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ग्रामीणों को रोज रात बिजली के अंधेरे में धकेल रहा सिस्टम,, ‘रोस्टिंग’ के नाम पर हो रहा ग्रामीण क्षेत्रों का शोषण,, डीएम हरिद्वार मयूर दीक्षित से लगाई गुहार: सौतेले व्यवहार से आक्रोशित ग्रामीण झनझना उठे,, ग्रामीण इलाकों को भी देखिए डीएम साहब चारों ओर रोज रात भर घना अंधेरा,, सिस्टम को तांकते ग्रामीण 

इन्तजार रजा हरिद्वार- ग्रामीणों को रोज रात बिजली के अंधेरे में धकेल रहा सिस्टम,,
‘रोस्टिंग’ के नाम पर हो रहा ग्रामीण क्षेत्रों का शोषण,,
डीएम हरिद्वार मयूर दीक्षित से लगाई गुहार: सौतेले व्यवहार से आक्रोशित ग्रामीण झनझना उठे,, ग्रामीण इलाकों को भी देखिए डीएम साहब चारों ओर रोज रात भर घना अंधेरा,, सिस्टम को तांकते ग्रामीण

हरिद्वार: जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बीते कई दिनों से बिजली आपूर्ति की हालत बद से बदतर हो चुकी है। विभागीय ‘रोस्टिंग’ के नाम पर ग्रामीण जनता को रोजाना रात भर अंधेरे में झोंक दिया जाता है। लोग बिना बिजली के रात गुजारने को मजबूर हैं और बिजली विभाग इस समस्या पर आंख मूंदे बैठा है। बारिश, मच्छर, अफवाहों और असुरक्षा के माहौल के बीच ग्रामीणों की यह रातें अब उनके सब्र की सीमा पार कर चुकी हैं। कई गांवों में बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों की तबीयत और किसान परिवारों का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

असल बिजली रोस्टिंग या बिजली विभाग का नया  बहाना?

बिजली विभाग द्वारा घोषित रोस्टिंग की आड़ में अब यह अघोषित कटौती एक शोषण का रूप ले चुकी है। जहां एक ओर शहरी क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति लगभग निर्बाध बनी रहती है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण इलाकों में रात 8 बजे से सुबह 4 बजे तक की आपूर्ति ठप कर दी जाती है। कई बार तो पूरे दिन भी बिजली का नामोनिशान नहीं रहता। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग जानबूझकर उनका उत्पीड़न कर रहा है, क्योंकि कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही।

अंधेरे में डर और दहशत का माहौल

बारिश के मौसम में बिजली न होने से गांवों में डर और अफवाहों का माहौल बना रहता है। सांप-बिच्छुओं से लेकर चोरी-डकैती तक की आशंका ग्रामीणों को सताती रहती है। झनझनाते इन लोगों का कहना है कि विभाग को उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य या बच्चों की शिक्षा से कोई सरोकार नहीं है। बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई, गर्मी में बीमारों की हालत, पशुओं की देखरेख जैसे मुद्दों पर बिजली विभाग पूरी तरह असंवेदनशील बना हुआ है।

डीएम से लगाई न्याय की गुहार

हरिद्वार के कई गांवों के ग्रामीणों ने अब इस बिजली कटौती और सौतेले व्यवहार के खिलाफ आवाज़ बुलंद करते हुए डीएम मयूर दीक्षित से हस्तक्षेप की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा है कि जब जिले में विद्युत उत्पादन की कमी नहीं है, तो आखिर उन्हें ही अंधेरे में क्यों धकेला जा रहा है? यदि शहरी क्षेत्रों को बिजली मिल सकती है तो ग्रामीणों को क्यों नहीं?

जनता की चेतावनी: आंदोलन के लिए तैयार

आक्रोशित ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही बिजली व्यवस्था सुधारी नहीं गई और उन्हें बराबरी का हक नहीं मिला, तो वे गांव स्तर पर आंदोलन शुरू करेंगे। डीएम से उम्मीद है कि वे इस गंभीर समस्या को संज्ञान में लेकर बिजली विभाग को निर्देश देंगे, ताकि ग्रामीणों को अंधेरे के इस नरक से बाहर निकाला जा सके।

बिजली विभाग की इस असंवेदनशीलता ने स्पष्ट कर दिया है कि ‘रोस्टिंग’ अब तकनीकी शब्द नहीं, बल्कि ग्रामीणों के लिए रोज़ का संकट बन चुका है।

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