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ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट दीपक रामचंद्र सेठ को सौंपा गया सीएम धामी के नाम किसानों के हक का ज्ञापन  पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की अगुवाई में रुड़की में किसानो का धरना प्रदर्शन। मालिकाना हक और पट्टों की बहाली की मांग को लेकर जोरदार संघर्ष भूमिहीन पट्टाधारक किसानों का गुस्सा फूटा  पट्टों पर हक की जंग तेज  किसानों का धरना–सरकार घिरी सवालों में      सरकार किसानों के पट्टे छीनना बंद करो  भाजपा सरकार पर कांग्रेस का सीधा प्रहार  भूमिहीनों का संघर्ष, अब सड़कों पर होगी निर्णायक लड़ाई की चेतावनी  धामी सरकार पर हरीश रावत का हमला    गढ़मीरपुर-रुड़की से उठा पट्टाधारक किसान आंदोलन बन सकता है प्रदेशव्यापी तूफ़ान

इन्तजार रजा हरिद्वार 🟥 ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट दीपक रामचंद्र सेठ को सौंपा गया सीएम धामी के नाम किसानों के हक का ज्ञापन 🟥 पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की अगुवाई में रुड़की में किसानो का धरना प्रदर्शन। 🟥 मालिकाना हक और पट्टों की बहाली की मांग को लेकर जोरदार संघर्ष 🟥भूमिहीन पट्टाधारक किसानों का गुस्सा फूटा  🟥 पट्टों पर हक की जंग तेज  🟥 किसानों का धरना–सरकार घिरी सवालों में      🟥 सरकार किसानों के पट्टे छीनना बंद करो  🟥 भाजपा सरकार पर कांग्रेस का सीधा प्रहार  🟥 भूमिहीनों का संघर्ष, अब सड़कों पर होगी निर्णायक लड़ाई की चेतावनी  🟥 धामी सरकार पर हरीश रावत का हमला   🟥 गढ़मीरपुर-रुड़की से उठा पट्टाधारक किसान आंदोलन बन सकता है प्रदेशव्यापी तूफ़ान

इन्तजार रजा हरिद्वार Daily Live Uttarakhand (संपादक)

हरिद्वार जिले में सिंचाई विभाग की जमीन, अनुसूचित जाति और विभिन्न जाती के भूमिहीन किसानों के हक, तथा सरकार के विवादित आदेश ने एक बार फिर राजनीतिक भूचाल ला दिया है। गढ़मीरपुर और आसपास के गांवों के पट्टाधारक किसानों ने 3 अक्टूबर को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की अगुवाई में रुड़की एसडीएम कार्यालय के बाहर जोरदार धरना-प्रदर्शन किया।

धरना-स्थल पर किसानों के गुस्से का आलम यह था कि हर तरफ सिर्फ एक ही नारा गूंज रहा था –

👉 “भूमिहीनों का हक छीना तो दिल्ली तक आंदोलन होगा”
👉 “भाजपा सरकार होश में आओ, किसान का हक लौटाओ”
👉 “जय भीम – जय भारत – जय संविधान”

🔴 हरीश रावत ने कहा कि– “किसानों का हक छीना तो सीएम आवास घेरेंगे”

धरना-प्रदर्शन में बोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा सरकार को कड़ी चेतावनी दी।

उन्होंने कहा –

“2016 में मेरी सरकार ने इन पट्टों का मालिकाना हक देने का आदेश जारी किया था। भाजपा की सरकार आते ही वह आदेश रद्द कर दिया गया। यह किसानों के साथ सबसे बड़ा अन्याय है। अगर सरकार ने तुरंत मालिकाना हक नहीं दिया तो कांग्रेस प्रदेशव्यापी आंदोलन खड़ा करेगी और मैं खुद मुख्यमंत्री आवास के बाहर उपवास पर बैठूंगा।”

हरीश रावत ने किसानों को भरोसा दिलाया –

👉 “आप अकेले नहीं हैं, कांग्रेस आपके साथ है।”
👉 “यह सिर्फ गढ़मीरपुर की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड के किसानों की जंग है।”
👉 “भाजपा सरकार उद्योगपतियों के आगे झुक रही है, लेकिन हम गरीब किसानों का हक छीनने नहीं देंगे।”

धरने में मौजूद किसानों ने तालियां बजाकर और नारे लगाकर रावत का समर्थन किया।

🔴 किसानों की आवाज़ – “हमने पसीना बहाया है, यह जमीन हमारी है”

धरना स्थल पर मौजूद एक किसान शहजाद अली ने कहा –

 मेरे दादा पिता को पट्टा मिला था। हमने इस बंजर जमीन को उपजाऊ बनाया। तीन पीढ़ियां गुजर गईं लेकिन आज भी हम मालिक नहीं बने। अब सरकार हमें उजाड़ना चाहती है, यह कभी बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं महिला किसान सुनीता देवी ने में कहा –

“हमारे बच्चों का भविष्य इन खेतों से जुड़ा है। अगर यह जमीन छिनी तो हम सड़क पर आ जाएंगे। सरकार को बताना होगा कि गरीब किसान जाएं तो जाएं कहां?”

धरने में एक सुर गूंजा –

👉 “जमीन हमारी – फैसला हमारा”
👉 “उद्योग नहीं – खेती चाहिए”

🔴 कांग्रेस नेताओं की हुंकार – “भाजपा उद्योगपतियों की दलाली कर रही है”

धरना-स्थल पर पहुंचे कांग्रेस और किसान यूनियन के नेताओं ने भाजपा सरकार पर करारा हमला बोला।

प्रदेश सचिव अर्जुन कर्णवाल ने कहा –

“भाजपा सरकार ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है। 2017 से अब तक सिर्फ उद्योगपतियों के हित साधे जा रहे हैं। कांग्रेस किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। अगर सरकार पीछे नहीं हटी तो हर गांव में धरना-प्रदर्शन होगा।”

धरना स्थल पर गूंज उठे नारे –

👉 “किसान का पसीना रंग लाएगा – भाजपा सरकार गिर जाएगी”
👉 “जो जमीन हमारी है – वह जमीन हमारी है”

🔴 नारे और स्वर – किसानों के गुस्से का घोषणापत्र

धरना-प्रदर्शन के दौरान किसान लगातार नारे लगाते रहे। इनमें से कुछ ने पूरे माहौल को आंदोलनी बना दिया –

  • “भूमिहीन किसानों का हक छीनना बंद करो”
  • “किसान जागा है – अन्याय भागा है”
  • “जो जमीन जोतेगा – वही मालिक कहलाएगा”
  • “सिडकुल नहीं – खेती चाहिए, पेट पालने को जमीन चाहिए”

इन नारों ने किसानों के गुस्से को और मुखर कर दिया। धरना स्थल पर मौजूद हर शख्स को लग रहा था कि यह लड़ाई अब लंबी चलेगी।

🔴 निर्णायक संदेश – संघर्ष अभी जारी रहेगा

धरना-प्रदर्शन का अंत किसानों की एकजुटता और संकल्प के साथ हुआ। तय हुआ कि –

👉 गांव-गांव में जनसभाएं की जाएंगी।
👉 अगर मांगें नहीं मानी गईं तो विधानसभा सत्र के दौरान देहरादून में विशाल प्रदर्शन होगा।
👉 जरूरत पड़ी तो दिल्ली तक कूच किया जाएगा।

किसानों ने हरीश रावत की अगुवाई में धरने का संदेश साफ किया है कि–
“भूमिहीन किसानों की लड़ाई अब आर-पार की होगी। अगर सरकार ने अन्याय किया तो यह आंदोलन आने वाले चुनावों में भाजपा को सबक सिखाकर ही रुकेगा।”

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