⚫ बच्चों की ज़िंदगी से खिलवाड़ नहीं चलेगा!,, कफ सिरप से मौतें बनी राष्ट्रीय चिंता — केन्द्र सरकार सख्त, दो राज्यों में हड़कंप,, स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी जारी — दो साल से कम उम्र के बच्चों को न दी जाए कोई कफ-कोल्ड दवा,, बच्चों की मौतों से मचा हड़कंप — स्वास्थ्य मंत्रालय की आपात एडवाइजरी

इन्तजार रजा हरिद्वार ⚫ बच्चों की ज़िंदगी से खिलवाड़ नहीं चलेगा!,,
कफ सिरप से मौतें बनी राष्ट्रीय चिंता — केन्द्र सरकार सख्त, दो राज्यों में हड़कंप,,
स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी जारी — दो साल से कम उम्र के बच्चों को न दी जाए कोई कफ-कोल्ड दवा,,
बच्चों की मौतों से मचा हड़कंप — स्वास्थ्य मंत्रालय की आपात एडवाइजरी
नई दिल्ली।
देश में बच्चों की मौतों ने सरकार को झकझोर दिया है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में कथित रूप से कफ सिरप सेवन के बाद मासूमों की मौतों ने न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि दवा निर्माण कंपनियों और स्वास्थ्य विभागों की कार्यप्रणाली पर भी संदेह की गहरी रेखाएँ खींच दी हैं।
केंद्र सरकार ने अब इस पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए देशभर के डॉक्टरों और फार्मासिस्टों के लिए एक सख्त एडवाइजरी जारी की है— “दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार की कफ या कोल्ड दवा न दी जाए।”
⚫ बच्चों की मौतों से मचा हड़कंप — स्वास्थ्य मंत्रालय की आपात एडवाइजरी
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सभी स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशकों को पत्र लिखकर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी-जुकाम की कोई भी दवा न लिखी जाए और न ही मेडिकल स्टोर इन्हें बेचे।
एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि 5 साल तक की उम्र के बच्चों को ऐसी दवाएं सामान्य रूप से नहीं दी जानी चाहिए, और यदि दी भी जाएं तो वह केवल क्लिनिकल जांच और चिकित्सकीय निगरानी में ही दी जाएं।
यह निर्णय मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान में हुई बच्चों की दर्दनाक मौतों के बाद लिया गया है, जिनकी कड़ी कफ सिरप सेवन से जुड़ी पाई गई।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, छिंदवाड़ा में हुई मौतों की जांच के लिए एक बहु-विषयक टीम गठित की गई है, जो अब तक के सैंपल, दवाओं की बैच रिपोर्ट और अन्य फैक्टर का परीक्षण कर रही है ताकि मौतों का वास्तविक कारण स्पष्ट हो सके।
⚫ राजस्थान में कड़ा एक्शन — ड्रग कंट्रोलर निलंबित, कंपनी पर रोक
राजस्थान में बच्चों की मौत के बाद सरकार ने तुरंत सख्ती दिखाई। राज्य सरकार ने ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा को निलंबित कर दिया है और कayson Pharma नामक कंपनी की सभी 19 दवाओं की वितरण प्रक्रिया तत्काल रोक दी है।
ये वही दवाएं थीं जो मुख्यमंत्री फ्री मेडिसिन स्कीम के तहत मुफ्त वितरित की जा रही थीं।
इन सिरपों के सेवन से दो बच्चों की मौत और कई बच्चों की तबियत बिगड़ने की पुष्टि हुई है।
राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अनुसार, 2012 से अब तक Kayson Pharma की कुल 10,119 दवा सैंपलों में से 42 सैंपल घटिया (Substandard) पाए गए हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और कहा है—
“बच्चों की ज़िंदगी से खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषी कंपनी और अधिकारी बख्शे नहीं जाएंगे।”
⚫ मध्यप्रदेश में प्रतिबंध — ठंडी हुई मासूमों की सांसें, सरकार अलर्ट
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 9 बच्चों की मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि इन बच्चों को Coldrif Syrup दिया गया था, जिसके बाद उन्हें किडनी संक्रमण और अन्य जटिलताएं हुईं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा—
“छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत अत्यंत दुखद और अस्वीकार्य है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से Coldrif Syrup की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह सिरप कांचीपुरम (तमिलनाडु) की एक फैक्ट्री में निर्मित हुआ था। घटना के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने तमिलनाडु सरकार से इस पूरी घटना की जांच कराने का अनुरोध किया है।
फिलहाल संबंधित बैच की सभी बोतलें बाज़ार से हटाई जा रही हैं और फार्मा कंपनी के उत्पादन पर निगरानी रखी जा रही है।
⚫ सवालों के घेरे में फार्मा कंपनियां — जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ की कीमत कौन चुकाएगा?
यह कोई पहला मामला नहीं जब भारत में घटिया कफ सिरप ने बच्चों की जान ली हो। इससे पहले गैम्बिया और उज्बेकिस्तान में भी भारतीय कंपनियों के उत्पादों से जुड़ी मौतें सामने आ चुकी हैं।
ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है — क्या देश में दवा परीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण की प्रक्रिया केवल कागज़ों तक सीमित है?
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों के लिए उपयोग होने वाली दवाओं पर अलग और कठोर मानक लागू होने चाहिए, क्योंकि बच्चों का शरीर वयस्कों की तुलना में बेहद संवेदनशील होता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का यह कदम सही दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है, लेकिन अब असली चुनौती राज्यों के स्तर पर कड़ाई से अनुपालन कराने की है।
⚫मासूमों की सुरक्षा सर्वोपरि — ज़िम्मेदारी तय होनी ही चाहिए
कफ सिरप से बच्चों की मौत की घटनाएं किसी अपराध से कम नहीं।
अब यह केवल जांच का नहीं बल्कि ज़िम्मेदारी तय करने का मामला है।
केंद्र सरकार ने समय रहते चेताया है — लेकिन अगर राज्यों में फार्मा कंपनियां और अधिकारी इस चेतावनी को नजरअंदाज करते हैं, तो इसका परिणाम भयावह होगा।
हरिद्वार से लेकर छिंदवाड़ा और जयपुर तक एक ही संदेश गूंज रहा है —
“बच्चों की दवा से खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा दो, ताकि कोई अगला सिरप किसी मासूम की ज़िंदगी पर मौत का ताला न बन जाए।”