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हरिद्वार के वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम रोशनाबाद सहित उत्तराखंड के चार खेल परिसरों के बदले नाम, नए नामों का शासनादेश जारी, हरिद्वार के वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम सहित उत्तराखंड के 4 खेल परिसरों को मिला नया नाम, नई पहचान, हरिद्वार सहित चार शहरों के स्टेडियम अब नई सोच और उद्देश्य के प्रतीक खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार का भावनात्मक और दूरदर्शी कदम

इन्तजार रजा हरिद्वार-हरिद्वार के वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम रोशनाबाद सहित उत्तराखंड के चार खेल परिसरों के बदले नाम, नए नामों का शासनादेश जारी,

हरिद्वार के वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम सहित उत्तराखंड के 4 खेल परिसरों को मिला नया नाम, नई पहचान,
हरिद्वार सहित चार शहरों के स्टेडियम अब नई सोच और उद्देश्य के प्रतीक
खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार का भावनात्मक और दूरदर्शी कदम

उत्तराखंड सरकार ने राज्य के चार प्रमुख खेल परिसरों के नाम बदलकर उन्हें नई पहचान दी है। देहरादून, हल्द्वानी, रुद्रपुर और हरिद्वार के ये परिसर अब केवल खेल के मैदान नहीं रह गए हैं, बल्कि राज्य की संस्कृति, संकल्प और खेल भविष्य का प्रतीक बन चुके हैं। यह नाम परिवर्तन राज्य सरकार के ‘स्पोर्ट्स लिगेसी प्लान’ के अंतर्गत किया गया है, जिसका उद्देश्य है कि उत्तराखंड को राष्ट्रीय खेल मानचित्र पर सशक्त तरीके से स्थापित किया जा सके।

खेल मंत्री रेखा आर्या ने स्पष्ट किया कि यह नाम केवल प्रतीकात्मक बदलाव नहीं हैं, बल्कि आने वाले वर्षों में इन परिसरों को आधुनिक तकनीक, सुविधाओं और विश्वस्तरीय प्रशिक्षण ढांचे से लैस किया जाएगा। यह प्रयास राज्य के खिलाड़ियों को उनके ही ज़िले में विश्वस्तरीय ट्रेनिंग देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।         

चार शहर, चार नई पहचान

1. रजत जयंती खेल परिसर (देहरादून)
महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम और रायपुर की अन्य खेल सुविधाएं अब ‘रजत जयंती खेल परिसर’ के नाम से जानी जाएंगी। यह नाम राज्य की स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में रखा गया है, जिससे यह स्थल भविष्य में उत्तराखंड की खेल यात्रा की स्मृति के रूप में भी देखा जाएगा।

2. मानसखंड खेल परिसर (हल्द्वानी)
हल्द्वानी स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, हॉकी ग्राउंड, तरणताल और मल्टीपरपज हॉल को अब ‘मानसखंड खेल परिसर’ कहा जाएगा। मानसखंड कुमाऊं अंचल का ऐतिहासिक व सांस्कृतिक नाम है, जो इस क्षेत्र की पहचान और गौरव को दर्शाता है। इस नाम के माध्यम से सरकार ने स्थानीय सांस्कृतिक चेतना को खेल संरचनाओं से जोड़ने की पहल की है।

3. शिवालिक खेल परिसर (रुद्रपुर)
रुद्रपुर में स्थित मनोज सरकार स्टेडियम, साइक्लिंग वैलोड्रोम और अन्य खेल सुविधाओं को ‘शिवालिक खेल परिसर’ का नाम दिया गया है। शिवालिक उत्तराखंड की पर्वतीय श्रृंखला का नाम है, जो स्थायित्व, शक्ति और दृढ़ता का प्रतीक माना जाता है। यह नाम युवा खिलाड़ियों को मानसिक और शारीरिक मजबूती की प्रेरणा देता है।

4. योगस्थली खेल परिसर (हरिद्वार)
हरिद्वार, जो योग और आध्यात्म की वैश्विक राजधानी मानी जाती है, वहां वंदना कटारिया हॉकी स्टेडियम और अन्य खेल संरचनाएं अब ‘योगस्थली खेल परिसर’ के नाम से पहचानी जाएंगी। यह नाम उस मूल भावना को सामने लाता है कि एक सच्चा खिलाड़ी न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी संतुलित होता है — और योग उसकी ताकत का स्रोत है।

खेल मंत्री की सोच और सरकार की रणनीति

खेल मंत्री रेखा आर्या का कहना है कि “नाम बदलने का यह निर्णय केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि यह उस सोच का परिणाम है जिसमें खेल को राज्य निर्माण की नींव के रूप में देखा जा रहा है। अब उत्तराखंड के युवा अपने ही शहरों में विश्वस्तरीय सुविधाएं पाएंगे।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार का लक्ष्य केवल खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देना नहीं, बल्कि उनके आत्मविश्वास और पहचान को सशक्त करना भी है।

सरकार द्वारा घोषित ‘स्पोर्ट्स लिगेसी प्लान’ के अनुसार इन चारों खेल परिसरों को एकीकृत संरचना में परिवर्तित किया जाएगा। इनमें अत्याधुनिक खेल उपकरण, अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित ट्रैक, जिम, इंडोर कोचिंग सुविधाएं, वीडियो विश्लेषण लैब, और खिलाड़ियों के लिए विश्रामगृह जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

सरकार का यह भी दावा है कि जल्द ही हर जिले में ऐसे खेल परिसरों की श्रृंखला विकसित की जाएगी, जिससे ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले खिलाड़ियों को भी समुचित अवसर मिल सकें।


खेलों में नई ऊर्जा का संचार

यह परिवर्तन केवल भवनों के नाम का नहीं है, बल्कि यह एक नई सोच को जन्म देता है। जब कोई खिलाड़ी ‘रजत जयंती’, ‘मानसखंड’, ‘शिवालिक’ या ‘योगस्थली’ जैसे नामों से जुड़े मैदान में प्रवेश करेगा, तो उसे न केवल खेल भावना, बल्कि अपनी संस्कृति, परंपरा और जड़ों से जुड़ाव का अनुभव भी होगा।

यह प्रयास उत्तराखंड को पर्यटन और तीर्थ के साथ-साथ खेलों की भूमि के रूप में भी स्थापित करने की ओर बढ़ रहा है। सरकार का यह कदम भावनात्मक भी है और रणनीतिक भी — क्योंकि अब खिलाड़ी केवल दिल्ली, चंडीगढ़ या बेंगलुरु नहीं, बल्कि अपने राज्य में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग ले सकेंगे।

सरकार का मानना है कि जब सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं, तो प्रतिभा खुद अपना रास्ता बना लेती है। उत्तराखंड में पर्वतीय इलाकों से लेकर मैदानों तक, खेलों के प्रति उत्साह भरपूर है। आवश्यकता केवल उचित संसाधनों और प्रोत्साहन की है — और सरकार का यह कदम उसी दिशा में एक बड़ा संकेत है।


निष्कर्ष: नाम से नहीं, दृष्टिकोण से होगा बदलाव

उत्तराखंड के चार प्रमुख खेल परिसरों का नाम बदलना केवल प्रशासनिक घोषणा नहीं, बल्कि एक दृष्टिकोण परिवर्तन का संकेत है। सरकार ने संकेत दे दिया है कि अब उत्तराखंड अपने युवाओं को उनके ही प्रदेश में वह हर सुविधा देगा जिसकी उन्हें आवश्यकता है — सम्मान, संसाधन और भविष्य।

यह नाम बदलाव खेलों के माध्यम से राज्य के सांस्कृतिक गौरव, ऐतिहासिक विरासत और आध्यात्मिक चेतना को समाहित करता है। यदि यह प्रयास जमीनी स्तर पर साकार होते हैं, तो उत्तराखंड आने वाले समय में न केवल खिलाड़ियों का, बल्कि खेल संस्कृति का भी नेतृत्व कर सकता है।

अब हर मैदान सिर्फ मैदान नहीं रहेगा — वह एक पहचान, एक प्रेरणा और एक भविष्य बन जायेगा

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