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हरिद्वार में दलित समाज का ऐतिहासिक जमावड़ा: 14 अप्रैल को हरिद्वार में डॉ. बी.आर. अंबेडकर महामंच के बैनर तले होगा भव्य आयोजन,आयोजन की तैयारीयां पूरी, सामाजिक एकता की दिशा में एक कदम

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार में दलित समाज का ऐतिहासिक जमावड़ा: 14 अप्रैल को हरिद्वार में डॉ. बी.आर. अंबेडकर महामंच के बैनर तले होगा भव्य आयोजन,आयोजन की तैयारीयां पूरी, सामाजिक एकता की दिशा में एक कदम

हरिद्वार की पावन धरती पर एक बार फिर सामाजिक एकता और समानता का साक्षी बनने जा रही है। 14 अप्रैल 2025 को, डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के शुभ अवसर पर केंद्रीय विद्यालय भेल, सेक्टर-4 हरिद्वार में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा है। यह आयोजन डॉ. बी.आर. अंबेडकर महामंच के बैनर तले आयोजित किया जा रहा है, जिसमें देशभर से लगभग 30 हजार से अधिक लोगों के शामिल होने की संभावना है। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे।

आयोजन की तैयारी जोरों पर

कार्यक्रम को लेकर तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं। त्रिशूल गेस्ट हाउस में आयोजित बैठक में दलित समाज के विभिन्न संगठनों, कार्यकर्ताओं और सामाजिक नेताओं ने भाग लिया। इसमें कार्यक्रम के सुचारू संचालन के लिए ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गईं। अधिवक्ता विनोद आज़ाद ने बताया कि यह आयोजन इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ने जा रहा है, क्योंकि इस मंच से समाज को एक नई दिशा देने की पहल की जा रही है।

इस आयोजन में न सिर्फ डॉ. अंबेडकर के विचारों और सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार होगा, बल्कि समान नागरिक संहिता (UCC) जैसे अहम मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का संदेश भी प्रसारित किया जाएगा।

कार्यक्रम की खास बातें

  1. स्थान: केंद्रीय विद्यालय, भेल सेक्टर-4, हरिद्वार
  2. तिथि: 14 अप्रैल 2025 (डॉ. अंबेडकर जयंती)
  3. आयोजक: डॉ. बी.आर. अंबेडकर महामंच
  4. मुख्य अतिथि: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
  5. संभावित उपस्थिति: 30,000+ लोग
  6. विषय: सामाजिक न्याय, समानता, समान नागरिक संहिता पर संवाद
  7. विशेष व्यवस्थाएं: बिजली, पानी, बैठने की व्यवस्था, सुरक्षा और ट्रैफिक नियंत्रण
  8. सहयोग: पुलिस-प्रशासन एवं महामंच कार्यकर्ता

सामाजिक महत्व

14 अप्रैल को आयोजित यह कार्यक्रम केवल एक सामाजिक आयोजन नहीं, बल्कि दलित समाज की एकता, संघर्ष और अधिकारों की गूंज है। डॉ. अंबेडकर के आदर्शों पर आधारित यह सम्मेलन सामाजिक न्याय और समरसता की भावना को बल देने का कार्य करेगा। इस मंच से समाज के पिछड़े, वंचित और शोषित वर्ग को अपनी बात कहने और समान अधिकारों की मांग करने का अवसर मिलेगा।

महामंच के पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह आयोजन राजनीति से ऊपर उठकर एक सामाजिक जागरूकता अभियान है। इसमें युवाओं, महिलाओं, बुद्धिजीवियों और आम जनमानस की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।

प्रशासनिक तैयारी और समर्थन

कार्यक्रम को लेकर प्रशासन भी पूरी तरह मुस्तैद है। सुरक्षा के लिहाज से ट्रैफिक प्लान तैयार किया गया है और आयोजन स्थल तक लोगों की सुगम आवाजाही के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। पुलिस और ट्रैफिक विभाग द्वारा रूट डायवर्जन की सूचना जारी की गई है ताकि किसी तरह की अव्यवस्था न हो। आयोजन स्थल पर पानी, टेंट, शौचालय, चिकित्सा सुविधा आदि की विशेष तैयारी की गई है।

समान नागरिक संहिता पर विशेष फोकस

इस बार के आयोजन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें समान नागरिक संहिता (UCC) पर भी चर्चा और संवाद होगा। यह पहली बार है जब किसी सामाजिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का संबोधन इस मुद्दे पर होगा। यह विषय न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि सामाजिक रूप से भी अत्यंत संवेदनशील है, और इसका सीधा प्रभाव दलित समाज सहित पूरे राष्ट्र पर पड़ेगा।

युवाओं और महिलाओं की भागीदारी

इस कार्यक्रम में युवाओं और महिलाओं की विशेष भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। डॉ. अंबेडकर के विचारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषण प्रतियोगिताएं, निबंध लेखन और जागरूकता शिविरों का आयोजन भी किया जा रहा है। महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें स्वावलंबी बनाने पर भी विमर्श होगा।

सामाजिक एकता की दिशा में एक कदम

यह आयोजन केवल दलित समाज के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारतीय समाज के लिए एक संदेश है कि एकता, समरसता और सामाजिक न्याय आज भी हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत है। डॉ. अंबेडकर ने जिस समाज की कल्पना की थी, उसमें सभी को समान अधिकार, सम्मान और अवसर मिलना चाहिए। यह सम्मेलन उन्हीं आदर्शों की पुनः पुष्टि करेगा।

हरिद्वार में आयोजित होने वाला यह भव्य सम्मेलन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति की शुरुआत है। यह आयोजन दलित समाज की शक्ति, एकता और जागरूकता का प्रतीक बनेगा। महामंच के नेतृत्व में हो रहा यह कार्यक्रम आने वाले समय में उत्तराखंड सहित पूरे देश में सामाजिक बदलाव की नींव रखेगा।

डॉ. अंबेडकर के सिद्धांतों को जीवन में उतारने का यह सही समय है। यह आयोजन एक नई चेतना, नया आत्मविश्वास और नया संदेश लेकर आएगा—”समानता हमारा अधिकार है, और हम इसे लेकर रहेंगे।”

 

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