IAS-IPS अधिकारियों का सबसे बड़ा फेरबदल, AGMUT कैडर में केंद्र सरकार की प्रशासनिक सर्जरी, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, अरुणाचल तक बड़े पैमाने पर बदलाव, प्रशासनिक रणनीति के नए संकेत

इन्तजार रजा हरिद्वार- IAS-IPS अधिकारियों का सबसे बड़ा फेरबदल,
AGMUT कैडर में केंद्र सरकार की प्रशासनिक सर्जरी,
दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, अरुणाचल तक बड़े पैमाने पर बदलाव, प्रशासनिक रणनीति के नए संकेत
केंद्र सरकार ने एक साथ 67 IAS और IPS अधिकारियों के तबादले कर पूरे प्रशासनिक ढांचे में एक बड़ी हलचल पैदा कर दी है। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश में AGMUT कैडर के 41 IAS और 26 IPS अधिकारियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा गया है। इन बदलावों को सिर्फ रूटीन तबादले नहीं, बल्कि प्रशासनिक दिशा और प्राथमिकता को नया आकार देने की रणनीति माना जा रहा है। यह फैसला न सिर्फ अधिकारी वर्ग में बल्कि राजनीतिक और सुरक्षा हलकों में भी चर्चा का विषय बन गया है।
AGMUT कैडर यानी अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा नगर हवेली, दमन और दीव, चंडीगढ़, दिल्ली, लद्दाख, पुदुचेरी और जम्मू-कश्मीर को मिलाकर बना एक संयुक्त कैडर है, जिसमें केंद्र सरकार समय-समय पर अधिकारियों का स्थानांतरण करती रहती है।
IAS अधिकारियों की तैनाती में नए संकेत: संवेदनशील इलाकों में युवा अफसरों को प्राथमिकता
41 आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची में कई ऐसे नाम हैं जिन्हें बेहद संवेदनशील और रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तैनात किया गया है। खासकर जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और अरुणाचल जैसे क्षेत्रों में युवा और ऊर्जावान अधिकारियों की पोस्टिंग से यह संकेत मिल रहा है कि सरकार इन इलाकों में नई सोच और तेज क्रियान्वयन चाहती है।
IAS तबादलों की सारणी:
क्रम | अधिकारी का नाम | पूर्व तैनाती | नई तैनाती | बैच |
---|---|---|---|---|
1 | आशीष चंद्र वर्मा | दिल्ली | जम्मू-कश्मीर | 1994 |
2 | अनिल कुमार सिंह | दिल्ली | जम्मू-कश्मीर | 1995 |
3 | सुधीर कुमार | दिल्ली | मिजोरम | 1999 |
4 | दिलराज कौर | अंडमान | दिल्ली | 2000 |
5 | पांडुरंग के पोल | जम्मू-कश्मीर | दिल्ली | 2004 |
6 | विजय कुमार बिधूड़ी | जम्मू-कश्मीर | दिल्ली | 2005 |
7 | चंचल यादव | दिल्ली | अंडमान | 2008 |
8 | सचिन शिंदे | दिल्ली | अंडमान | 2008 |
9 | विनोद पी कावले | दिल्ली | मिजोरम | 2008 |
10 | रमेश वर्मा | गोवा | दिल्ली | 2009 |
… | … | … | … | … |
40 | राकेश कुमार | जम्मू-कश्मीर | लद्दाख | 2021 |
(नोट: पूरी सूची को लेख के अंत में विस्तृत रूप में पढ़ा जा सकता है)
इन तबादलों में खास बात यह रही कि दिल्ली से कई अफसरों को निकालकर लद्दाख, अंडमान, पुदुचेरी और अरुणाचल जैसे अपेक्षाकृत चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में भेजा गया है। वहीं जम्मू-कश्मीर जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में कई युवा अफसरों की तैनाती से यह संकेत मिलता है कि सरकार इस क्षेत्र में प्रशासनिक सक्रियता को बढ़ावा देना चाहती है।
IPS अधिकारियों का फेरबदल: सुरक्षा रणनीति के केंद्र में सीमावर्ती राज्य
आईपीएस अधिकारियों के 26 तबादले भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। केंद्र सरकार ने दिल्ली, गोवा, मिजोरम, अंडमान, पुदुचेरी और चंडीगढ़ से अधिकारियों को जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, अरुणाचल और लक्षद्वीप जैसे क्षेत्रों में तैनात किया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आंतरिक सुरक्षा और सीमावर्ती इलाकों में अब अनुभवी और तेजतर्रार अफसरों की जरूरत महसूस की जा रही है।
IPS तबादलों की सारणी:
क्रम | अधिकारी का नाम | पूर्व तैनाती | नई तैनाती | बैच |
---|---|---|---|---|
1 | बी. शंकर जायसवाल | दिल्ली | लक्षद्वीप | 2001 |
2 | केशव राम चौरसिया | दिल्ली | गोवा | 2003 |
3 | ओमवीर सिंह बिश्नोई | गोवा | दिल्ली | 2004 |
4 | राज कुमार सिंह | चंडीगढ़ | दिल्ली | 2004 |
5 | धीरज कुमार | मिजोरम | दिल्ली | 2004 |
6 | पुष्पेंद्र कुमार | दिल्ली | चंडीगढ़ | 2006 |
… | … | … | … | … |
26 | के एम प्रियंका | दिल्ली | चंडीगढ़ | 2021 |
यह तबादला इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि इनमें कई अफसर ऐसे हैं जो लंबे समय से एक ही स्थान पर कार्यरत थे। मसलन, दिल्ली में कार्यरत कुछ आईपीएस अफसरों को अरुणाचल और जम्मू-कश्मीर भेजा गया है ताकि वहां की सुरक्षा स्थिति को अधिक सशक्त किया जा सके।
लक्षद्वीप में भी बदलाव: राजनीतिक संकेत या प्रशासनिक सुधार?
लक्षद्वीप में भी प्रशासनिक बदलाव किए गए हैं। लक्षद्वीप के प्रशासक के सलाहकार पद से संदीप कुमार को हटाकर दिल्ली भेजा गया है और उनकी जगह एसपी दीपक कुमार को नियुक्त किया गया है। वर्तमान में प्रफुल्ल पटेल लक्षद्वीप के प्रशासक हैं।
इस बदलाव को कई राजनीतिक जानकार प्रशासनिक सुधार से अधिक सियासी संतुलन का हिस्सा मान रहे हैं। पिछले कुछ समय से लक्षद्वीप में स्थानीय आबादी, पर्यावरणीय मुद्दों और प्रशासन के बीच टकराव की खबरें सामने आती रही हैं। ऐसे में वहां नए अफसर की नियुक्ति करना सरकार की नई रणनीति को दर्शाता है।
सरकार की रणनीति क्या है?
इस बड़े बदलाव को केवल रूटीन ट्रांसफर के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जिस तरह से प्रशासन को चुस्त और परिणामोन्मुखी बनाया जा रहा है, यह तबादला उसी दिशा में उठाया गया कदम प्रतीत होता है। विशेष रूप से सीमांत क्षेत्रों – जैसे जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल, लद्दाख, लक्षद्वीप – में अफसरों की नई तैनाती यह दिखाती है कि सरकार इन क्षेत्रों में विकास, कानून व्यवस्था और प्रशासनिक दक्षता के नए मानक स्थापित करना चाहती है।
इसके साथ ही यह भी स्पष्ट है कि सरकार वरिष्ठता से ज्यादा कार्यकुशलता और परिणामों को महत्व दे रही है। कई युवा अधिकारियों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपना इस बात का प्रमाण है।
निष्कर्ष: नौकरशाही में सुधार या नियंत्रण?
इस पूरे ट्रांसफर को दो दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है। एक तरफ इसे एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है जो देश के संवेदनशील और रणनीतिक क्षेत्रों में प्रशासन को सशक्त करने की मंशा को दर्शाता है। वहीं दूसरी ओर, कुछ आलोचकों का मानना है कि इस तरह के बदलाव सत्ता का केंद्रीकरण और ‘प्रशासनिक नियंत्रण’ बढ़ाने की कोशिश भी हो सकते हैं।
बहरहाल, जो भी हो, इतना तय है कि इस ट्रांसफर से प्रशासनिक ढांचे में बड़ा बदलाव आने वाला है। आने वाले महीनों में यह देखा जाना बाकी है कि ये अधिकारी सरकार की प्राथमिकताओं को जमीनी स्तर पर कैसे लागू करते हैं।
पूरा ट्रांसफर आदेश सरकार की वेबसाइट और गृह मंत्रालय की अधिसूचना अनुभाग में देखा जा सकता है।
यह फेरबदल केवल कागजों की अदला-बदली नहीं, बल्कि भारत की प्रशासनिक नब्ज पर केंद्र सरकार की गहरी पकड़ का संकेत है।