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हरिद्वार जंगलों में वन्यजीव संरक्षण पर बड़ा सवाल,, श्यामपुर रेंज में फिर मिला हाथी का शव, 5 दिन में तीसरे हाथी की मौत ने मचाई सनसनी,, बडा सवाल क्या विभागीय लापरवाही, करंट या शिकार—आखिर क्यों ताबड़तोड़ मर रहे हाथी?,, 5 दिन में तीसरे हाथी की मौत से बढ़ी चिंता, उठ रहे गंभीर सवाल,, वन विभाग की टीम जांच में जुटी

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार जंगलों में वन्यजीव संरक्षण पर बड़ा सवाल,,

श्यामपुर रेंज में फिर मिला हाथी का शव, 5 दिन में तीसरे हाथी की मौत ने मचाई सनसनी,,

बडा सवाल क्या विभागीय लापरवाही, करंट या शिकार—आखिर क्यों ताबड़तोड़ मर रहे हाथी?,,

5 दिन में तीसरे हाथी की मौत से बढ़ी चिंता, उठ रहे गंभीर सवाल,, वन विभाग की टीम जांच में जुटी

हरिद्वार, 02 अक्टूबर।
हरिद्वार वन प्रभाग की श्यामपुर रेंज के पीली पड़ाव गांव से गुरुवार सुबह एक और हाथी का शव मिलने की खबर से वन विभाग में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों ने खेतों के पास मृत पड़े हाथी को देखा और तुरंत अधिकारियों को सूचना दी। मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। यह घटना पिछले 5 दिनों में तीसरे हाथी की मौत है, जिसने वन्य जीवन संरक्षण की गंभीरता और विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। हरिद्वार मे तीन हाथियों की मौत ने वन विभाग में हड़कंप मचा दिया  बुधवार रात एक नर हाथी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई। इससे पहले, दो अन्य हाथियों की मौत अलग-अलग क्षेत्रों में हो चुकी है। बताया जा रहा है कि मृत नर हाथी कई दिनों से बीमार था, और उसकी मौत की सूचना वन विभाग को देर से मिली। वन विभाग ने पीली पड़ाव में मृत हाथी का पोस्टमार्टम शुरू कर दिया है। डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध के अनुसार, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही मौत का सही कारण पता चल सकेगा। अन्य दो हाथियों की मौत के कारण भी अभी अस्पष्ट हैं। इन घटनाओं ने वन्यजीव संरक्षण को लेकर चिंता बढ़ा दी है। अलग-अलग क्षेत्रों में हुई इन मौतों से बीमारी या अन्य कारणों की आशंका जताई जा रही है। वन विभाग ने क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी है और बाकी हाथियों की निगरानी के लिए विशेष टीमें बनाई हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जाँच से मौतों के कारणों का खुलासा होने की उम्मीद है।

लगातार हो रही मौतों से बढ़ा खतरा

हरिद्वार और आसपास के जंगल हाथियों के लिए प्राकृतिक आवास माने जाते हैं। यहां हाथियों का बड़ा झुंड अक्सर दिखाई देता है। लेकिन पिछले पांच दिनों में लगातार तीन हाथियों की मौत होना वन्यजीव संरक्षण के लिए खतरे की घंटी है। स्थानीय लोगों के अनुसार, हाथियों की मौत का कारण अभी साफ नहीं हो सका है। कुछ लोग इसे बीमारी से जोड़ रहे हैं, तो कुछ इसे करंट या शिकार से जुड़ा मान रहे हैं। वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि हाथियों की इस तरह लगातार मौत होना बेहद चिंताजनक है। अगर यह किसी बीमारी की वजह से है तो जंगलों के बाकी हाथियों और दूसरे जानवरों पर भी इसका असर पड़ सकता है। वहीं, अगर यह शिकार या करंट से जुड़ा मामला है, तो यह सीधे तौर पर वन विभाग की लापरवाही को दर्शाता है।

वन विभाग की जांच जारी

श्यामपुर रेंज के रेंजर ने बताया कि हाथी के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम की तैयारी शुरू कर दी गई है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम को बुलाया गया है ताकि मौत के असली कारण का पता चल सके। विभाग ने पूरे इलाके को सील कर दिया है और जांच में सहयोग के लिए फॉरेंसिक टीम भी बुलाई जा रही है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ समय से हाथियों के लगातार मरने की घटनाओं को लेकर उच्च स्तर पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि मौत के कारणों का सही खुलासा रिपोर्ट आने के बाद ही किया जा सकेगा।

ग्रामीणों में दहशत का माहौल

गांव के लोगों में भी डर और चिंता का माहौल है। एक ग्रामीण ने बताया, हरिद्वार के विभिन्न हिस्सों से “यह तीसरे हाथी की मौत है, हम सब डरे हुए हैं। अगर यह कोई बीमारी है तो इंसानों और पालतू जानवरों के लिए भी खतरनाक हो सकता है। अगर यह शिकार है तो यह और भी खतरनाक है।” स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग को गश्त बढ़ानी चाहिए और हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। ग्रामीणों ने आशंका जताई है कि जंगल के किनारे बिछाए गए करंट के तार या जहरीला चारा इन मौतों की वजह हो सकते हैं।

पर्यावरण कार्यकर्ताओं की मांग

वन्य जीव प्रेमियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सरकार और विभाग से इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि लगातार हो रही मौतें विभाग की लापरवाही और कमजोर निगरानी का परिणाम हो सकती हैं। कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि यदि इस पर समय रहते कड़ा कदम नहीं उठाया गया तो हाथियों की संख्या में तेजी से गिरावट आ सकती है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि हाथियों का जंगलों में स्वतंत्र रूप से विचरण करना जरूरी है। लेकिन जब वे लगातार मर रहे हैं तो यह संकेत है कि जंगल सुरक्षित नहीं रह गए हैं। उन्होंने कहा कि यह समय है जब विभाग को गंभीर कदम उठाने होंगे।

बढ़ेगी निगरानी और गश्त

वन विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए टीमों को अलर्ट कर दिया है और आसपास के इलाकों की गहन जांच शुरू कर दी गई है। विभाग ने विशेष गश्त बढ़ा दी है और हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए निगरानी अभियान चलाया जा रहा है। विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हाथियों की मौतें किसी साजिश, बीमारी या हादसे का नतीजा हो सकती हैं। सभी पहलुओं पर जांच की जा रही है और जल्द ही स्पष्ट जानकारी सामने आ जाएगी।

उठ रहे सवाल

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर लगातार हाथियों की मौतों के पीछे कौन जिम्मेदार है? क्या यह बीमारी का असर है, करंट का हादसा है या फिर शिकार का मामला? इन सवालों के जवाब तलाशना वन विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। फिलहाल हाथियों की लगातार मौतों ने वन्य जीव संरक्षण की पोल खोल दी है और यह स्पष्ट कर दिया है कि जंगलों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत नहीं है। अगर समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में यह संकट और गहरा हो सकता है। यह घटना न केवल हरिद्वार, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए चेतावनी है कि वन्य जीवों की सुरक्षा में कहीं न कहीं गंभीर खामियां हैं।

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