सिडकुल क्षैत्र में जेपी कंपनी का औचक निरीक्षण – ड्रग्स कंट्रोल विभाग व एएनटीएफ की संयुक्त कार्रवाई,, नार्कोटिक्स दवाओं के लाइसेंस, स्टॉक और वितरण व्यवस्थाओं की गहन जांच – बिलिंग व रिकॉर्ड पर विशेष फोकस,, नियम तोड़ने वाली कंपनियों पर होगी सख्त कानूनी कार्रवाई – अभियान से वैध व्यापार और दुरुपयोग रोकने का प्रयास

इन्तजार रजा हरिद्वार- सिडकुल क्षैत्र में जेपी कंपनी का औचक निरीक्षण – ड्रग्स कंट्रोल विभाग व एएनटीएफ की संयुक्त कार्रवाई,,
नार्कोटिक्स दवाओं के लाइसेंस, स्टॉक और वितरण व्यवस्थाओं की गहन जांच – बिलिंग व रिकॉर्ड पर विशेष फोकस,,
नियम तोड़ने वाली कंपनियों पर होगी सख्त कानूनी कार्रवाई – अभियान से वैध व्यापार और दुरुपयोग रोकने का प्रयास
हरिद्वार। जिले में चल रहे विशेष अभियान के तहत ड्रग्स कंट्रोल विभाग और एएनटीएफ (एंटी-नार्कोटिक्स टास्क फोर्स) की संयुक्त टीम ने सिडकुल क्षेत्र स्थित जेपी कंपनी का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान स्थानीय पुलिस बल भी मौके पर मौजूद रहा। यह कार्रवाई नशीली और प्रतिबंधित श्रेणी की दवाइयों के निर्माण, स्टॉक, वितरण और लाइसेंस संबंधी प्रावधानों की जांच के लिए की गई। टीम ने कंपनी के सभी दस्तावेजों और स्टॉक से जुड़ी व्यवस्थाओं की गहनता से पड़ताल की।
वरिष्ठ ड्रग्स इंस्पेक्टर अनीता भारती ने बताया कि यह अभियान जिले में उन सभी कंपनियों के निरीक्षण का हिस्सा है, जो नार्कोटिक्स श्रेणी की दवाइयां बनाती या वितरित करती हैं। उनका कहना था कि निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य कंपनियों के लाइसेंस की जांच करना और दवाइयों के आदान–प्रदान (स्टॉक और वितरण) की पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि ऐसे निरीक्षणों से दवाओं के वैध व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और दुरुपयोग की संभावनाओं पर अंकुश लगेगा।
अनीता भारती ने स्पष्ट किया कि नार्कोटिक्स दवाइयां बनाने वाली कंपनियां जिन पार्टियों को माल सप्लाई करती हैं, उनकी पूर्ण बिलिंग होना अनिवार्य है। साथ ही, जो लाइसेंस पार्टियों की ओर से दिखाए जाते हैं, उनकी भी जांच आवश्यक है। यह सुनिश्चित करने के लिए टीम दस्तावेज़, बिलिंग रिकॉर्ड, लाइसेंस व स्टॉक रजिस्टर का बारीकी से परीक्षण कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि निरीक्षण के दौरान किसी भी कंपनी को नियमों का उल्लंघन करते पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
निरीक्षण टीम में ड्रग्स इंस्पेक्टर मेघा, हरीश, विजय सिंह, सुनील सिंह, राजवर्धन, सतेंद्र चौधरी, मीनाक्षी आदि शामिल रहे। सभी अधिकारियों ने संयुक्त रूप से कंपनी के विभिन्न विभागों का दौरा कर वहां की प्रक्रियाओं का मूल्यांकन किया। इस दौरान उत्पादन से लेकर पैकेजिंग, स्टॉक रूम, डिलीवरी सेक्शन और लाइसेंस व बिलिंग रिकॉर्ड तक सबकी जांच की गई।
टीम के सदस्यों ने बताया कि यह कार्रवाई सिर्फ एक कंपनी तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि जिले की अन्य फार्मा और हेल्थकेयर यूनिट्स में भी इसी तरह के निरीक्षण किए जाएंगे। उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी कंपनी या संस्था बिना वैध अनुमति के नार्कोटिक्स श्रेणी की दवाओं का उत्पादन, भंडारण या वितरण न करे। अभियान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि नशीली दवाओं का दुरुपयोग रोकना समाज और स्वास्थ्य दोनों के लिए जरूरी है। इस तरह के निरीक्षणों से जहां दवाओं के अवैध व्यापार पर रोक लगेगी, वहीं जनता तक सुरक्षित और वैध दवाइयां पहुंचाना भी सुनिश्चित होगा।
टीम ने कंपनी प्रबंधन को निर्देशित किया कि वे सभी दस्तावेज़ और स्टॉक रजिस्टर अद्यतन रखें तथा लाइसेंस की शर्तों के अनुरूप ही काम करें। निरीक्षण के दौरान सब कुछ नियमों के अनुरूप पाया गया, फिर भी टीम ने आगे भी सतर्कता बनाए रखने और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की सलाह दी। इस अभियान से जिले की फार्मा कंपनियों को संदेश मिला है कि नशीली दवाओं से संबंधित नियमों के पालन में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ड्रग्स कंट्रोल विभाग और एएनटीएफ की यह पहल कानून व्यवस्था के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
स्थानीय लोगों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी इस तरह के निरीक्षणों का स्वागत किया है। उनका कहना है कि जब प्रशासनिक टीमें नियमित निरीक्षण करेंगी तो नकली या अवैध दवाइयों का खतरा कम होगा और दवाइयों की आपूर्ति की पारदर्शिता बढ़ेगी।

नार्कोटिक्स श्रेणी की दवाओं के उत्पादन और वितरण में सख्ती अपनाकर जिला प्रशासन न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत कर रहा है, बल्कि कानून के दायरे में रहकर काम करने वाली कंपनियों के प्रति भी भरोसा बढ़ा रहा है।
इस पूरे अभियान को लेकर स्पष्ट संदेश है कि सरकार और संबंधित विभाग नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति अपना रहे हैं। अगर कोई भी कंपनी नियमों का उल्लंघन करती पाई गई तो उसके खिलाफ न सिर्फ प्रशासनिक बल्कि कानूनी कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी।इस प्रकार, सिडकुल स्थित जेपी कंपनी के निरीक्षण से यह साफ हो गया है कि विभाग अब नार्कोटिक्स श्रेणी की दवाइयों को लेकर अधिक सतर्क है। इस अभियान से दवाओं के वैध व्यापार और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर लगाम कसने में मदद मिलेगी।