णय उन बच्चों के हित में है जो बिना मान्यता के मदरसों में पढ़ाई कर रहे थे और अब उन्हें सरकारी स्कूलों में उचित शिक्षा मिल सकेगी।

इस बीच, यह भी ध्यान में रखने की बात है कि प्रदेश में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग लगातार यह सुनिश्चित कर रहा है कि मदरसों की मान्यता का कार्य सही ढंग से हो। इसके साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि मदरसों के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाए और उन्हें आवश्यक सुविधाएं मिलें। इसलिए, जिन मदरसों के प्रकरण लंबित हैं या जिनकी जांच हो रही है, उन्हें उम्मीद है कि वे जल्द ही इस प्रक्रिया से बाहर निकलेंगे और मान्यता प्राप्त कर सकेंगे।

आखिरकार, यह कदम प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, और यदि सभी मदरसे मान्यता प्राप्त कर पाते हैं, तो इससे राज्य में शिक्षा के स्तर में सुधार होगा और बच्चों को बेहतर अवसर प्राप्त होंगे।

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