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ज्वालापुर पुलिस ने किया साइबर फ्रॉड का बड़ा खुलासा, SSP हरिद्वार प्रमेन्द्र सिंह डोबाल के सुपरविजन में सुलझाई अनोखी गुत्थी,, वादी ही निकला आरोपी, तीन दबोचे – मास्टरमाइंड अब भी फरार,, जब खुलने लगी परतें: वादी ही निकला आरोपी,, झूठे वारंट और नकली खेल का पर्दाफाश

इन्तजार रजा हरिद्वार- ज्वालापुर पुलिस ने किया साइबर फ्रॉड का बड़ा खुलासा, SSP हरिद्वार प्रमेन्द्र सिंह डोबाल के सुपरविजन में सुलझाई अनोखी गुत्थी,,

वादी ही निकला आरोपी, तीन दबोचे – मास्टरमाइंड अब भी फरार,,

जब खुलने लगी परतें: वादी ही निकला आरोपी,,

झूठे वारंट और नकली खेल का पर्दाफाश

हरिद्वार। साइबर अपराध की दुनिया में हर दिन नए-नए तरीके सामने आते रहते हैं। कभी फर्जी कॉल करके बैंक डिटेल निकलवाना, तो कभी लिंक भेजकर मोबाइल हैक करना। लेकिन हरिद्वार पुलिस ने जिस सनसनीखेज़ मामले का पर्दाफाश किया है, उसने सबको चौंका दिया। यहां वादी ही आरोपी बन बैठा। यानी जिसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, वही इस पूरे षड्यंत्र का अहम किरदार निकला।

पुलिस ने वादी समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है जबकि मास्टरमाइंड कृष्णकांत अब भी पुलिस की पकड़ से दूर है। एसएसपी हरिद्वार प्रमेन्द्र सिंह डोबाल के सुपरविजन और कोतवाली ज्वालापुर व सीआईयू रुड़की टीम की मेहनत से यह गुत्थी सुलझ सकी।

घटना की शुरुआत: जब पीड़ित ने दी थी शिकायत

28 जुलाई 2025 को कोतवाली ज्वालापुर में सुरेंद्र पुत्र सुमन निवासी शिवधाम कॉलोनी, गली नंबर 2 सुभाष नगर पहुंचा और शिकायत दर्ज कराई। उसने कहा कि उसके मोबाइल पर एक नोटिफिकेशन आया और फिर एक पीडीएफ डाउनलोड करने को कहा गया। इसके बाद उसे पटेल नगर थाना देहरादून से एक सड़क दुर्घटना मामले में गैर-जमानती वारंट जारी होने का डर दिखाकर 30 हजार रुपये ट्रांसफर करने को मजबूर किया गया।

शिकायत सुनकर पुलिस ने गंभीरता दिखाई और मुकदमा अपराध संख्या 370/2025 धारा 318(4) बीएनएस दर्ज कर लिया।

साइबर सेल की तेज़ी और पहला सुराग

साइबर सेल हरकत में आई और रकम की ट्रेसिंग शुरू की। जांच में सामने आया कि 30 हजार रुपये पाँच अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किए गए। टीम ने त्वरित कार्रवाई कर 25 हजार रुपये होल्ड भी करा दिए।

लेकिन जब खाताधारकों को तलब किया गया तो असली पहेली सामने आई। सभी खाताधारकों ने पुलिस को बताया कि न तो उन्होंने यह रकम खर्च की और न ही इस धोखाधड़ी से उनका कोई लेना-देना है। उल्टा उन्होंने तो साइबर पोर्टल और थाने में शिकायत कर पैसे लौटाने की बात कही थी।

जब खुलने लगी परतें: वादी ही निकला आरोपी

पुलिस ने गहराई से जांच शुरू की। सुराग-सबूतों की कड़ियां जोड़ते हुए जांच टीम उस शख्स तक पहुँची जिसने शुरुआत में खुद को पीड़ित बताया था। पुलिस को पता चला कि वादी सुरेंद्र का नाम पहले से ही अपराध की दुनिया में दर्ज है।

दरअसल, वर्ष 2022 में सुरेंद्र सिडकुल थाना क्षेत्र में दर्ज दुष्कर्म के मामले में जेल जा चुका था। वहीं उसकी मुलाकात कृष्णकांत नामक अपराधी से हुई। कृष्णकांत ने सुरेंद्र की जमानत कराई और फिर उसे अपने गैंग का हिस्सा बना लिया।

मास्टरमाइंड कृष्णकांत की साजिश

कृष्णकांत पहले से ही कई आपराधिक मामलों में शामिल रहा है। उसने बदले और लालच की राजनीति खेली। उसने सुरेंद्र को कहा कि अगर वह उसके साथ काम करेगा तो उसे मोटी रकम मिलेगी। शुरू में सुरेंद्र को 35 हजार रुपये नकद दिए गए और बाद में ढाई लाख रुपये भी थमाए गए।

कृष्णकांत ने अपने भाई डेविड और साले राहुल को भी साथ मिलाया और एक अनोखा प्लान तैयार किया।

साजिश का तरीका: झूठे वारंट और नकली खेल

गैंग ने फर्जी गैर-जमानती वारंट तैयार किए। फिर सुरेंद्र के खाते से जानबूझकर अलग-अलग लोगों के खातों में 5-5 हजार रुपये ट्रांसफर कराए। इसके बाद उन्हीं खातों को आधार बनाकर साइबर फ्रॉड की झूठी शिकायतें दर्ज कराई गईं।

असल में यह चाल दोहरी थी — एक तरफ खाताधारकों पर दबाव बनाना और दूसरी तरफ पुलिस को गुमराह कर झूठे केस खड़े करना।

पुलिस जांच और ठोस कार्रवाई

जब पुलिस ने हर पहलू से जांच की तो सुरेंद्र, डेविड और राहुल का नाम साफ़ सामने आया। इसके बाद दबिश दी गई और तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरफ्तार आरोपी

  1. सुरेंद्र पुत्र सुमन (मूल निवासी रायबरेली, हाल निवासी शिवधाम कॉलोनी, हरिद्वार)
  2. डेविड पुत्र विनोद (निवासी ग्राम नारसन खुर्द, कोतवाली मंगलौर)
  3. राहुल पुत्र पवन (निवासी ग्राम सुगरासा, थाना पथरी, हरिद्वार)

बरामदगी की पूरी लिस्ट

पुलिस ने आरोपियों के पास से कई अहम सबूत बरामद किए:

  • ₹50,000 नगद
  • 03 मोबाइल फोन
  • 01 यूपीएस
  • 01 प्रिंटर
  • 02 फर्जी गैर-जमानती वारंट
  • 04 प्रार्थना पत्र व 06 पेमेंट डिटेल
  • वोटर आईडी कार्ड व विजिटिंग कार्ड

आपराधिक इतिहास

  • डेविड पहले से ही धोखाधड़ी और गैंगस्टर एक्ट के कई मामलों में वांछित है।
  • सुरेंद्र 2022 में दुष्कर्म के मामले में जेल जा चुका है।
  • राहुल भी कृष्णकांत के साथ लंबे समय से जुड़ा हुआ है।

इनका आपराधिक नेटवर्क लगातार बढ़ रहा था और इसी कड़ी में यह नया खेल रचा गया।

पुलिस टीम का योगदान

इस बड़ी सफलता में कोतवाली ज्वालापुर प्रभारी निरीक्षक अमरजीत सिंह, हेड कांस्टेबल हिमेश चंद्र, कांस्टेबल दिनेश कुमार, रवि कुमार, सतवीर सिंह के साथ सीआईयू रुड़की प्रभारी एसआई अंकुर शर्मा और उनकी टीम — हेड कांस्टेबल चमन, अश्वनी और मनमोहन भंडारी की अहम भूमिका रही।

मास्टरमाइंड की तलाश जारी

गैंग का मास्टरमाइंड कृष्णकांत अभी फरार है। उसके खिलाफ पहले से ही हरिद्वार और आसपास के थानों में धोखाधड़ी, ठगी और गैंगस्टर एक्ट जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। पुलिस की टीमें लगातार दबिश दे रही हैं और जल्द ही उसके गिरफ्त में आने की उम्मीद है।

एसएसपी हरिद्वार प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने कहा कि

“यह बेहद पेचीदा और अलग किस्म का साइबर फ्रॉड था। आरोपी खुद को पीड़ित बनाकर पुलिस को गुमराह करना चाहते थे, लेकिन हमारी टीम ने हर तथ्य और सबूत को खंगालकर सच्चाई उजागर कर दी। यह कार्रवाई इस बात का सबूत है कि अपराध चाहे कितना भी चालाक क्यों न हो, कानून से बचना नामुमकिन है। हर अपराधी को पुलिस की पकड़ में आना ही पड़ेगा।”

यह केस सिर्फ साइबर फ्रॉड का नहीं बल्कि झूठी शिकायत, षड्यंत्र और आपराधिक गठजोड़ का अनोखा उदाहरण है। हरिद्वार पुलिस ने अपने पेशेवर अंदाज़ से साबित कर दिया कि वह हर परिस्थिति में सच्चाई तक पहुँच सकती है।

वादी के रूप में सामने आया आरोपी, उसके साथियों की गिरफ्तारी और मास्टरमाइंड की तलाश इस केस को और भी खास बना देती है। यह उन सभी अपराधियों के लिए चेतावनी है जो सोचते हैं कि पुलिस को गुमराह कर अपराध को छिपाया जा सकता है।

हरिद्वार पुलिस ने दिखा दिया है कि चाहे अपराध का जाल कितना भी उलझा क्यों न हो, सच सामने आकर ही रहता है।

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