बहादराबाद टोल प्लाजा पर स्थानीय लोगों की जेब पर फिर पड़ा ढाका फास्टैग से देर से पैसे कटने की शिकायतें बढ़ीं, पारदर्शिता पर सवाल
बहादराबाद टोल टैक्स प्लाजा का स्थानीय लोगों की जेब पर फिर ढाका, टोल क्रॉस हो जाने के कुछ मिनट बाद फास्टैग वायलेट से पैसे काटे जाने का मिलता है मैसेज,

इन्तजार रजा हरिद्वार- बहादराबाद टोल प्लाजा पर स्थानीय लोगों की जेब पर फिर पड़ा ढाका
फास्टैग से देर से पैसे कटने की शिकायतें बढ़ीं, पारदर्शिता पर सवाल
बहादराबाद टोल टैक्स प्लाजा का स्थानीय लोगों की जेब पर फिर ढाका, टोल क्रॉस हो जाने के कुछ मिनट बाद फास्टैग वायलेट से पैसे काटे जाने का मिलता है मैसेज,
हरिद्वार जिले के बहादराबाद टोल टैक्स प्लाजा पर एक बार फिर स्थानीय निवासियों की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है। इस बार मामला फास्टैग के माध्यम से टोल काटे जाने की प्रक्रिया में हो रही अनियमितताओं को लेकर है। स्थानीय लोगों का कहना है कि टोल प्लाजा पार कर जाने के कई मिनटों बाद उन्हें फास्टैग से पैसे कटने का मैसेज आता है, जिससे कई बार भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है और डबल चार्जिंग की आशंका बनी रहती है।
यह समस्या सिर्फ तकनीकी गड़बड़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ता है। अधिकतर ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों से आने-जाने वाले लोग रोज़ाना इस टोल प्लाजा को पार करते हैं, जिनमें बहुत से ऐसे भी हैं जो स्थानीय निवासी हैं और नियमों के अनुसार टोल छूट के हकदार हो सकते हैं। बावजूद इसके, उन्हें नियमित रूप से शुल्क देना पड़ रहा है।
फास्टैग से देरी से पैसे कटने का सीधा मतलब यह है कि टोल प्लाजा पर स्कैनिंग प्रणाली या नेटवर्क में कोई खामी हो सकती है। इससे न सिर्फ स्थानीय जनता को असुविधा होती है, बल्कि यह पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को भी उजागर करता है। टोल प्लाजा पर लगे कैमरों और सेंसरों की जांच तथा निगरानी व्यवस्था में सुधार की सख्त ज़रूरत है।
इस मुद्दे पर क्षेत्रीय लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी शिकायतें दर्ज कराईं हैं और प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की है। इसके अलावा, कुछ स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी इस विषय में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपने की तैयारी कर ली है।
इस समस्या का समाधान केवल तकनीकी सुधारों से ही नहीं, बल्कि नीति में स्थानीय लोगों के लिए स्पष्ट और प्रभावी छूट व्यवस्था लागू कर के भी किया जा सकता है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को चाहिए कि वे इस विषय को गंभीरता से लेते हुए टोल प्रणाली की पारदर्शिता सुनिश्चित करें और स्थानीय नागरिकों के हितों की रक्षा करें।
यदि यह समस्या समय रहते नहीं सुलझाई गई, तो यह प्रशासनिक लापरवाही का एक और उदाहरण बन सकती है और जनता का विश्वास तंत्र से और भी कमजोर हो सकता है।
बहादराबाद टोल प्लाजा पर हो रही यह गड़बड़ी सिर्फ एक तकनीकी मसला नहीं, बल्कि यह आम जनता की रोज़मर्रा की परेशानियों और आर्थिक शोषण का विषय है। उम्मीद की जानी चाहिए कि संबंधित विभाग जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान करेंगे और स्थानीय नागरिकों को राहत प्रदान करेंगे।