तीर्थ की मर्यादा या धार्मिक उग्रता? हरिद्वार तीर्थ स्थल में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक को लेकर संत समाज सख्त,, कांवड़ निर्माण में पवित्रता की शर्त, स्वामी प्रबोधनंद गिरी का अल्टीमेटम,, हरिद्वार तीर्थ क्षेत्र है, कोई पर्यटन स्थल नहीं,, देखिए क्या दे दिया ब्यान

इन्तजार रजा हरिद्वार- तीर्थ की मर्यादा या धार्मिक उग्रता?
हरिद्वार तीर्थ स्थल में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक को लेकर संत समाज सख्त,,
कांवड़ निर्माण में पवित्रता की शर्त, स्वामी प्रबोधनंद गिरी का अल्टीमेटम,, हरिद्वार तीर्थ क्षेत्र है, कोई पर्यटन स्थल नहीं,, देखिए क्या दे दिया ब्यान
हरिद्वार, 09 जुलाई 2025
श्रावण मास के आरंभ के साथ हरिद्वार की पावन भूमि एक बार फिर शिवभक्तों से गुलजार है, लेकिन इस आस्था के उत्सव के बीच तीर्थ क्षेत्र में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रबोधनंद गिरी ने तीखे शब्दों में यह मांग रखी है कि हरिद्वार क्षेत्र में गैर-हिंदुओं का प्रवेश पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाए। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर सरकार इस दिशा में तत्काल कार्रवाई नहीं करती तो साधु-संत स्वयं सड़कों पर उतरकर इसे रोकने को बाध्य होंगे।
तीर्थ क्षेत्र की ‘पवित्रता’ पर फोकस
स्वामी प्रबोधनंद गिरी का कहना है कि हरिद्वार एक पवित्र तीर्थ है और इसकी मर्यादा का उल्लंघन नहीं होने दिया जा सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि “कुछ जिहादी मानसिकता के लोग हर की पौड़ी जैसे पावन स्थल पर न केवल प्रवेश कर रहे हैं, बल्कि कांवड़ निर्माण जैसे संवेदनशील कार्यों में भी शामिल हैं।” उनके अनुसार, ऐसे लोग जो रोज़ मांसाहार करते हैं, पवित्रता की भावना से कैसे जुड़ सकते हैं?
स्वामी ने दावा किया कि कांवड़ जैसी पवित्र वस्तु को निर्माण के दौरान जानबूझकर अपवित्र किया जा रहा है। “थूक और मूत्र को पवित्र बताने वाले लोग सनातन परंपरा का मजाक बना रहे हैं। यह सीधा अपमान है,” उन्होंने कहा।
‘गैर-हिंदुओं पर प्रतिबंध’ की पुरजोर मांग
सबसे विवादास्पद पहलू तब सामने आया जब उन्होंने यह दावा किया कि कानूनन हरिद्वार तीर्थ क्षेत्र में गैर-हिंदुओं का प्रवेश पहले से प्रतिबंधित है और सरकार इस नियम का पालन कराने में नाकाम रही है। उन्होंने दो-टूक चेतावनी दी – “हम सरकार को दो दिन का समय दे रहे हैं। यदि सरकार इस्लामिक जिहादियों का प्रवेश नहीं रोकती, तो साधु-संत स्वयं हरिद्वार की सड़कों पर उतरेंगे और फिर जो कुछ होगा, उसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कोई नफरत फैलाने की मुहिम नहीं, बल्कि तीर्थ की गरिमा बनाए रखने का संघर्ष है। उनके अनुसार, धर्म और आस्था के केंद्रों को राजनीतिक या तथाकथित धर्मनिरपेक्षता की बलि नहीं चढ़ाया जा सकता।
कांवड़ निर्माण पर निगरानी की मांग
स्वामी प्रबोधनंद गिरी ने विशेष रूप से कांवड़ निर्माण को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यह कोई सामान्य शिल्प कार्य नहीं बल्कि धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा है। “जब भक्तगण कांवड़ को कंधों पर उठाकर सौ किलोमीटर की यात्रा करते हैं, तो उस कांवड़ की पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए,” उन्होंने कहा।
उन्होंने मांग की है कि कांवड़ निर्माण से जुड़े सभी स्थानों पर प्रशासनिक निगरानी होनी चाहिए ताकि कोई भी अपवित्र तत्व इस कार्य से जुड़ न सके। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि कांवड़ निर्माण के लिए विशेष पंजीकरण प्रणाली शुरू की जाए जिसमें धर्म-आधारित मान्यता आवश्यक हो।
प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार
इस पूरे प्रकरण पर फिलहाल प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं।
सामाजिक समरसता बनाम धार्मिक मर्यादा
इस विवाद ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है – क्या तीर्थ स्थलों की पवित्रता के नाम पर किसी समुदाय विशेष को प्रतिबंधित किया जा सकता है? संविधान में धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार सभी नागरिकों को प्राप्त है, लेकिन धार्मिक स्थल पर शुचिता और मर्यादा की मांग भी उपेक्षित नहीं की जा सकती।
जहां संत समाज धार्मिक दृष्टिकोण से तीर्थ की गरिमा को बचाए रखने की मांग कर रहा है, वहीं कई सामाजिक संगठन इसे धार्मिक कट्टरता और विभाजनकारी मानसिकता का उदाहरण मान रहे हैं। आने वाले दिनों में सरकार की भूमिका और प्रशासन की कार्रवाई यह तय करेगी कि आस्था की यह यात्रा सामाजिक समरसता के साथ आगे बढ़ेगी या विवादों की भेंट चढ़ जाएगी।
स्वामी प्रबोधनंद गिरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिन्दू रक्षा सेना
“हरिद्वार तीर्थ क्षेत्र है, कोई पर्यटन स्थल नहीं। गैर-हिंदुओं का प्रवेश कानूनन वर्जित है। यदि सरकार इस पर ध्यान नहीं देती तो हम साधु-संत स्वयं सड़कों पर उतरेंगे। कांवड़ की पवित्रता से समझौता नहीं होगा।”
रिपोर्ट: डेली लाइव उत्तराखंड