राखी, राहत और रिश्ता,, मुख्यमंत्री धामी ने आपदा के बीच संवेदनाओं को किया सलाम,, धराली में फंसी गुजरात की बहन ने दुपट्टा फाड़कर सीएम धामी को बांधी राखी

इन्तजार रजा हरिद्वार- राखी, राहत और रिश्ता,,
मुख्यमंत्री धामी ने आपदा के बीच संवेदनाओं को किया सलाम,,
धराली में फंसी गुजरात की बहन ने दुपट्टा फाड़कर सीएम धामी को बांधी राखी
उत्तरकाशी/धराली, 09 अगस्त 2025 – उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के धराली क्षेत्र में आई भीषण आपदा के बीच एक ऐसा दृश्य सामने आया, जिसने मानवीय संवेदनाओं को एक नई परिभाषा दी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जब आपदाग्रस्त क्षेत्र का निरीक्षण कर रहे थे, तभी गुजरात से आई एक महिला तीर्थयात्री, जो अपने परिवार सहित वहां फंसी हुई थी, ने उन्हें राखी बांधकर अपना भाई बना लिया। खास बात यह रही कि राखी न होने पर महिला ने अपने दुपट्टे का टुकड़ा फाड़कर उसे राखी का रूप दिया।
आपदा के बीच भाई-बहन का अटूट बंधन
धराली में बादल फटने और मलबा गिरने से कई लोग फंसे हुए थे। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और प्रशासन की टीमें राहत-बचाव में जुटी थीं। मुख्यमंत्री धामी मौके पर पहुंचकर न केवल राहत कार्यों की निगरानी कर रहे थे, बल्कि प्रभावित लोगों से सीधे संवाद भी कर रहे थे। इसी दौरान गुजरात से आई महिला तीर्थयात्री ने उनकी कलाई पर दुपट्टे की राखी बांधी और भावुक होकर कहा – “आपने हमें यहां से निकालने का भरोसा दिया है, आज से आप मेरे भाई हैं।”
राहत और भरोसे का वादा
मुख्यमंत्री धामी ने राखी बंधवाने के बाद बहन का हाथ पकड़कर आश्वासन दिया कि सरकार हर फंसे हुए यात्री और स्थानीय व्यक्ति को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने रेस्क्यू टीमों को और तेज़ी से काम करने के निर्देश दिए और प्रशासन को तुरंत राहत सामग्री व आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने को कहा।
मानवता का संदेश
यह घटना सिर्फ राखी का त्योहार मनाने का प्रतीक नहीं थी, बल्कि इसने साबित किया कि संकट के समय जाति, धर्म, राज्य और भाषा से ऊपर उठकर सिर्फ इंसानियत और रिश्ते मायने रखते हैं। धराली की इस राखी ने दिखा दिया कि भाई-बहन का बंधन सिर्फ जन्म से नहीं, बल्कि भावनाओं से भी बनता है।
धराली में मलबे और पानी से जूझ रहे लोग अब धीरे-धीरे सुरक्षित स्थानों की ओर पहुंचाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री के इस दौरे और भावुक क्षण ने वहां मौजूद हर व्यक्ति को एक नई उम्मीद और भरोसा दिया। यह दृश्य आने वाले वर्षों तक उत्तराखंड के आपदा इतिहास में मानवता की मिसाल के रूप में याद किया जाएगा।