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वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स के बयान को लेकर मुस्लिम समुदाय में आक्रोश,पिरान कलियर में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के विवादित बयान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन,शादाब शम्स का जलाया गया पुतला 

प्रदर्शनकारियों ने रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें शादाब शम्स के बयान को निंदनीय बताया गया और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई

इन्तजार रजा हरिद्वार- वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स के बयान को लेकर मुस्लिम समुदाय में आक्रोश,पिरान कलियर में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के विवादित बयान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन,शादाब शम्स का जलाया गया पुतला

हरिद्वार के पिरान कलियर में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के विवादित बयान के खिलाफ शुक्रवार को जोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ। शादाब शम्स ने हाल ही में एक बयान में कहा था, “जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नहीं है, वह मुसलमान नहीं है।” इसके साथ ही उन्होंने विपक्षी मुस्लिम संगठनों पर लोगों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया था। उनके इस बयान ने मुस्लिम समुदाय में नाराजगी को जन्म दिया, और इसका विरोध करने के लिए बड़ी संख्या में लोग शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद एकत्रित हो गए।

प्रदर्शनकारियों ने पिरान कलियर के पीपल चौक पर एकत्र होकर शादाब शम्स का पुतला जलाया और जोरदार नारेबाजी की। इस दौरान उनकी मांग थी कि शादाब शम्स के बयान को निंदनीय माना जाए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि कोई भी व्यक्ति यह अधिकार नहीं रखता कि वह यह तय करे कि कौन मुसलमान है और कौन नहीं। उनका यह भी कहना था कि धार्मिक पहचान और विश्वास व्यक्तिगत मामला है, जिसे किसी भी व्यक्ति या संगठन को विवादित नहीं करना चाहिए।

शादाब शम्स का यह बयान भारतीय समाज के धार्मिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में बहुत ही संवेदनशील विषय बना हुआ है। जहां एक तरफ कुछ लोग इसे राजनीति और धर्म को जोड़ने की कोशिश मानते हैं, वहीं दूसरी तरफ यह बयान उन लोगों के लिए भी आपत्ति का कारण बन गया है, जो धर्म के नाम पर राजनीति करने के खिलाफ हैं। मुस्लिम समुदाय के भीतर यह सवाल उठ रहा है कि शादाब शम्स जैसे व्यक्तियों को इस तरह के बयानों के माध्यम से समाज में मतभेद और विभाजन पैदा करने का अधिकार नहीं होना चाहिए।

शादाब शम्स के बयान को लेकर मुस्लिम समुदाय के भीतर आक्रोश का यह प्रदर्शन सिर्फ एक स्थानिक घटना नहीं, बल्कि एक बड़ा संकेत है कि धार्मिक और राजनीतिक बयानों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है। पिरान कलियर का विरोध प्रदर्शन इस बात का प्रतीक है कि समाज में एकजुटता बनाए रखने के लिए धर्म और राजनीति के बीच की रेखा को स्पष्ट किया जाना चाहिए।प्रदर्शनकारियों ने थानाध्यक्ष के माध्यम से रुड़की के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें शादाब शम्स के बयान को निंदनीय बताया गया और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई। यह विरोध प्रदर्शन यह भी दिखाता है कि मुस्लिम समाज में भी इस तरह के विवादों को लेकर चेतना और जागरूकता बढ़ रही है। अब यह सवाल उठता है कि क्या इस तरह के बयान देश की सामाजिक समरसता को खतरे में डालने वाले हैं?

इस घटना ने इस बात को भी सामने लाया है कि भारतीय समाज में धर्म, राजनीति और व्यक्तिगत विश्वासों के बीच संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। लोगों के धार्मिक विश्वासों का सम्मान किया जाना चाहिए, और किसी को भी यह अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए कि वह दूसरों के धार्मिक पहचान पर सवाल उठाए।

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