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हरिद्वार में पुलिस व्यवस्था का बदलता चेहरा, महिला सुरक्षा, तकनीक और पारदर्शिता बनीं पुलिसिंग की नई पहचान, एसएसपी हरिद्वार प्रमेन्द्र सिंह डोबाल का ज्वालापुर कोतवाली में वार्षिक निरीक्षण, व्यवस्था सुधार को लेकर दिए सख्त निर्देश

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार में पुलिस व्यवस्था का बदलता चेहरा,
महिला सुरक्षा, तकनीक और पारदर्शिता बनीं पुलिसिंग की नई पहचान,
एसएसपी हरिद्वार प्रमेन्द्र सिंह डोबाल का ज्वालापुर कोतवाली में वार्षिक निरीक्षण, व्यवस्था सुधार को लेकर दिए सख्त निर्देश

हरिद्वार।
हरिद्वार की छवि सिर्फ धार्मिक नगरी तक सीमित नहीं रही। तेजी से बढ़ती आबादी, यातायात, अपराध और सामाजिक समस्याओं के बीच अब जरूरत है एक मजबूत, जवाबदेह और तकनीकी रूप से सक्षम पुलिस व्यवस्था की। इसी सोच के साथ हरिद्वार के एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोभाल लगातार नए कदम उठा रहे हैं। कोतवाली ज्वालापुर का उनका वार्षिक निरीक्षण इसी दिशा में एक अहम कड़ी साबित हुआ है, जिसने न सिर्फ पुलिस महकमे में हलचल मचा दी, बल्कि जनता को भी यह संदेश दिया कि अब पुलिस व्यवस्था में ढिलाई नहीं चलेगी।

यह निरीक्षण दिखावटी नहीं, बल्कि एक गंभीर और व्यवहारिक प्रयास था। इसमें महिला सुरक्षा, तकनीक, पारदर्शिता, अपराध नियंत्रण, थानों की कार्यशैली और पुलिसकर्मियों की जवाबदेही से जुड़े तमाम पहलुओं की गहन समीक्षा की गई। इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर क्या हुआ ज्वालापुर कोतवाली में, क्या निर्देश दिए एसएसपी ने, और कैसे बदलने जा रही है हरिद्वार की पुलिसिंग व्यवस्था।

स्वच्छता और व्यवस्था से शुरू हुआ निरीक्षण

जैसे ही एसएसपी डोभाल कोतवाली ज्वालापुर पहुंचे, सबसे पहले उन्होंने कार्यालय की साफ-सफाई और परिसर की स्थिति का निरीक्षण किया। थाने की इमारत में कहां मरम्मत की जरूरत है, कौन-सी फाइलें अव्यवस्थित हैं, किन रजिस्टरों की एंट्री समय पर नहीं हुई—हर बिंदु को बेहद बारीकी से जांचा गया।उन्होंने स्पष्ट कहा कि— अगर थाना खुद व्यवस्थित नहीं है, तो वहां से जनता को क्या उम्मीद होगी? एक साफ-सुथरा और व्यवस्थित थाना ही विश्वास जगाता है।”

एसएसपी ने थाना प्रभारी से लेकर सिपाहियों तक को साफ संदेश दिया कि अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। थाना परिसर को साफ रखना केवल सफाईकर्मी की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे स्टाफ की सामूहिक जवाबदेही है।

अभिलेखों की जांच और अपडेट पर सख्ती

एसएसपी डोभाल ने थाने में रखे सभी अभिलेखों—एफआईआर रजिस्टर, गिरफ्तारी रजिस्टर, गुमशुदगी रजिस्टर, महिला शिकायत रजिस्टर, बीट बुक आदि—का निरीक्षण किया। उन्होंने देखा कि कुछ रजिस्टरों में एंट्री अधूरी थी, कई में अपडेट देरी से की गई थी। इस पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि—अभिलेखों का अद्यतन रहना प्रशासनिक पारदर्शिता की पहली सीढ़ी है। अगर थाने में रिकॉर्ड सही नहीं रखे जा रहे, तो अपराधी फायदा उठाते हैं।”

उन्होंने कहा कि अब हर रजिस्टर की साप्ताहिक समीक्षा की जाएगी और थानों को अपने रिकॉर्ड अपडेट रखने होंगे। जो थाना दोहराव या लापरवाही करता पकड़ा गया, उसके जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

लंबित वारंट और फरार अपराधियों पर दिखाया सख्त रुख

निरीक्षण के दौरान एसएसपी डोभाल ने विशेष रूप से लंबित कुर्की वारंटों और फरार अपराधियों की सूची मंगवाई। उन्होंने पाया कि कई ऐसे अपराधी हैं जो महीनों से फरार हैं, लेकिन उनकी धरपकड़ के प्रयास कमजोर रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा—“फरार अपराधी कानून और समाज दोनों के लिए खतरा हैं। ऐसे लोगों को आज़ाद घूमने देना पुलिस की नाकामी मानी जाएगी।”

एसएसपी ने सभी पुलिस स्टेशनों को निर्देश दिए कि लंबित वारंटों की समीक्षा कर उन्हें जल्द से जल्द निष्पादित किया जाए। फरार अपराधियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाए, ताकि जनता को यह भरोसा मिले कि कानून का डर अभी भी कायम है।

महिला सुरक्षा: प्राथमिकता में सबसे ऊपर

एसएसपी डोभाल के निरीक्षण का सबसे अहम हिस्सा रहा—महिला हेल्प डेस्क का जायजा। उन्होंने महिला हेल्प डेस्क के नए भवन का उद्घाटन किया और वहां तैनात महिला पुलिसकर्मियों से सीधे संवाद किया। उन्होंने पूछा कि महिला शिकायतों को कैसे दर्ज किया जाता है, उन पर कार्रवाई का समय क्या होता है, और क्या शिकायतकर्ता महिलाओं को दोबारा थाने आने की जरूरत पड़ती है?

उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि—

“महिला हेल्प डेस्क का काम केवल रिपोर्ट लेना नहीं, बल्कि हर महिला को यह एहसास कराना है कि वह अकेली नहीं है। हर शिकायत का संवेदनशीलता और तत्परता से निस्तारण होना चाहिए।”

एसएसपी ने यह भी कहा कि महिला स्टाफ को परामर्श प्रशिक्षण (काउंसलिंग स्किल्स) भी दिए जाएं, ताकि वह भावनात्मक रूप से परेशान महिलाओं से बेहतर संवाद कर सकें।

‘उत्तराखंड पुलिस एप’ को महिलाओं तक पहुँचाने की अपील

तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एसएसपी ने ‘उत्तराखंड पुलिस एप’ के प्रचार-प्रसार पर विशेष जोर दिया। उन्होंने महिला पुलिसकर्मियों से कहा कि जब कोई महिला शिकायत लेकर आए तो उसे एप के बारे में जानकारी दी जाए और उसे डाउनलोड करने के लिए प्रेरित किया जाए।

उन्होंने कहा कि—

“इस ऐप में ऐसी तमाम सुविधाएं हैं जो महिला सुरक्षा को नया आयाम देती हैं—जैसे SOS बटन, लोकेशन शेयरिंग, शिकायत दर्ज करना, पुलिस कॉल आदि। हर महिला के मोबाइल में यह ऐप होना चाहिए।”

एसएसपी ने आगे बताया कि आने वाले समय में इस ऐप को स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संगठनों के माध्यम से प्रचारित किया जाएगा।


CCTNS पोर्टल: पुलिसिंग को पारदर्शी और डिजिटल बनाने की पहल

एसएसपी डोभाल ने CCTNS पोर्टल की कार्यप्रणाली की भी गहराई से जांच की। उन्होंने थाने में ऑनलाइन जनरल डायरी (G.D.) की एंट्री, एफआईआर अपलोडिंग, केस की प्रगति रिपोर्ट और अन्य ऑनलाइन सेवाओं का मूल्यांकन किया।

उन्होंने कहा—

“पारदर्शिता तभी आएगी जब हर कार्रवाई ऑनलाइन हो। जनता को यह पता चलना चाहिए कि उनकी शिकायत पर पुलिस ने क्या किया। अब हर थाने को डिजिटल बनना ही होगा।”

उन्होंने यह भी बताया कि कई थानों में इंटरनेट कनेक्टिविटी या तकनीकी ज्ञान की कमी है। इसे दूर करने के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता केंद्र बनाए जाएंगे।


पुलिस स्टाफ से संवाद और प्रोत्साहन

निरीक्षण के अंत में एसएसपी डोभाल ने थाना स्टाफ से खुलकर बातचीत की। उन्होंने उनकी परेशानियां सुनीं, सुविधाओं की कमी की बात जानी और कहा कि—

“अगर पुलिसकर्मी खुद तनाव में होंगे तो वे जनता को कैसे सुरक्षित महसूस कराएंगे? इसलिए हम स्टाफ वेलफेयर पर भी काम कर रहे हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि अब थानों की रेटिंग होगी—जो थाना अच्छा काम करेगा, उसे सम्मानित किया जाएगा। वहीं, जो थाना लापरवाही करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


जनता से संवाद और सहयोग की अपील

एसएसपी डोभाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि—

“पुलिस अकेले अपराध नहीं रोक सकती। जनता को भी साथ आना होगा। अगर आपको कहीं गलत हो रहा दिखे, तो चुप न रहें। पुलिस को सूचना दें, ‘उत्तराखंड पुलिस एप’ पर शिकायत दर्ज करें, सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल न करें।”

उन्होंने कहा कि पुलिस और जनता के बीच भरोसे की डोर जितनी मजबूत होगी, समाज उतना ही सुरक्षित होगा।

 हरिद्वार में बदलाव की नई सुबह

कोतवाली ज्वालापुर का वार्षिक निरीक्षण केवल एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि हरिद्वार पुलिसिंग के बदलते स्वरूप का प्रतीक है। एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोभाल ने जो दिशा दिखाई है, उससे यह उम्मीद जगी है कि अब पुलिस जनता के और करीब आएगी—जवाबदेह, पारदर्शी और संवेदनशील बनेगी।

महिला सुरक्षा, तकनीकी सशक्तिकरण, अपराधियों पर सख्ती, थानों की व्यवस्था में अनुशासन और पुलिसकर्मियों की जवाबदेही—यह सब हरिद्वार पुलिस को नया चेहरा दे रहे हैं।

आज का हरिद्वार बदलाव के दौर से गुजर रहा है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ अब यहां व्यवस्था और कानून का भी ध्यान रखा जा रहा है। जनता अब चाहती है कि पुलिस सिर्फ वर्दी न पहने, बल्कि अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करे। और जिस तरह से एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोभाल ने इस निरीक्षण में सक्रियता, सजगता और संवेदनशीलता दिखाई है, उससे यह भरोसा बनता है कि हरिद्वार पुलिस अब वाकई ‘जनपुलिस’ बनकर उभरेगी।

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